बकाया 199 करोड़, भुगतान 11 करोड़
संजय
रांची : राज्य भर के चावल मिल मालिकों तथा सहकारिता विभाग के लैंप्स-पैक्स प्रबंधकों के पास सरकार का 199 करोड़ रुपया बकाया है. मिल मालिकों के पास करीब 162 करोड़ तथा लैंप्स-पैक्स प्रबंधकों के पास लगभग 37 करोड़ रुपये हैं. लैंप्स-पैक्स प्रबंधकों को किसानों से धान खरीदने थे.
धान खरीद के पैसे का पूरा इस्तेमाल हुआ या नहीं, यह स्पष्ट नहीं है. धान खरीदने के बाद इसकी कुटाई (मिलिंग) के लिए यह धान चावल मिलों को देने थे, पर मिल मालिकों को जितना धान मिलना चाहिए था, इसमें से 2.51 लाख क्विंटल धान मिल में नहीं गया. इसी बकाया धान की कीमत व उन्हें मिली अग्रिम राशि सहित 36.78 करोड़ बकाया है, जो प्रबंधक पचा गये हैं.
उधर मिल मालिकों को धान से चावल निकाल कर इसे भारतीय खाद्य निगम (एफसीआइ) को देना था. बदले में एफसीआइ राज्य सरकार को भुगतान करती. पर मिल मालिकों ने किसानों से खरीदे गये 12 लाख 44 हजार 985 क्विंटल धान का चावल एफसीआइ को नहीं दिया. इसकी कीमत 12.50 रुपये प्रति किलो की दर से करीब 162 करोड़ होती है.
अब सरकार ने मिल मालिकों को 31 अक्तूबर तक का समय दे दिया है. उनसे कहा गया है कि चार बराबर किस्तों में वे पैसा चुकायें. पहली किस्त के लिए 31 जुलाई तक का समय दिया गया था. इधर 31 जुलाई तक मिल मालिकों ने सिर्फ 11 करोड़ का भुगतान किया है. शेष करीब डेढ़ सौ करोड़ रुपये उनसे वसूले जाने हैं. इधर, इस पूरे प्रकरण में सरकार का रवैया साफ नहीं है.
छह महीने पहले मिलों में धान गया, अब मिल मालिकों को और तीन माह का समय वसूली के लिए दिया गया है. उधर, लैंप्स-पैक्स प्रबंधकों के मामले में सरकार पूरी तरह चुप है. उनसे बकाया रकम की वसूली कैसे व कब होगी, इस पर कोई चर्चा नहीं हो रही. इस संबंध में भाजपा किसान मोरचा के मीडिया प्रभारी संजय पोद्दार ने सरकार से पूछा है कि इतनी बड़ी रकम मिल मालिकों के पास कैसे छोड़ दी गयी है.
उन्होंने कहा है कि पूरे मामले की जांच कर दोषी अफसरों पर कार्रवाई करनी चाहिए. सरकार को बताना चाहिए कि किसकी मिलीभगत से यह हो रहा है.