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केंद्र की दो बड़ी योजनाएं बंद, पंचायतों में राशि का अभाव, गांवों का विकास प्रभावित
रांची : दो बड़ी केंद्रीय योजनाअों के बंद हो जाने से ग्राम पंचायतों का विकास प्रभावित हो रहा है. ग्राम पंचायतों में राशि का अभाव हो रहा है. ऐसे में कई जरूरी काम भी नहीं हो पा रहे हैं. अति आवश्यक होने पर भी काम कराने के लिए लंबे समय तक इंतजार करना पड़ रहा […]
रांची : दो बड़ी केंद्रीय योजनाअों के बंद हो जाने से ग्राम पंचायतों का विकास प्रभावित हो रहा है. ग्राम पंचायतों में राशि का अभाव हो रहा है.
ऐसे में कई जरूरी काम भी नहीं हो पा रहे हैं. अति आवश्यक होने पर भी काम कराने के लिए लंबे समय तक इंतजार करना पड़ रहा है. यानी ग्राम पंचायतों में अब पहले की तरह काम नहीं हो पा रहे हैं. बैकवर्ड रीजन ग्रांट फंड (बीआरजीएफ) व इंटीग्रेटेड एक्शन प्लान (आइएपी) के बंद हो जाने से ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गयी है.
प्रत्येक जिले को 40-50 करोड़ रुपये मिलते थे : जानकारी के मुताबिक, पहले बीआरजीएफ व आइएपी दोनों योजनाएं गांवों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती थीं. हर साल दोनों योजनाओं को मिला कर प्रत्येक जिले को 40-50 करोड़ रुपये मिलते थे. इस राशि से बड़ी संख्या में छोटी-छोटी योजनाएं पूरी हो जाती थीं.
बीआरजीएफ के तहत योजना चयन के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में कमेटी बनी हुई थी. वहीं आइएपी के लिए जिला में उपायुक्त, पुलिस अधीक्षक, जिला वन क्षेत्र पदाधिकारी की कमेटी योजनाअों का चयन करती थी. ऐसे में गांवों के लिए बड़ी संख्या में छोटी-छोटी योजनाएं स्वीकृत की जा रही थीं .
बीआरजीएफ से तत्काल हो जाता था काम
गांवों में अगर तत्काल छोटा सा काम कराने की जरूरत पड़जाती थी, तो बीआरजीएफ बड़ा सहारा था. तत्काल बीआरजीएफ से इसका काम हो जाता था. झारखंड में जमशेदपुर को छोड़ कर शेष सारे जिलों को इससे राशि आवंटित होती थी. इसका उद्देश्य था कि जहां सरकार के स्तर पर कुछ काम छूट गया है और तत्काल उसे करने की जरूरत है, तो उसे बीआरजीएफ से कर दिया जाता था.
अब सिर्फ 14वें वित्त आयोग की राशि का ही है सहारा
बीआरजीएफ व आइएपी के बंद हो जाने के बाद अब केवल 14वें वित्त आयोग की राशि का ही सहारा है. पंचायतों के प्रतिनिधियों का कहना है कि इसकी राशि विकास के लिए पर्याप्त नहीं है. फिलहाल जितनी राशि की जरूरत है, उतनी भी नहीं मिल पा रही है.
राज्य की राशि से भी करना है काम
राज्य के सारे विभागों को यह निर्देश है कि वे गांवों में अपने-अपने विषय से संबंधित विकास कार्य करायें. यह देखें कि कौन सी योजनाओं की जरूरत है. उसके बाद उसे पूरा करायें.
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