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मलूटी मंदिरों के जीर्णाेद्धार का काम रुका

रांची : दुमका के शिकारीपाड़ा स्थित प्राचीन मंदिरों के गांव मलूटी के संरक्षण और जीर्णोद्धार का कार्य बंद हो गया है. पर्यटन विभाग द्वारा राशि का आवंटन नहीं करने के कारण मलूटी मंदिरों के संरक्षण व जीर्णोद्धार कार्य कर रही संस्था इंडियन ट्रस्ट फॉर रूरल हेरिटेज एंड डेवलपमेंट ने एक अगस्त से काम रोक दिया […]

रांची : दुमका के शिकारीपाड़ा स्थित प्राचीन मंदिरों के गांव मलूटी के संरक्षण और जीर्णोद्धार का कार्य बंद हो गया है. पर्यटन विभाग द्वारा राशि का आवंटन नहीं करने के कारण मलूटी मंदिरों के संरक्षण व जीर्णोद्धार कार्य कर रही संस्था इंडियन ट्रस्ट फॉर रूरल हेरिटेज एंड डेवलपमेंट ने एक अगस्त से काम रोक दिया है. मलूटी मंदिरों के संरक्षण और जीर्णोद्धार कार्य का ऑनलाइन शिलान्यास दो अक्तूबर 2015 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने झारखंड दौरे के दौरान किया था.

मलूटी मंदिरों के जीर्णाेद्धार…
75 लाख का भुगतान राेका गया है
मंदिरों के संरक्षण और जीर्णोद्धार पर कुल 6.76 करोड़ रुपये खर्च किये जाने हैं. पहले चरण में 3.25 करोड़ रुपये से 20 मंदिरों का जीर्णोद्धार किया जाना है. इसके लिए काम रही संस्था इंडियन ट्रस्ट फॉर रूरल हेरिटेज एंड डेवलपमेंट को अब तक 2.50 कराेड़ का भुगतान किया जा चुका है. शेष 75 लाख रुपये का भुगतान नवंबर 2017 से ही पर्यटन विभाग ने रोक रखा है. विभाग का कहना है कि उसने काम करा रही संस्था से उन्हें पहले दी गयी राशि का उपयाेगिता प्रमाणपत्र मांगा है. साथ ही, क्या काम हुआ, उसका विवरण भी मांगा है. पर वह अब तक नहीं मिल रहा है.
कार्य की सराहना हुई है
इधर खबर है कि संस्था के कार्य में विभागीय अधिकारियों द्वारा कोई लिखित आपत्ति नहीं की गयी है. मुख्य सचिव व ऑर्कियोलॉजिक सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआइ) द्वारा भी कार्य की सराहना करते हुए जल्द पूरा करने के निर्देश दिये गये हैं.
62 मंदिरों का किया जाना है संरक्षण और जीर्णोद्धार
प्राचीन मंदिरों के गांव मलूटी में कुल 62 मंदिरों के संरक्षण और जीर्णोद्धार का कार्य किया जाना है. मंदिरों के आस-पास की जगहों का भी विकास कार्य किया जाना है. वहां लैंड स्केपिंग, पॉथ वे, ड्रेनेज आदि बनाया जाना है. जुलाई महीने में मुख्य सचिव सुधीर त्रिपाठी ने मलूटी में किये जा रहे कार्यों की समीक्षा की थी. संताल परगना दौरे के दौरान मुख्य सचिव ने स्वयं जाकर मंदिरों में किये जा रहे कार्य का मुआयना भी किया था. उस दौरान मुख्य सचिव ने मलूटी के विजिटर्स डायरी में तेजी से करते विकास कार्य शीघ्रता से पूरा करने की बात लिखी थी.
जीर्णाेद्धार करना है, ताे मंदिराें के मूल स्वरूप काे बिना परिवर्तित किये ही कराया जाये, अन्यथा जिस स्थिति में है, उसी स्थिति में रहने दिया जाये. जीर्णाेद्धार में सीमेंट आैर गिट्टी का प्रयाेग हाे रहा है, जाे उचित नहीं है. प्राे सुरेंद्र झा, सदस्य, मंदिर संरक्षण समिति
62 मंदिरों का किया जाना है संरक्षण और जीर्णोद्धार
इंडियन ट्रस्ट फॉर रूरल हेरिटेज एंड डेवलपमेंट को अब तक 2.5 करोड़ रुपये का भुगतान किया जा चुका है. उसमें से 1.90 करोड़ रुपये का उपयोगिता प्रमाण पत्र संस्था द्वारा सौंपा गया है. 60 लाख रुपये अब तक अग्रिम के रूप में संस्था के पास हैं. संस्था द्वारा काम की गुणवत्ता के साथ समझौता किया जा रहा है. मुख्य सचिव उनके कार्य से संतुष्ट नहीं हैं. दुमका के उपायुक्त ने भी कार्य से संबंधित निगेटिव रिपोर्ट विभाग को भेजी है. कार्य की गुणवत्ता की जांच के लिए एएसआइ को भी लिखा गया है.
– डॉ मनीष रंजन, सचिव, पर्यटन, खेल-कूद, कला संस्कृति व युवा कार्य विभाग
मलूटी मंदिरों के विकास कार्य के लिए पर्यटन विभाग राशि नहीं जारी कर रहा है. राशि के अभाव में संस्था द्वारा आगे काम करना संभव नहीं है. काम की गुणवत्ता खराब होने जैसी कोई बात नहीं है. मुख्य सचिव ने स्वयं कार्य का निरीक्षण किया है. एएसआइ के अधिकारी भी काम देख चुके हैं. अब तक किसी ने भी कार्य की गुणवत्ता पर सवाल नहीं उठाया है.
– चंद्रदेव सिंह, राज्य प्रमुख, इंडियन ट्रस्ट फॉर रूरल हेरिटेज एवं डेवलपमेंट

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