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रांची : हृदय परिवर्तन के बाद साउल बने संत पॉल

रांची : संत पॉल्स डे की पूर्व संध्या पर गुरुवार को बहू बाजार स्थित संत पॉल्स कैथेड्रल में विशेष आराधना हुई. इस अवसर पर उपदेशक बिशप अोके तिर्की ने साउल के हृदय परिवर्तन अौर उनके संत पॉल बनने की घटनाअों पर प्रकाश डाला. बिशप ने कहा कि अगर संत पॉल न होते, तो शायद हम […]

रांची : संत पॉल्स डे की पूर्व संध्या पर गुरुवार को बहू बाजार स्थित संत पॉल्स कैथेड्रल में विशेष आराधना हुई. इस अवसर पर उपदेशक बिशप अोके तिर्की ने साउल के हृदय परिवर्तन अौर उनके संत पॉल बनने की घटनाअों पर प्रकाश डाला. बिशप ने कहा कि अगर संत पॉल न होते, तो शायद हम झारखंड के लोग मसीही भी न होते. क्योंकि उन्हीं को प्रभु ने गैर जातियों के मन परिवर्तन के लिए चुना. संत पॉल पहले साउल थे.
उनके मन में प्रभु यीशु अौर उनके शिष्यों के प्रति गलत धारणाएं थीं. वह यीशु के शिष्यों को सताते थे. एक दिन उनके जीवन में यीशु का प्रकाश आया. साउल ने यीशु की आवाज सुनी कि हे साउल तू मुझे क्यों सताता है? इस आवाज ने साउल का हृदय परिवर्तन कर दिया. हृदय परिवर्तन के बाद ही वह संत पॉल बने.
बिशप ने कहा : हमारे जीवन में भी हृदय परिवर्तन की जरूरत है. हम मसीही नहीं हो सकते हैं, अगर हमारा हृदय परिवर्तन नहीं हुआ है. इससे पूर्व आराधना का संचालन रेव्ह एसपी लुगन ने किया. रेव्ह सामुएल भुइयां, रेव्ह संजय तिग्गा, रेव्ह अरुण बरवा, रेव्ह जे डब्ल्यू तिलमिंग, रेव्ह जोसेफ बारला, रेव्ह जेम्स पनाविला, रेव्ह अमृत मसीह मुंडू सहित अन्य पुरोहितों ने आराधना में सहयोग किया.
इस अवसर पर प्रो जयंत अग्रवाल, राजकुमार नागवंशी, अजय बाखला, डॉ अनुज तिग्गा, पीपी कुजूर, नूतन बास्के, स्मृति कच्छप सहित विभिन्न शिक्षण संस्थानों के प्रमुख अौर विद्यार्थी मौजूद थे.

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