रांची : सरकारी कार्यों के लिए निकाले जानेवाले टेंडर के स्टीमेट से 10 प्रतिशत से कम रेट कोट नहीं करने की बाध्यता (बिलो बार) समाप्त हो सकती है. पथ निर्माण विभाग ने इसके लिए पीडब्ल्यूडी कोड में बदलाव करने का प्रस्ताव तैयार किया है. प्रस्ताव में काम के लिए संवेदकों में प्रतिस्पर्धा बढ़ाने के उद्देश्य से निर्धारित स्टीमेट से 10 फीसदी बिलो बार का नियम हटाने की बात कही गयी है.
प्रस्ताव को सरकार के सभी वर्क्स डिपार्टमेंट को भेजते हुए उनका मंतव्य भी मांगा गया है. विभागों का मंतव्य मिलने के बाद प्रस्ताव कैबिनेट के समक्ष रखा जायेगा.कई वर्क्स डिपार्टमेंट खारिज कर रहे हैं प्रस्ताव : टेंडर से बिलो बार की बाध्यता हटाने का प्रस्ताव राज्य सरकार के कई वर्क्स डिपार्टमेंट ने खारिज कर दिया है. सूचना है कि जल संसाधन विभाग और भवन निर्माण विभाग ने प्रस्ताव पर असहमति जतायी है.
विभागों ने कहा है कि बिलो बार की बाध्यता खत्म करने से कार्य की गुणवत्ता प्रभावित होगी. राज्य सरकार द्वारा अध्ययन के बाद ही स्टीमेट तैयार कराया जाता है. स्टीमेट में 10 प्रतिशत राशि संवेदक के मुनाफे के रूप में शामिल रहती है. संवेदक अपना वह मुनाफा छोड़ सकता है, लेकिन उससे भी कम राशि पर काम देने का सीधा असर कार्य की गुणवत्ता पर पड़ेगा.
दो पार्टियों के एल-वन होने पर लॉटरी से होगा फैसला
पथ निर्माण विभाग ने सरकारी टेंडरों में दो पार्टियों के एक ही रेट कोट कर एल-वन होने की स्थिति में लॉटरी से विजेता के चयन का भी प्रस्ताव बनाया है. फिलहाल, दो पार्टियों के एल-वन होने पर टेंडर कमेटी फैसला लेती है.
ऐसी स्थिति में संवेदक के चयन के लिए उसे स्थानीयता, टर्न ओवर, क्षमता जैसे मानदंड पर परखा जाता है. प्रस्ताव को मंजूरी मिलने पर दो पार्टियों के एल-वन होने की स्थिति में उनको किसी मानदंड पर परखे बिना लॉटरी कर जीतने वाले संवेदक को काम दे दिया जायेगा.