-तीन जुलाई को शृंगार पूर्ण होने के बाद एकांतवास से लौटेंगे भगवान
रांची : भगवान जगन्नाथ, भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा का महास्नान सोमवार को वैदिक मंत्रोच्चार के बीच संपन्न हुआ. जगन्नाथपुर स्थित मुख्य मंदिर परिसर में दोपहर एक बजे महास्नान कार्यक्रम शुरू हुआ. कार्यक्रम का समापन करीब 2:15 बजे हुआ. महास्नान के लिए भगवान को स्नान मंडप में लाया गया.
स्तुति और आरती हुई. मंदिर के मुख्य पुजारी पंडित ब्रजभूषण नाथ मिश्र और पुरोहितों के नेतृत्व में अनुष्ठान संपन्न हुआ. फिर भक्तों ने प्रभु को महास्नान कराया. भक्त दूध, गंगाजल और फूल आदि मिला कर साथ में जल लेकर आये थे. इसी जल से प्रभु को महास्नान कराया गया. प्रसाद अर्पित कर सबकी मंगलकामना की प्रार्थना की गयी. करीब 3:30 बजे भगवान एकांतवास में चले गये. मान्यताओं के अनुसार बुखार आने के कारण भगवान जगन्नाथ एकांतवास में चले जाते हैं. इससे पहले सुबह भगवान की नियमित पूजा-अर्चना की गयी. छह बजे आरती के बाद भगवान सर्वदर्शन के लिए सुलभ हो गये. दिन के 12 बजे अन्न भोग लगाया गया.
अनुष्ठान में इनका रहा सहयोग : अनुष्ठान में जगदीश मोहंती, रामेश्वर पाढ़ी, सरयू नाथ मिश्र, कौस्तुभधर नाथ मिश्र, राम महंती, हरेकृष्ण पाढ़ी, अश्विनी मिश्रा , न्यास समिति के सदस्य श्रीकांत ठाकुर, ज्ञान प्रकाश बुधिया, शिवेश सिंह, जीतरंजन नाथ शाहदेव, सुरेंद्र तिवारी, मनोज तिवारी आदि का सहयोग रहा.
तीन जुलाई को एकांतवास से लौटेंगे प्रभु : तीन जुलाई को भगवान जगन्नाथ का शृंगार पूरा होगा. वैदिक मंत्रोच्चार के बीच भगवान का नेत्रदान होगा. इसके बाद भगवान को शाम पांच बजे दर्शन मंडप में लाया जायेगा. यहां उनकी पूजा-अर्चना व स्तुति होगी. आरती के बाद मालपुआ आदि अर्पित किया जायेगा. फिर भगवान भक्तों के दर्शन के लिए सर्व सुलभ हो जायेंगे. चार जुलाई को रथ यात्रा निकाली जायेगी.
स्नान मंडप में होगी पूजा अर्चना : भगवान के एकांतवास से बाहर आने तक स्नान मंडप में स्थापित राधाकृष्ण सहित अन्य देवी देवता और भगवान जगन्नाथ स्वामी की सांकेतिक पूजा की जायेगी.
महास्नान के लिए उमड़े भक्त
भगवान को महास्नान कराने के लिए मुख्य मंदिर परिसर में भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी. काफी संख्या में महिला भक्त हाथ में छड़ी भी लेकर आयी थीं. भगवान को स्नान कराने के बाद छड़ी को स्पर्श किया जा रहा था. कई भक्तों ने उपवास भी रखा था. प्रभु को स्नान कराने के बाद प्रसाद ग्रहण किया. प्रभु को महास्नान कराने के बाद एकत्रित जल को लेकर भी भक्तों ने जबरदस्त आस्था दिखी. भक्तों ने जल को आशीर्वाद के रूप में लिया. माथे पर लगाया. साथ ही पूर्णिमा के कारण कई भक्तों ने मंदिर परिसर में भगवान की कथा भी सुनी.