रांची: झारखंड के विधायकों के वेतन बढ़ाने की तैयारी है. राज्य के ज्यादातर विधायक इस पर सहमत हैं. स्पीकर शशांक शेखर भोक्ता के साथ बैठक कर तय किया है कि प्रस्ताव सरकार को भेजा जायेगा. पिछले दिनों स्पीकर बिहार के दौरे पर गये और वेतन में अंतर पाया.
बिहार के समकक्ष वेतन बढ़ोतरी की तैयारी झटपट हो गयी. वेतन बढ़ाने की जल्दबाजी है. वहीं सदन के अंदर उठने वाले सवालों का हल नहीं निकलता. विधानसभा में पिछले वर्षो में 32 सौ से ज्यादा आश्वासन लंबित हैं. महत्वपूर्ण विषयों पर स्पीकर का नियमन सदन के अंदर आता है. स्पीकर के नियमन पर भी सरकार का टालमटोल का रवैया होता है. भ्रष्टाचार से लेकर उग्रवाद के मुद्दे पर सदन में बहस होती है. विधानसभा से इस पर कोई ठोस नीति बने, सरकार पहल नहीं कर पाती है. गरीबों के इंदिरा आवास का मामला हो, पीडीएस सिस्टम दुरुस्त करने का मामला हो या फिर शहर और गांवों में बिजली-पानी की समस्या हो, समय सीमा में काम नहीं होता. जनता की बुनियादी सुविधाओं को लेकर भी तत्परता नहीं दिखती.
नीतियां नहीं बनी, उलझी रही सरकार
विधानसभा से विवादित और बड़े मामले का भी हल नहीं निकलता. बहस खूब होती है, लेकिन नीति बनाने के रास्ते पर नहीं बढ़ पाते. स्थानीयता का मुद्दा हर बार उठता रहा है, लेकिन सरकार अपनी नियोजन नीति नहीं बना सकी. विस्थापन और पुनर्वास के मुद्दे पर राज्य को विश्वास में लेने का रास्ता विधानसभा से नहीं निकला.
विधानसभा में उठते रहे हैं ये मुद्दे
गांवों में हाथी के आक्रमण से क्षतिग्रस्त घरों और मारे जाने वालों का मुआवजा बढ़े (26 जुलाई, 2013)
राज्य में लोगों को राशन कार्ड नहीं मिल रहा है, पीडीएस सिस्टम ध्वस्त है (26 जुलाई, 2013)
ग्रेटर रांची, कोर कैपिटल का निर्माण नहीं हुआ (16 दिसंबर, 2013)
खास महल जमीन के लीज को लेकर जनता परेशान है, रास्ता निकालें (16 दिसंबर, 2013)
कृषक मित्रों को 3-4 हजार मिलता है, न्यूनतम मजदूरी भी नहीं मिल रही (16 दिसंबर, 2013)
विस्थापन जटिल समस्या है, लोगों को न्याय नहीं मिल रहा है (16 दिसंबर, 2013)
हाथी द्वारा क्षतिग्रस्त किये गये घर के एवज में पक्का मकान का पैसा मिले (18 दिसंबर 2013)
राज्य में चेक पोस्ट का निर्माण हो, करोड़ों का राजस्व घाटा हो रहा (19 दिसंबर 2013)
राज्य से पलायन करने वाले लोगों को रोकने के लिए नीति बने (22 फरवरी 2014)