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रांची : लोकायुक्त ने मुख्य अभियंता को हटाने का दिया था आदेश, जल संसाधन विभाग ने दिया अतिरिक्त प्रभार

रांची : सुवर्णरेखा बहुदेशीय परियोजना चांडिल परिक्षेत्र (स्वतंत्र चालू प्रभार), जमेशदपुर के मुख्य अभियंता वीरेंद्र कुमार राम को तत्काल प्रभाव से पद से हटाने और विभागीय कार्रवाई करने का आदेश लोकायुक्त जस्टिस डीएन उपाध्याय ने 19 नवंबर को जल संसाधन विभाग के सचिव को दिया था. लेकिन विभाग ने वीरेंद्र कुमार राम को उनके पद […]

रांची : सुवर्णरेखा बहुदेशीय परियोजना चांडिल परिक्षेत्र (स्वतंत्र चालू प्रभार), जमेशदपुर के मुख्य अभियंता वीरेंद्र कुमार राम को तत्काल प्रभाव से पद से हटाने और विभागीय कार्रवाई करने का आदेश लोकायुक्त जस्टिस डीएन उपाध्याय ने 19 नवंबर को जल संसाधन विभाग के सचिव को दिया था.
लेकिन विभाग ने वीरेंद्र कुमार राम को उनके पद से नहीं हटाया. बल्कि उन्हें अगले दिन 20 नवंबर को पद पर बरकरार रखते हुए ग्रामीण विकास विशेष प्रक्षेत्र के मुख्य अभियंता का अतिरिक्त प्रभार दे दिया.
जबकि लोकायुक्त कार्यालय ने लोकायुक्त के आदेश संबंधी पत्र और उससे जुड़ा दस्तावेज अभियंता के विभागीय कार्यालय को 20 नवंबर को ही उपलब्ध करा दिया था. बावजूद इसके विभाग द्वारा कार्रवाई की जगह विभाग द्वारा अभियंता को अतिरिक्त जवाबदेही सौंपे जाने को लेकर सवाल उठ रहे हैं.
क्या था लोकायुक्त का आदेश : लोकायुक्त ने अपने आदेश में कहा था कि निविदा में दिये गये शर्तों के विपरीत पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाते हुए पद का दुरुपयोग कर मेसर्स गौरव कांट्रैक्टर प्रालि के पक्ष में मुख्य अभियंता ने कार्य आवंटित किया. इसलिए जल संसाधन विभाग के अपर मुख्य सचिव लोकायुक्त अधिनियम की धारा 12(5)(क) के तहत मुख्य अभियंता वीरेंद्र कुमार राम को तत्काल प्रभाव से हटाते हुए विभागीय कार्रवाई करें.
तीन माह के अंदर कृत कार्रवाई प्रतिवेदन समर्पित करें. लोकायुक्त ने आदेश में यह भी कहा है कि मेसर्स गौरव कांट्रैक्टर प्रालि ने टेंडर हासिल करने के लिए फर्जी दस्तावेज का उपयोग किया. इसलिए इसके खिलाफ भी विधिसम्मत कार्रवाई जरूरी है. जरूरी होने पर इस पर प्राथमिकी भी दर्ज करायी जा सकती है. मामले की जांच में कई तरह की त्रुटियां लोकायुक्त ने पायी है.
फर्जी दस्तावेज पर दे दिया था काम :
सरायकेला-खरसावां जिला में मुखिया होटल से चांडिल डैम तक एक किमी. सड़क की विशेष मरम्मत के लिए सुवर्णरेखा प्रमंडल संख्या-2 के कार्यपालक अभियंता ने 2017 में निविदा निकाला. टेंडर में सात निविदादाताओं ने भाग लिया.
दस्तावेजों के आधार पर कार्यपालक अभियंता ने फाइल मुख्य अभियंता के पास भेजी. मुख्य अभियंता ने स्थानीय होने की बात कहते हुए जून 2017 में कार्य गौरव कांट्रैक्टर को सौंप दिया. जबकि निविदा शर्त में स्थानीयता की बात कहीं पर नहीं कही गयी थी. अन्य पांच निविदादाता पूर्वी सिंहभूम जिले से निबंधित थे. जिन्हें स्थानीय नहीं होने की बात कहते हुए उनके आवेदन को अस्वीकृत कर दिया गया.

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