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रांची : तीन हिस्सों में बंटता है साइबर ठगी का पैसा

संजीत मंडल रांची : साइबर क्राइम में करमाटांड़ और देवघर जिले के लगभग दो हजार से अधिक युवा जुड़े हैं. इनकी उम्र 12 वर्ष से लेकर 35 वर्ष तक है. साइबर अपराध की ट्रेनिंग मिलने के बाद जब ये गिरोह अॉपरेशन में लगते हैं तो त्रिस्तरीय स्ट्रेटजी पर काम करते हैं और लोगों के खाते […]

संजीत मंडल
रांची : साइबर क्राइम में करमाटांड़ और देवघर जिले के लगभग दो हजार से अधिक युवा जुड़े हैं. इनकी उम्र 12 वर्ष से लेकर 35 वर्ष तक है. साइबर अपराध की ट्रेनिंग मिलने के बाद जब ये गिरोह अॉपरेशन में लगते हैं तो त्रिस्तरीय स्ट्रेटजी पर काम करते हैं और लोगों के खाते से पैसे उड़ा कर उसे ठिकाने लगाते हैं. गिरोह के सरगना राम कुमार मंडल उर्फ सीताराम मंडल की गिरफ्तारी से जो राज खुले हैं वह चौंकाने वाले हैं.
राम कुमार ने खुलासा किया था कि गिरोह के लोग त्रिस्तरीय स्ट्रेटजी पर तीन टीमों में बंट कर काम करते हैं. पहला डाटा कलेक्टर्स, दूसरा फोन करने फंसाने वाला और तीसरा पैसे की निकासी करने वाली टीम. तीनों टीमों के लिए अलग-अलग कमीशन फिक्स है. डाटा कलेक्टर्स को 30%, बात करके फंसाने वाले को 50% और पैसा निकालने वाली टीम को 20% कमीशन मिलता है.
पिछले पांच वर्षों में बढ़ी साइबर ठगों की संख्या
जामताड़ा की तत्कालीन एसपी वर्तमान में एसपी सीआइडी डॉ जया राय का भी मानना है कि करमाटांड साइबर ठगी का अड्डा बन गया है. पहले ऐसा नहीं था. पहले इक्का-दुक्का क्राइम होता था. लेकिन पिछले पांच वर्षों से यहां पर साइबर ठगों की संख्या तेजी से बढ़ी है. सबसे पहले दो लड़के दिल्ली से साइबर ठगी की ट्रेनिंग लेकर आये. फिर उन्होंने यहां के युवाओं को ट्रेनिंग दी. अब ये तीन टीमों में काम करते हैं. तीनों टीमों को उसके काम के अनुसार कमीशन मिलता है.
एक वर्ष में डेढ़ सौ से अधिक को बनाया शिकार
जामताड़ा साइबर पुलिस के अनुसार, साइबर अपराध की दुनिया का सबसे शातिर नाम राम कुमार उर्फ सीताराम मंडल है.उसने अक्तूबर 2015 से 15 मई 2016 के बीच देश भर के 150 से अधिक खाताधारियों को झांसा देकर उनके एटीएम का गुप्त नंबर लिया और लगभग एक करोड़ की ठगी की. ठगी की राशि का सारा ट्रांजेक्शन उसके करमाटांड़ एसबीआइ ब्रांच का खाता नंबर 32890346797 में हुआ है. करमाटांड़ में उसका करोड़ों का आलीशान बंगला है, जो रिमोट के जरिए खुलता है.
साइबर अपराध से जुड़े गिरोह के युवाओं के पास सरगना राम कुमार मंडल का नंबर मोबाइल में सेव था और सभी लड़के उसे हैलो मास्टर के नाम से बुलाते थे. बताया जाता है कि करमाटांड़ इलाके का वह रॉबिन हुड बनकर उभरा था. उसने साइबर अपराध की तकनीक से यहां के युवाओं को जोड़कर करमाटांड़ की आर्थिक दशा बदल दी. इस कारण इलाके के लोग भी उसे सपोर्ट करते थे.
ऐसे साइबर क्राइम की दुनिया में आया राम कुमार
राम कुमार उर्फ सीताराम 2010 में दूसरे नौजवानों की तरह काम की तलाश में मुंबई गया था. उसने पहले सड़क किनारे के एक ढाबे में और उसके बाद रेलवे स्टेशन पर बिचौलिये के तौर पर काम किया. इसी दौरान उसने कुछ कॉल सेंटरों में भी काम किया. इसी कॉल सेंटर ने उसकी जिंदगी बदल दी.
वह 2012 में जामताड़ा लौट आया. स्थानीय पुलिस के मुताबिक, चार साल बाद उसके खाते (अब जब्त) में लगभग एक करोड़, दो पक्के मकान, एक महिंद्रा स्कॉर्पियो एसयूवी है. उसकी दो बहनों की शादी अच्छे घरों में हुई है.
राम कुमार ने 400 से अधिक युवाओं को दी साइबर अपराध की ट्रेनिंग
दिल्ली पुलिस ने जब करमाटांड़ के सुंदोरजोरी के रहने वाले राम कुमार उर्फ सीताराम मंडल को गिरफ्तार किया, तो उसने बताया कि उसने 300 से 400 लड़कों को साइबर अपराध की ट्रेनिंग दी थी. इसके बाद झारखंड में साइबर अपराध का कॉल सेंटर स्थापित किया था. करमाटांड़ में बैठ कर उसके गिरोह के युवा पूरे देश के लोगों को ठग रहे थे. बताया जाता है कि वह जामताड़ा में साइबर क्राइम सिखाने का स्कूल खोल कर युवाओं को ट्रेनिंग दे रहा था.

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