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स्वरोजगार के लिए कौशल विकास कोर्स है सहायक

रांची : राज्य परियोजना निदेशक उमाशंकर सिंह ने कहा है कि अभिभावक स्किल डेवलपमेंट के महत्व को समझें. स्कूलों में वोकेशनल कोर्स के तहत चलने वाले स्किल डेवलपमेंट कार्यक्रम के माध्यम से विद्यार्थी स्वरोजगार से जुड़ सकते हैं. अभिभावकों को भी चाहिए कि वे अपने बच्चों को ऐसे कोर्स के लिए प्रोत्साहित करें. उक्त बातें […]

रांची : राज्य परियोजना निदेशक उमाशंकर सिंह ने कहा है कि अभिभावक स्किल डेवलपमेंट के महत्व को समझें. स्कूलों में वोकेशनल कोर्स के तहत चलने वाले स्किल डेवलपमेंट कार्यक्रम के माध्यम से विद्यार्थी स्वरोजगार से जुड़ सकते हैं. अभिभावकों को भी चाहिए कि वे अपने बच्चों को ऐसे कोर्स के लिए प्रोत्साहित करें.

उक्त बातें उन्होंने शुक्रवार को जिला स्कूल सभागार में झारखंड शिक्षा परियोजना के तत्वावधान में कौशल प्रतियोगिता को लेकर आयोजित शिक्षकों के प्रशिक्षण कार्यक्रम में कही. उन्होंने विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों से कहा कि प्रतियोगिता के का मूल्यांकन में पूरी पारदर्शिता बरते. विद्यालय स्तर पर सफल विद्यार्थियों का नाम जिला स्तरीय प्रतियोगिता के लिए समय पर भेजें.
उन्होंने विद्यार्थियों को प्रतियोगिता की तैयारी ठीक से कराने को कहा. निदेशक ने कुछ शिक्षकों के समय पर प्रशिक्षण कार्यक्रम में नहीं पहुंचने पर नाराजगी जतायी. उन्होंने विलंब से आने वाले शिक्षकों से कहा कि वे समय के महत्व को समझें. झारखंड शिक्षा परियोजना के प्रमोद सिन्हा ने प्रधानाध्यापकों को प्रशिक्षण कार्यक्रम के बारे में बताया.
कौशल प्रतियोगिता 14 जनवरी से : राज्य के 160 विद्यालयों में 14 से 18 जनवरी तक कौशल प्रतियोगिता होगी. प्रतियोगिता विद्यार्थियों में कौशल विकास की समझ बढ़ाने के उद्देश्य से किया जा रहा. विद्यालय स्तर पर सफल प्रतिभागी जिला स्तरीय प्रतियोगिता में भाग लेंगे. जिला स्तर से सफल प्रतिभागियों का नाम राज्य स्तरीय प्रतियोगिता के लिए भेजा जायेगा.
प्रतियोगिता में सफल प्रतिभागियों को पुरस्कृत भी किया जायेगा. प्रशिक्षण कार्यक्रम में भाग लेने आये प्रधानाध्यापकों को कौशल प्रतियोगिता के आयोजन के संबंध में विस्तृत जानकारी दी गयी. विद्यालय स्तर पर कौशल प्रतियोगिता सौ अंकों की होगी. एक ट्रेड के विद्यार्थी को अलग-अलग ग्रुप में बांट कर प्रतियोगिता करायी जायेगी.
11वीं में नहीं है विद्यार्थी तो कैसे होगी प्रतियोगिता
विद्यालयों में कक्षा नौ से 12वीं तक वाेकेशनल कोर्स की पढ़ाई होती है. कुछ विद्यालयों में मैट्रिक की परीक्षा के बाद विद्यार्थी दूसरे विद्यालय या कॉलेज में नामांकन ले लेते हैं. ऐसे में संबंधित ट्रेड में विद्यार्थी नहीं है. प्रधानाध्यापकों का कहना था कि ऐसे ट्रेड में प्रतियोगिता कैसे होगी.

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