- सीड द्वारा नेशनल कांफ्रेंस ‘रोड अहेड फॉर एनर्जी एक्सेस’ का किया गया आयोजन
- झारखंड में विश्वसनीय बिजली आपूर्ति के लिए अक्षय ऊर्जा सर्वोत्तम समाधान
- निजी कंपनी भी मिनी ग्रिड बनाकर बिजली का वितरण कर सकती है
रांची : सेंटर फॉर एनवॉयरमेंट एंड एनर्जी डेवलपमेंट (सीड) ने झारखंड रिन्युएबल एनर्जी डेवलपमेंट एजेंसी (जेरेडा) तथा शक्ति सस्टेनेबल एनर्जी फाउंडेशन के सहयोग से होटल बीएनआर में नेशनल कांफ्रेंस ‘रोड अहेड फॉर एनर्जी एक्सेस’ का आयोजन किया.
कांफ्रेंस में सभी लोगों तक बिजली पहुंचाने के लक्ष्य को हासिल करने में झारखंड सरकार द्वारा किये गये प्रयासों तथा गुणवत्तापूर्ण बिजली आपूर्ति की राह में आनेवाली कमियों व त्रुटियों को दूर करने के प्रभावी तरीकों के बाबत चर्चा की गयी. इस दौरान विकेंद्रीकृत अक्षय ऊर्जा प्रणालियां की भी चर्चा की गयी.
मुख्य अतिथि जेरेडा के निदेशक निरंजन कुमार ने कहा कि झारखंड में मिनी ग्रिड पॉलिसी बन रही है. इसमें निजी कंपनी भी किसी खास इलाके में मिनी ग्रिड बनाकर बिजली का वितरण कर सकती है. जल्द ही यह पॉलिसी झारखंड में लागू हो जायेगी. उन्होंने कहा कि सौर ऊर्जा ने राज्य के 213 गांवों का जीवन सकारात्मक ढंग से बदल दिया है. बिजली देने के पीछे मूल मकसद है कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सुधार हो.
बिजली अाधारित छोटे उद्योग और रोजगार का सृजन हो रहा है. अभी जो ग्रामीण विद्युतीकरण हुआ है, उसमें आठ से 10 घंटे गांवों में बिजली दी जा रही है. अब 24 घंटे बिजली देने की योजना पर काम हो रहा है. पूरी दुनिया में अभी ग्रीन एनर्जी पर चर्चा हो रही है. यह कोयला आधारित बिजली से बेहतर विकल्प है. राज्य में अब क्वालिटी बिजली देने का पर काम किया जारहा है.
विशिष्ट अतिथि झारखंड राज्य विद्युत नियामक आयोग (जेएसइआरसी) के सदस्य तकनीक आरएन सिंह ने कहा कि ‘वर्ष 2018 झारखंड के लिए एक ऐतिहासिक साल रहा है, क्योंकि राज्य के सभी गांवों व घरों को विद्युतीकृत कर हमने लंबी दूरी तय की है. पूरी दुनिया में बिजली अब फंडामेंटल राइट की तरह जरूरत बन गयी है.
सीड के सीइओ रमापति कुमार ने कहा कि शत प्रतिशत घरों में बिजली पहुंच जाने के बाद बिजली की मांग भी बढ़ेगी. यह विरोधाभास ही है कि खनिज संसाधन के मामले में नैसर्गिक रूप से धनी होने और देश में बिजली उत्पादन का एक केंद्र बनने की संभावना होने के बावजूद झारखंड संसाधन-अभिशाप से ग्रस्त है, क्योंकि यह देश में कुल संस्थापित बिजली क्षमता में केवल 0.5 प्रतिशत का योगदान देता है. कार्यक्रम में विभिन्न क्षेत्र से आये लोगों ने बिजली संसाधन पर चर्चा की.