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विटामिन डी की कमी से डिमेंशिया का खतरा दोगुना

एजेंसियां, लंदनबुर्जुग लोगों में विटामिन डी के निचले स्तर से डिमेंशिया और अल्जाइमर के विकसित होने का खतरा दोगुना हो सकता है. यह बात एक अध्ययन में पायी गयी है. यूनिवर्सिटी ऑफ एक्सेटर मेडिकल स्कूल में डॉक्टर डेविड लेवेलिन के नेतृत्व वाले अंतरराष्ट्रीय दल ने पाया कि इस अध्ययन में शामिल जिन लोगों में विटामिन […]

एजेंसियां, लंदनबुर्जुग लोगों में विटामिन डी के निचले स्तर से डिमेंशिया और अल्जाइमर के विकसित होने का खतरा दोगुना हो सकता है. यह बात एक अध्ययन में पायी गयी है. यूनिवर्सिटी ऑफ एक्सेटर मेडिकल स्कूल में डॉक्टर डेविड लेवेलिन के नेतृत्व वाले अंतरराष्ट्रीय दल ने पाया कि इस अध्ययन में शामिल जिन लोगों में विटामिन डी की कमी थी, उनमें डिमेंशिया और अल्जाइमर की बीमारी पनपने की संभावना दोगुने से भी ज्यादा थी.कहते हैं आंकड़ेशोधकर्ताओं ने उन बुर्जुग अमेरिकी नागरिकों का अध्ययन किया था, जिन्होंने कार्डियोवेस्कुलर हेल्थ स्टडी में भाग लिया. उन्होंने पाया कि जिन वयस्कों में विटामिन डी की कमी थोड़ी सी ही थी, उनमें किसी भी तरह का डिमेंशिया पैदा होने का खतरा 53 प्रतिशत था. वहीं जिनमें विटामिन डी कमी का स्तर गंभीर था, उनमें यह खतरा 125 प्रतिशत था. ऐसे ही नतीजे अल्जाइमर बीमारी के बारे में भी पाये गये. कम कमी वाले समूह में इस बीमारी का खतरा 69 प्रतिशत था जबकि गंभीर रूप से विटामिन डी की कमी वाले लोगों मंे इसका प्रतिशत 122 प्रतिशत था. इस अध्ययन में 65 वर्ष और उससे ज्यादा उम्र के उन 1,658 व्यस्कों का अध्ययन किया गया, जो अध्ययन की शुरुआत के समय बिना किसी मदद के चल सकते थे, डिमेंशिया, हृदय संबंधी बीमारी और आघात से मुक्त थे.यह था अध्ययनइन लोगों में इस बात का अध्ययन छह साल तक किया गया कि किस-किस में अल्जाइमर या डिमेंशिया की दूसरी किस्में देखने को मिलती हैं. लेवेलेन ने कहा, हमने विटामिन डी के निचले स्तर और डिमेंशिया एवं अल्जाइमर के बीच का संबंध पता लगाने की उम्मीद की थी, लेकिन नतीजे काफी हैरान करने वाले थे. हमने पाया कि यह संबंध हमारी उम्मीद से दोगुना था. अब यह साबित करने के लिए चिकित्सीय परीक्षण जरूरी हैं कि क्या मछली या विटामिन डी के पूरक खाने से अल्जाइमर और डिमेंशिया को रोका या विलंबित किया जा सकता है? उन्होंने कहा, हमें इस शुरुआती स्तर पर सावधान रहने की जरूरत है और हमारे हालिया नतीजे यह नहीं दिखाते कि विटामिन डी कम होने से डिमेंशिया हो ही जाता है. हमारे नतीजे काफी उत्साहवर्धक हैं और यदि कुछ लोगों को भी उससे लाभ मिल सके तो डिमेंशिया की विनाशकारी और महंगी प्रकृति को देखते हुए इसके कई सार्वजनिक स्वास्थ्य पर इसके कई प्रभाव होंगे. यह अध्ययन न्यूरोलॉजी जर्नल में प्रकाशित हुआ.

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