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रांची : जिस व्यापार में हाथ लगाया, उसे बुलंदियों पर पहुंचाया

किसी भी काम में सफलता ऐसे ही हासिल नहीं होती है. इसके पीछे कठिन परिश्रम और समर्पण जरूरी होता है. हमारे शहर के कई ऐसे बिजनेसमैन हैं, जिन्होंने अपनी सफलता के बूते प्रदेश का नाम रोशन किया है. अब हर सप्ताह एक ऐसे बिजनेसमैन की सफलता की कहानी हम प्रकाशित करेंगे. इस शृंखला की पहली […]

किसी भी काम में सफलता ऐसे ही हासिल नहीं होती है. इसके पीछे कठिन परिश्रम और समर्पण जरूरी होता है. हमारे शहर के कई ऐसे बिजनेसमैन हैं, जिन्होंने अपनी सफलता के बूते प्रदेश का नाम रोशन किया है. अब हर सप्ताह एक ऐसे बिजनेसमैन की सफलता की कहानी हम प्रकाशित करेंगे. इस शृंखला की पहली कड़ी :
रांची : कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता. हर विकट परिस्थिति का सामना किया. जिस व्यापार में हाथ लगाया, उसे ऊंचाइयों पर पहुंचाया. ग्राहकों की संतुष्टि पर पूरा फोकस किया.
कपड़े के व्यापार के बाद विभिन्न प्रकार के कारोबार में सफलता का कीर्तिमान स्थापित किया. हम बात कर रहे हैं प्रेमसंस ग्रुप के सीएमडी पुनीत कुमार पोद्दार और निदेशक पंकज पोद्दार की.
सफलता यूं ही नहीं मिलती : पुनीत पोद्दार कहते हैं कि सफलता यूं ही नहीं मिलती. कठिन परिश्रम करना पड़ा. कई बार ऐसे समय आये, जब व्यापार के लिए कोयले वाले मालगाड़ी के इंजन में बैठ कर सफर करना पड़ता था.
कई बार धर्मशाला में ठहरता था. सफलता का श्रेय पिता प्रेम कुमार पोद्दार, परदादा हनुमान बक्श पोद्दार और दादा सत्यनारायण पोद्दार को देते हैं. पुनीत पोद्दार कहते हैं कि 100 साल से अधिक समय पूर्व परदादा हनुमान बक्स जी पोद्दार ने कपड़े का व्यापार शुरू किया था. उसका नाम टेक्सटाइल डिस्ट्रीब्यूटरशिप बाबूलाल प्रेमकुमार है.
बनना चाहता था डॉक्टर : श्री पोद्दार कहते हैं कि मैं डॉक्टर बनना चाहता था. एक दिन दादा जी ने कहा कि घर के तुम बड़े लड़के हो, तुमको बिजनेस संभालना चाहिए. 15 साल की उम्र से ही व्यापार में हाथ बंटाने लगा. पुनीत पोद्दार के पिता प्रेम कुमार पोद्दार 1999 में बीमार पड़ गये और 2001 में उनका निधन हो गया.
छोटे भाई पंकज पोद्दार ने हिम्मत दिया और कपड़े के व्यवसाय के बाद ऑटोमोबाइल के क्षेत्र में कदम रखा. पिछले चार साल से पुनीत पोद्दार के बेटे अवध पोद्दार ऑटोमोबाइल बिजनेस में योगदान दे रहे हैं.
2005 में मारुति की डीलरशिप ली
कपड़ा व्यवसाय में सफलता के बाद 2005 में मारुति की डीलरशिप शुरू की. श्री पोद्दार कहते हैं कि 13 साल के दौरान पूरे इलाके में अव्वल नंबर पर रहा. नयी गाड़ियों के चार, पुरानी गाड़ियों के तीन शोरूम और चार वर्कशॉप हैं. डालटनगंज और गुमला में छोटे शोरूम एवं वर्कशाॅप हैं, जबकि सात ग्रामीण आउटलेट हैं.
आनेवाले दिनों में हजारीबाग में नेक्सा के शोरूम खोलने की तैयारी है. कपड़ा, ऑटोमोबाइल क्षेत्र के बाद 2008 में देवघर के जगदीशपुर में स्थित एक रूग्न रेलवे स्लीपर फैक्टरी ली. नाम मूवा इंडस्ट्रीज हैं. 2012 में होंडा की डीलरशिप ली. 2017 में अशोक लीलैंड की डीलरशिप ली. समाज हित में परिवार के सदस्य राजीव बैरोलिया के साथ मिल कर दवाई दोस्त की शुरुआत की.

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