रांची: रांची विश्वविद्यालय में शिक्षकों की भारी कमी है. वर्तमान में व्याख्याता के 171 पद खाली हैं. विवि अंतर्गत कॉलेजों व स्नातकोत्तर विभाग में कुल 24 विषयों में व्याख्याता के 990 पद स्वीकृत हैं. जनजातीय व क्षेत्रीय भाषा विभाग में सबसे ज्यादा पद खाली हैं. यहां छात्रों की संख्या अधिक है, लेकिन शिक्षक ही नहीं हैं.
विवि में जनजातीय भाषा के कुल स्वीकृत 101 स्वीकृत पदों में सिर्फ 47 शिक्षक ही कार्यरत हैं, जबकि 54 पद खाली हैं. इसके अलावा समाजशास्त्र में 27 पद स्वीकृत हैं, लेकिन 18 पद खाली हैं. शिक्षकों के नहीं रहने से कई कॉलेजों में विद्यार्थियों की भी संख्या घट रही है. खासकर विज्ञान विषयों में शिक्षकों की संख्या काफी कम हो गयी है. कई कॉलेजों में वर्ष 2008 में नवनियुक्त शिक्षक ही किसी तरह तीनों पार्ट में ऑनर्स विषय पढ़ा रहे हैं. विवि में रीडर व प्रोफेसर के भी लगभग 75 पद खाली हैं.
छात्र हैं, लेकिन शिक्षक नहीं
रांची विवि अंतर्गत कई कॉलेजों में विभिन्न विषयों में छात्र हैं, लेकिन शिक्षक नहीं, या फिर एक ही शिक्षक से काम चलाया जा रहा है. उदाहरणस्वरूप रांची वीमेंस कॉलेज में समाजशास्त्र ऑनर्स में तीन सौ से अधिक विद्यार्थियों के लिए एक ही शिक्षक हैं. जबकि कॉलेज में सेमेस्टरवाइज पढ़ाई हो रही है.
रांची कॉलेज में ओड़िया व भूगर्भशास्त्र विषय में एक ही शिक्षक हैं. हालांकि दोनों विषयों में छात्र भी कम हैं. शिक्षक की कमी के कारण भूगर्भशास्त्र विभाग को बंद करना पड़ा था. वर्तमान में एक शिक्षक डॉ पीके वर्मा के आने से विभाग फिर से खोला गया है. वर्तमान में इस कॉलेज में शिक्षकों के 40 पद रिक्त हैं.
जेएन कॉलेज धुर्वा में अर्थशास्त्र विषय में एक भी शिक्षक नहीं हैं. जबकि 70 से अधिक विद्यार्थी हैं. इसी कॉलेज में गणित, रसायनशास्त्र, मनोविज्ञान विषय में ऑनर्स पढ़ाने के लिए एक-एक ही शिक्षक हैं. डोरंडा कॉलेज में भौतिकी, रसायनशास्त्र, संस्कृत ऑनर्स पढ़ाने के लिए एक-एक ही शिक्षक हैं. गणित विषय में दो शिक्षक हैं.