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रांची : लोगों को हर मौसम में रूलाती है बिजली

न आने का समय न जाने का, घंटों बाधित रहती है बिजली रांची : हर मौसम में लोगों को बिजली रूलाती है. वर्ष 2001 से ही सरकार व बिजली बोर्ड के अधिकारी हर बार आश्वासन देते हैं कि अगले वर्ष तक बिजली ठीक हो जायेगी. जीरो पावर कट हो जायेगा, पर स्थिति जस की तस […]

न आने का समय न जाने का, घंटों बाधित रहती है बिजली
रांची : हर मौसम में लोगों को बिजली रूलाती है. वर्ष 2001 से ही सरकार व बिजली बोर्ड के अधिकारी हर बार आश्वासन देते हैं कि अगले वर्ष तक बिजली ठीक हो जायेगी. जीरो पावर कट हो जायेगा, पर स्थिति जस की तस बनी रहती है. गांवों में बिजली तो पहुंची, पर दर्शन कम ही देती है. कई बार तो महीनों तक गायब ही रहती है.
लोगों को लगता है गर्मी समाप्त हुई, अब बिजली ठीक से मिलेगी. पर बारिश शुरू होते ही बिजली गुल होने लगती है. कहीं तार टूटते हैं तो कहीं ट्रांसफाॅर्मर के फ्यूज उड़ते हैं.
बारिश के बाद लोग जाड़े में बेहतर बिजली की उम्मीद करते हैं, लेकिन वही स्थिति रहती है. कुल मिलाकर बिजली की समस्या सालों भर रहती है. इस बार भी मई और जून माह में लोगों ने बिजली की समस्या झेली. पूर्व में रिपेयरिंग और नये काम को लेकर बिजली काटने का जो सिलसिला शुरू हुआ, वह अभी तक नहीं थमा. बताया गया कि लोड नहीं ले रहा है. नये सब स्टेशन बनाये जा रहे हैं. ग्रिड बनाये जा रहे हैं. ग्रिड बनकर तैयार है, तो ग्रिड को कनेक्ट करने के लिए क्लीयरेंस नहीं मिल रहा है. यानी समस्या जस की तस है. रांची में पावर कट की समस्या बदस्तूर जारी है.
सुबह में टाइम निर्धारित है, पर कभी भी बिजली कट जाती है. क्यों कटी, यह बतानेवाला कोई नहीं है. बिजली कटती है, तो मानों संबंधित अभियंताओं के फोन भी कट जाते हैं. कुल मिला कर उपभोक्ता बेचारे बने हुए हैं.
बिरसा चौक से मेन रोड, कचहरी चौक और पिस्का मोड़ तक भूमिगत केबल बिछाये जायेंगे : मेन रोड और रातू रोड जैसे भीड़ वाले इलाके में अभी भी ओवरहेड तार लगे हुए हैं. ये हाइ वोल्टेज 33 केवी से लेकर 11 केवी के तार हैं.
इस कारण हमेशा खतरा बना रहता है. झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड ने बिरसा चौक से लेकर हिनू, डोरंडा, ओवर ब्रिज, सुजाता चौक, मेन रोड, अलबर्ट एक्का चौक, शहीद चौक, कचहरी चौक, रातू रोड चौक से पिस्का मोड़ तक सारे ओवर हेड तार को भूमिगत कराने का काम शुरू कर दिया है. पहले चरण में सर्वे पूरा कर लिया गया है. केइआइ एजेंसी को काम मिला है. दिसंबर 2019 तक पूरा करने का लक्ष्य है.
सिटीजन चार्टर का पालन नहीं
संरचना मजबूत करने की बात हो रही है, लेकिन आम लोगों को होने वाली असुविधा का भी ख्याल रखना है
बोर्ड द्वारा संबंधित इलाके में बिजली
काटे जाने की पूर्व में आधिकारिक सूचना नहीं होती
मीडिया को कब-कहां कितने बजे तक बिजली कटेगी, ऐसी कुछ ही सूचना मिलती है
बिना जानकारी के तय समय सीमा से ज्यादा बिजली काटी जाती है
संरचनाएं तो मजबूत हो रही हैं, लेकिन लोगों की शिकायतों का निपटारा समय पर नहीं होता
समय पर बिजली बिल नहीं मिलता, रात में भी अचानक बिजली काट दी जाती है
फोन करने पर अभियंता फोन नहीं उठाते, जवाब नहीं देते, शिकायत प्रणाली दुरुस्त नहीं है
गांवों में बिजली कटने पर कई-कई दिनों तक बिजली नहीं आती
कई जगहों पर लो वोल्टेज की समस्या रहती है, पर कोई सुनवाई नहीं होती

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