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प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की कार्रवाई, आदेश जारी, बरकाकाना,भुरकुंडा, पतरातू रेलवे साइडिंग पर लगी रोक

रांची : झारखंड के रामगढ़ जिले में स्थित तीन महत्वपूर्ण रेलवे साइडिंग पतरातू, बरकाकाना और भुरकुंडा को बंद करने का आदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने दिया है. उक्त तीनों रेलवे साइडिंग से देश के दूसरे राज्यों की विभिन्न विद्युत परियोजनाओं और स्टील कंपनियों को रैक के जरिये कोयले की आपूर्ति की जाती है. रेलवे साइडिंग […]

रांची : झारखंड के रामगढ़ जिले में स्थित तीन महत्वपूर्ण रेलवे साइडिंग पतरातू, बरकाकाना और भुरकुंडा को बंद करने का आदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने दिया है. उक्त तीनों रेलवे साइडिंग से देश के दूसरे राज्यों की विभिन्न विद्युत परियोजनाओं और स्टील कंपनियों को रैक के जरिये कोयले की आपूर्ति की जाती है.
रेलवे साइडिंग के बंद होने से कई कंपनियां के उत्पादन प्रभावित हो जायेंगे. वहीं इन साइडिंग से जुड़े करीब 500 ट्रक मालिकों और हजारों लोगों के समक्ष रोजी-रोटी की समस्या उत्पन्न हो जायेगी. झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव राजीव लोचन बख्शी ने पांच दिसंबर को तीनों रेलवे साइडिंग को बंद करने का आदेश जारी किया है.
जारी आदेश में उन्होंने विधायक निर्मला देवी के माध्यम से की गयी शिकायत का उल्लेख किया है. सदस्य सचिव ने आदेश में कहा है कि विधायक ने 25 सितंबर 2018 को साइडिंग का निरीक्षण किया था. इससे संबंधित रिपोर्ट उन्होंने प्रदूषण बोर्ड को दी थी. इसके बाद बोर्ड ने कारण बताओ नोटिस जारी किया था. कंपनियों ने जो जानकारी दी, वह संतोषजनक नहीं था. इस कारण तीनों साइडिंग को बंद करने का आदेश दिया गया है.
कोयले की ढुलाई बंद होने से कई कंपनियों को लगेगा झटका
130 रैक कोयले की ढुलाई हर माह होगी प्रभावित, सीसीएल को भी नुकसान
तीनों साइडिंग बंद होने से सीसीएल पर भी सीधा असर पड़ेगा. सीसीएल से कोयले ढुलाई का काम रेलवे साइडिंग में वेदांता, आधुनिक, एसएसपीके और झांझर ग्रुप करता है. तीनों साइडिंग से करीब 130 रैक कोयले की ढुलाई हर माह होती है. भुरकुंडा से 30 से 35, पतरातू 40 से 45 और बरकाकाना से 50 के करीब ही प्रति माह रैक निकलता है. एक रैक में मालगाड़ी की 58 बोगी लगती है.
बिना सीटीइ और सीटीओ के चल रहा था साइडिंग
सदस्य सचिव ने लिखा है कि तीनों साइडिंग बिना कंसेंट टू इस्टेबलिशमेंट और कंसेंट टू ऑपरेट के चल रहा था. यहां वाहनों के संचालन से होनेवाले प्रदूषण को रोकने के उपाय नहीं किये जा रहे थे. मालूम हो कि भुरकुंडा, पतरातू और बरकाकाना साइडिंग में सीसीएल व निजी कंपनियों के कोयले की ट्रांसपोर्टिंग होती है.
हर साइडिंग से देश के कई इलाकों में कोयले की ढुलाई होती है. इसके अतिरिक्त कई स्मॉल स्केल इंडस्ट्रीज को भी कोयला भेजा जाता है. तीनों रेलवे साइडिंग में स्पंज फैक्टरियों का आयरन ओर भी उतारा जाता है. एक रेलवे रैक में 58 बोगी होती है. हर एक डिब्बे में 38 से 48 मीट्रिक टन कोयला लोड होता है. एक रैक में करीब 3850 टन कोयला होता है.

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