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रांची : गिरिडीह जिले के 58 शिक्षण संस्थानों को नहीं दी गयी अनुदान की राशि
रांची : स्कूली शिक्षा व साक्षरता विभाग ने पिछले वित्तीय वर्ष 2017-2018 के 85 करोड़ रुपये अनुदान राशि में से 42 करोड़ रुपये का आवंटन वित्तरहित शिक्षण संस्थानों को किया है. बजट की पूरी राशि का आवंटन नहीं दिया गया है. विभाग ने सबसे अधिक गिरिडीह जिले के 58 शिक्षण संस्थानों को उपेक्षित रखा है. […]
रांची : स्कूली शिक्षा व साक्षरता विभाग ने पिछले वित्तीय वर्ष 2017-2018 के 85 करोड़ रुपये अनुदान राशि में से 42 करोड़ रुपये का आवंटन वित्तरहित शिक्षण संस्थानों को किया है. बजट की पूरी राशि का आवंटन नहीं दिया गया है.
विभाग ने सबसे अधिक गिरिडीह जिले के 58 शिक्षण संस्थानों को उपेक्षित रखा है. इस जिले के मान्यता प्राप्त वित्तरहित 22 संस्कृत स्कूल, 28 मदरसा, पांच हाइस्कूल व तीन इंटर कॉलेज को अनुदान राशि नहीं दी गयी है. उन्हें अनुदान से वंचित कर दिया गया है, जबकि वित्तीय वर्ष 2016-2017 तक उक्त सभी संस्थानों को अनुदान राशि दी गयी है.
झारखंड राज्य वित्तरहित शिक्षा संयुक्त संघर्ष मोर्चा ने अनुदान वितरण में अनियमितता का आरोप लगाते हुए राज्य के मुख्यमंत्री से अविलंब हस्तक्षेप करने की मांग की है.
मोर्चा ने इसका विरोध करते हुए प्रधान सचिव को हटाने की मांग करते हुए वित्तीय वर्ष 2017-2018 की आधी-अधूरी नियमावली के विरुद्ध दी गयी अनुदान राशि का बहिष्कार करने की घोषणा की. 2018-2019 के तहत अनुदान के लिए अॉनलाइन आवेदन भी कोई संस्थान नहीं देगा. आंदोलन करने के पूर्व मुख्यमंत्री से मिलने की बात कही गयी.
मोर्चा के रघुनाथ सिंह, नरोत्तम सिंह, नरेश घोष, विजय कुमार झा, मनीष कुमार ने कहा कि प्रधान सचिव एपी सिंह वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये जिला शिक्षा पदाधिकारियों (डीइअो) से जानकारी ले रहे थे. उस दिन गिरिडीह के डीइअो उपस्थित नहीं हुए. इससे नाराज होकर विभाग ने गिरिडीह के 58 शिक्षण संस्थानों का अनुदान काट दिया. वहीं अन्य डीइअो जो कॉन्फ्रेंसिंग में उपस्थित नहीं हुए, उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गयी.
शिक्षण संस्थानों का कोई कसूर नहीं है. सभी विद्यालय व महाविद्यालय मानक पूरा करते हैं. अनुदान अधिनियम 2004 व अनुदान नियमावली-2015 में भी कहा गया है कि 40 प्रतिशत से अधिक परीक्षाफल लानेवाले संस्थानों को पूरा अनुदान दिया जायेगा.
अनुदान घटाने के पूर्व संस्थानों को शो कॉज जारी करना चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं किया गया. उसी नियमावली के आधार पर डिग्री कॉलेजों को अनुदान दिया गया. इंटर कॉलेजों व स्कूलों के साथ भेदभाव क्यों किया जा रहा है. नियमावली के विरुद्ध कार्य किया जा रहा है.
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