राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स में नहीं सुलझ रही है पानी की समस्या
राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स में पानी की समस्या सुलझने का नाम नहीं ले रही है. शनिवार को शुरू हुई पानी की किल्लत रविवार को भी जारी रही. बूटी जलागार से पानी की सप्लाई नहीं होने के कारण रिम्स के चार तलों पर स्थित सभी 16 वार्डों में पानी नहीं मिल पाया. इससे विभिन्न वार्ड में भर्ती करीब 1350 से ज्यादा मरीज और उनके साथ रह रहे करीब 1500 परिजनों को पानी के लिए तरसते रहे.
23 जून की दोपहर 12 बजे के बाद से बूटी जलागार से नहीं मिल रहा पानी
दूसरे दिन भी पानी नहीं मिलने के कारण परेशान हो गये मरीज और परिजन
रांची : बूटी जलागार से शनिवार दोपहर 12 बजे के बाद से ही रिम्स की जलापूर्ति प्रभावित हो गयी थी. दूसरे दिन रविवार को भी पानी नहीं मिल पाने के कारण संकट अौर गहरा गया. विभिन्न वार्डों में भर्ती मरीजों के परिजन पानी के जुगाड़ में दिनभर भटकते रहे. कोई बाजार से बोतलबंद पानी को खरीद कर लाया, तो कोई अस्पताल के बाहर लगे चापानल से पानी भरता दिखा. रिम्स प्रबंधन भी पानी की समस्या के निदान के लिए विवश दिखा.
प्रबंधन ने स्वीकार किया कि पानी की समस्या का स्थायी निदान नहीं हो पा रहा है. हालांकि, पानी की किल्लत के कारण सोमवार को ऑपरेशन बाधित होने की आशंका नहीं है, क्योंकि रिम्स प्रबंधन पहले से ही ओटी के लिए अलग से बोरिंग करा चुका है. लेकिन वार्डों के लिए जलापूर्ति की स्थायी व्यवस्था नहीं होने की वजह से मरीजों को परेशानी होती रहेगी. इसके निदान के लिए रिम्स प्रबंधन को एक लाख गैलन क्षमता वाला दूसरा संप और डबल सप्लाई की व्यवस्था करनी ही होगी.
स्थायी समाधान की जरूरत, लेकिन इसमें एक महीने का समय लगेगा
िवभाग से मिल गयी है नया संप बनने की अनुमति
रिम्स में दो दिन से पानी की समस्या है, जिससे वार्ड में पानी नहीं मिल रहा है. तत्काल निदान के लिए वार्ड के लिए अलग से तीन बोरिंग कराने पर विचार चल रहा है. वैसे पानी की समस्या के स्थायी निदान में अभी एक माह का समय लगेगा. नया संप लगाने और डबल कनेक्शन के लिए निविदा निकालनी होगी, जिसमें कम से कम एक माह समय तो लगेगा ही. विभाग से इसकी अनुमति मिल गयी है.
डॉ आरके श्रीवास्तव, निदेशक, रिम्स
हड्डी विभाग की सीआर्म मशीन खराब, दर्जनों ऑपरेशन फंसे
रिम्स के हड्डी विभाग में दर्जनों मरीजों का ऑपरेशन फंसा हुआ है, क्योंकि विभाग की सी-आर्म मशीन खराब है. यह मशीन 15 साल से ज्यादा पुरानी है. इधर, मरीजों के परिजन ऑपरेशन के लिए डॉक्टराें का चक्कर लगाते-लगाते थक गये हैं. वहीं, डाॅक्टरों का कहना है कि मशीन ठीक होने के बाद ही ऑपरेशन संभव है.
गौरतलब है कि आर्थो विभाग में 200 से ज्यादा मरीज भरती रहते हैं, जिसमें 50 फीसदी के ऑपरेशन में सी-आर्म मशीन की आवश्यकता पड़ती है. रिम्स के आर्थो विभाग में डॉक्टरों की भी कमी है. विभाग में एक प्रोफेसर, दो एसाेसिएट प्रोफेसर व पांच सीनियर रेसिडेंट काम कर रहे हैं. जबकि एक प्रोफेसर, दो एसोसिएट प्रोफेसर, चार असिसटेंट प्रोफेसर की जरूरत है. इस बारे में अस्पताल के अधीक्षक डॉ विवेक कश्यप ने बताया कि जल्द ही नयी सी-आर्म मंगा ली जायेगी. इकसे लिए निविदा निकाल दी गयी है.