हेडिंग ::: विधानसभा ने देखे राजनीतिक खेल, उठा पटक ने बनाये तीन मुख्यमंत्रीकुछ विधायकों ने छोड़ी छाप, कुछ ने तोड़े अनुशासनब्यूरो प्रमुख, रांची बुधवार को तीसरे विधानसभा (2009-2014) का अंतिम दिन था. अब विधानसभा चुनाव के बाद ही नयी विधानसभा सजेगी. जनता के फैसले की घड़ी आ रही है. कई चेहरे फिर पहुंचेंगे, तो कुछ विधानसभा की ओर रुख नहीं कर सकेंगे. पिछले पांच वर्ष के काल अवधि में वर्तमान विधानसभा ने कई राजनीतिक रंग देखे. राजनीति का खेल खूब हुआ. पांच वर्ष में विधानसभा ने तीन मुख्यमंत्री की सियासत देखी. शिबू सोरेन, अर्जुन मुंडा और फिर हेमंत सोरेन को राजनीतिक दावं पेंच ने सदन का नेता बनाया. दलों की निष्ठा बदली. सत्ता पक्ष विपक्ष में आया, तो विपक्ष सत्ता पक्ष का अंग बना. कुछ विधायकों ने सदन में छाप छोड़ी. नये विधायकों ने संयम का परिचय दिया. विधानसभा में कुछ विधायकों ने अनुशासन को तार-तार भी किया. विधानसभा हंगामे की भेंट चढ़ा. विधानसभा का कोरम पूरा नहीं हुआ. एक-एक पाली में चार से पांच बार हंगामे के कारण विधानसभा को स्थगित करना पड़ा. राजनीतिक विद्वेष की कड़वाहट भी विधानसभा में दिखी, तो जन मुद्दों पर पक्ष-विपक्ष एक भी हुआ. मुद्दों के लिए दलों की दीवार गिरी. स्थानीयता, सुखाड़, विधि-व्यवस्था, आदिवासी जमीन की लूट जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर विशेष चर्चा हुई. कई बार जनता के लिए रास्ते निकले, तो कई बार मंथन-बहस के बाद भी निर्णायक रास्ते नहीं निकले. 2012 में सदन का कोरम भी नहीं पूरा हुआ थाझारखंड विधानसभा के संसदीय इतिहास पहली बार 2012 के शीतकालीन सत्र के दौरान कोरम पूरा नहीं हुआ. विधानसभा के इस सत्र में पांच दिसंबर को 10 विधायक भी सदन नहीं पहुंचे. दो बार सदन की कार्यवाही स्थगित की गयी. विधायक फंड रिलीज नहीं किये जाने से नाराज विधायक सदन में नहीं पहुंचे थे. कार्यवाही में मंत्री और एक मात्र माले विधायक विनोद सिंह सदन में पहुंचे थे. विपक्ष करता रहा इंतजार, सत्ता पक्ष ही नहीं पहुंचावर्ष 2013 के शीत कालीन सत्र के दौरान सदन की एक घटना हमेशा याद रखी जायेगी. शीतकालीन सत्र के चौथे दिन 18 दिसंबर को सदन में सत्ता पक्ष के ही विधायक नहीं पहुंचे. विपक्ष बैठा रहा. सत्ता पक्ष के विधायकों का इंतजार होता रहा. बाद में विपक्ष के विधायकों ने बहिष्कार कर दिया. यह घटना बताने के लिए काफी है कि कभी-कभी सदन के प्रति विधायक गंभीरता नहीं दिखाते हैं. इसके बाद कार्यवाही महज सात मिनट चली. सात मिनट में दो विधेयक पारित करा लिये गये. वर्तमान विधानसभा में 107 दिन सत्र चला राज्य में अब तक तीन बार विधानसभा का गठन हो चुका है. वर्तमान तीसरे विधानसभा में अब तक कुल 107 दिन का सत्र रहा. झारखंड में चुनाव की सुगबुगाहट से साफ है कि वर्तमान मॉनसून सत्र इस विधानसभा के कार्यकाल का अंतिम सत्र होगा. 15 नवंबर 2000 को राज्य गठन के बाद अब तक विधानसभा कुल 340 दिन चली है.कब कितना चला विधानसभापहली विधानसभा (2000-2004) 115 दिन चला सत्रदूसरी विधानसभा (2005-2009)118 दिन चला सत्र तीसरी विधानसभा (2010 से अब तक)107 दिन चला है सत्र
तीसरे विधानसभा का अंतिम दिन
हेडिंग ::: विधानसभा ने देखे राजनीतिक खेल, उठा पटक ने बनाये तीन मुख्यमंत्रीकुछ विधायकों ने छोड़ी छाप, कुछ ने तोड़े अनुशासनब्यूरो प्रमुख, रांची बुधवार को तीसरे विधानसभा (2009-2014) का अंतिम दिन था. अब विधानसभा चुनाव के बाद ही नयी विधानसभा सजेगी. जनता के फैसले की घड़ी आ रही है. कई चेहरे फिर पहुंचेंगे, तो कुछ […]
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