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बीमारियों से बच्चे बेहाल, भर्ती नहीं ले रहे अस्पताल

रांची : राजधानी में केवल बच्चों के इलाज के लिए कई बड़े और निजी अस्पताल मौजूद हैं, लेकिन फिलवक्त किसी अस्पताल में बेड खाली नहीं हैं. बड़ी संख्या में अचानक बच्चों के बीमार होने की वजह से यह स्थिति पैदा हुई है. हालात यह है कि परिजनों के काफी आग्रह के बावजूद अस्पताल बच्चों को […]

रांची : राजधानी में केवल बच्चों के इलाज के लिए कई बड़े और निजी अस्पताल मौजूद हैं, लेकिन फिलवक्त किसी अस्पताल में बेड खाली नहीं हैं. बड़ी संख्या में अचानक बच्चों के बीमार होने की वजह से यह स्थिति पैदा हुई है. हालात यह है कि परिजनों के काफी आग्रह के बावजूद अस्पताल बच्चों को भर्ती नहीं कर रहे हैं.

अचानक बच्चों में मस्तिष्क ज्वर, वायरल और निमोनिया की शिकायत बढ़ गयी है. रानी हॉस्पिटल राजधानी में बच्चों का एक प्रमुख अस्पताल है. यहां 225 बेड हैं. तीन-चार अतिरिक्त बेड लगाने के बावजूद यहां एक भी बेड खाली नहीं है. उधर, बालपन अस्पताल में भी सभी 40 बेड भरे हुए हैं. जैसे ही किसी बच्चे की सेहत में सुधार हो रहा है, उसे छुट्टी दे कर तुरंत दूसरे बच्चे को भर्ती किया जा रहा है.
केस स्टडी
बरही से अाये पांच साल के बच्चे के परिजन रविवार रात भर परेशान रहे. अस्पताल में भर्ती कराने के लिए परिजन दौड़ लगाते रहे, लेकिन राजधानी के तीन निजी अस्पतालों में भर्ती नहीं लिया गया. बच्चे को सांस लेने में परेशानी हो रही थी, जिसके कारण उसको वेंटिलेटर पर रखना था. रिम्स में वेंटिलेटर खाली नहीं होने के कारण उसे वहां से भी लौटना पड़ा. अंत में परिजन कोकर स्थित सैमफोर्ड अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा.
बीमार बच्चों को लेकर एक से दूसरे अस्पताल का चक्कर काट रहे हैं परिजन
बेड फुल होने के कारण बच्चों को भर्ती करने से मना कर रहे अस्पताल वाले
अचानक बढ़ी मस्तिष्क ज्वर, निमोनिया व वायरल से पीड़ित बच्चों की संख्या
परेशान मरीजों के लिए रिम्स और सदर अस्पताल बने सहारा
राजधानी के निजी अस्पतालों में बेड नहीं मिलने पर लोगों के लिए रिम्स और सदर अस्पताल ही सहारा रह गये हैं. यहां मरीजों को भर्ती करने से इनकार नहीं किया जाता है. रिम्स में तो फर्श पर भी मरीज का इलाज किया जा रहा है.
रिम्स का शिशु वार्ड भी बच्चों से पटा हुआ है. इनमें मस्तिष्क ज्वर, मलेरिया, जापानी इंसेफलाइटिस से पीड़ित बच्चे शामिल हैं. इधर, हरमू स्थित बच्चों के अस्पताल आस्था मेें भी बेड खाली नहीं है.
मौसम बदलने पर हर साल नया वायरस आता है, जिससे बीमारी बढ़ जाती है. अस्पताल में भर्ती कर हम लक्षण के आधार पर इलाज करते हैं. यह सही है कि अस्पतालों में बेड नहीं है, लेकिन हम चाह कर भी अतिरिक्त बेड नहीं लगा सकते हैं.
डॉ राजेश कुमार, शिशु चिकित्सक, बालपन

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