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रांची : सरयू ने लिखा पत्र, गलत माइनिंग को संरक्षण देनेवालों पर कार्रवाई करें

रांची : खाद्य आपूर्ति मंत्री सरयू राय ने खनिज समानुदान नियमावली का उल्लंघन कर बड़े पैमाने पर छद्म खनन करनेवाले खनन पट्टाधारियों के विरुद्ध कार्रवाई करने तथा इन्हें संरक्षण देनेवाले सरकार के अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग की है. उन्होंने इससे संबंधित एक पत्र भी मुख्यमंत्री रघुवर दास को लिखा है. पत्र में लिखा है […]

रांची : खाद्य आपूर्ति मंत्री सरयू राय ने खनिज समानुदान नियमावली का उल्लंघन कर बड़े पैमाने पर छद्म खनन करनेवाले खनन पट्टाधारियों के विरुद्ध कार्रवाई करने तथा इन्हें संरक्षण देनेवाले सरकार के अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग की है. उन्होंने इससे संबंधित एक पत्र भी मुख्यमंत्री रघुवर दास को लिखा है.
पत्र में लिखा है कि झारखंड में वर्ष 2003 से 2009 के बीच खनिज समानुदान नियमावली-1960 के नियम -37 का उल्लंघन करते हुए छद्म खनन कार्य किये गये हैं.
इस अवधि में लौह अयस्क का व्यापार पड़ोसी देश चीन के साथ चरम पर था. इस दौरान खनन पट्टाधारियों ने अनेक प्रकार की अनियमितता बरती. अनियमितताओं की जांच के लिये सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर 2012 में जस्टिस एमबी शाह आयोग का गठन हुआ.
आयोग ने अनियमितताओं के साथ-साथ नियमावली का उल्लंघन भी संपुष्ट किया है. आयोग ने झारखंड के लौह अयस्क खनन क्षेत्रों में बरती गयी गंभीर अनियमितताओं का पर्दाफाश किया और अवैध खननकर्ताओं पर करीब 13000 करोड रुपये का अर्थदंड लगाया.
उन्होंने लिखा है कि शाह आयोग की अनुशंसाओं के आलोक में 2013 से 2015 के बीच राज्य सरकार ने तीन जांच समितियां गठित की. तीनों समितियों ने खनन पट्टा रद्द करने की अनुशंसा की. इस अनुशंसा के आलोक में राजस्व पर्षद में सुनवाई हुई.
इसके आधार पर विभाग ने आधा दर्जन के करीब खनन पट्टाधारियों के खनन पट्टों को रद्द किया है. मंत्री ने लिखा है कि सूचना है कि जिन खनन पट्टाधारियों ने नियमावली का उल्लंघन किया है, उन पर लगे आरोपों को साबित करनेवाले कागजात को विभागीय अधिकारियों ने सुनवाई के समय सदस्य राजस्व पर्षद या कोर्ट के सामने प्रस्तुत नहीं किया है.
खान विभाग एवं राज्य प्रशासन के जो भी पूर्व और वर्तमान अधिकारी छद्म खनन के दोषियों को लंबे समय से संरक्षण देते आ रहे हैं, ऐसे अधिकारियों का समूह अवैध खननकर्ताओं की तुलना में अधिक दोषी है.

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