नयी दिल्ली. डीजल की बिक्री पर तेल कंपनियों को होने वाला घाटा कम होकर अपने सर्वकालिक निचले स्तर 1.33 रपये प्रति लीटर रह गया है. ऐसे मंे देश मंे सबसे ज्यादा खपत वाले इस ईंधन को नियंत्रणमुक्त करने की संभावना और प्रबल हो गयी है. मौजूदा रुख यदि जारी रहता है, तो डीजल को तीन माह मंे नियंत्रणमुक्त किया जा सकता है.एक आधिकारिक बयान मंे कहा गया है कि डीजल की उत्पादन लागत व खुदरा बिक्री मूल्य के बीच अंतर अब सिर्फ 1.33 रुपये लीटर रह गया है, जो पिछले महीने तक 2.49 रुपये लीटर था. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तेल कीमतांे मंे कमी तथा नयी सरकार द्वारा डीजल मंे मासिक मूल्यवृद्धि का सिलसिला कायम रखने से यह संभव हो पाया है. गुरुवार को ही डीजल के दाम 50 पैसे प्रति लीटर बढ़ाये गये हैं. जनवरी, 2013 के बाद से 18 किस्तांे मंे डीजल कीमतांे मंे 11.24 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी हुई है. उस समय पूर्ववर्ती संप्रग सरकार ने मासिक आधार पर डीजल के दाम में छोटी छोटी वृद्धि का फैसला किया था.सरकार ने जनवरी, 2013 मंे डीजल कीमतांे मंे मासिक आधार पर 40 से 50 पैसे प्रति लीटर वृद्धि का फैसला किया था. यह वृद्धि उस समय तक जारी रहेगी जब तक कि डीजल पर सब्सिडी पूरी तरह समाप्त नहीं हो जाती.
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डीजल की प्रति लीटर घाटा अब 1.33 रुपये
नयी दिल्ली. डीजल की बिक्री पर तेल कंपनियों को होने वाला घाटा कम होकर अपने सर्वकालिक निचले स्तर 1.33 रपये प्रति लीटर रह गया है. ऐसे मंे देश मंे सबसे ज्यादा खपत वाले इस ईंधन को नियंत्रणमुक्त करने की संभावना और प्रबल हो गयी है. मौजूदा रुख यदि जारी रहता है, तो डीजल को तीन […]
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