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टाटा के कैंसर अस्पताल की फाइल 11 माह से लटकी

रांची : टाटा ट्रस्ट की ओर से रांची में कैंसर अस्पताल खोलने के लिए अब तक एमओयू नहीं हो सका है. विभागीय पेंच में टाटा का यह प्रस्ताव उलझा हुआ है. जबकि टाटा ट्रस्ट द्वारा अगस्त 2017 में ही अस्पताल खोलने का प्रस्ताव दिया गया था. टाटा ट्रस्ट द्वारा राज्य सरकार से 23.5 एकड़ जमीन […]

रांची : टाटा ट्रस्ट की ओर से रांची में कैंसर अस्पताल खोलने के लिए अब तक एमओयू नहीं हो सका है. विभागीय पेंच में टाटा का यह प्रस्ताव उलझा हुआ है. जबकि टाटा ट्रस्ट द्वारा अगस्त 2017 में ही अस्पताल खोलने का प्रस्ताव दिया गया था. टाटा ट्रस्ट द्वारा राज्य सरकार से 23.5 एकड़ जमीन मांगी गयी थी. सरकार द्वारा विभिन्न जगहों को दिखाये जाने के बाद टाटा ट्रस्ट ने रिनपास कैंपस की जमीन को पसंद किया. रिनपास बोर्ड द्वारा भी टाटा ट्रस्ट को जमीन दिये जाने का प्रस्ताव भी पारित कर दिया गया. पर स्थिति यह है कि अब तक टाटा ट्रस्ट को न जमीन मिली है और न ही एमओयू हो सका है.
सीएम ने रतन टाटा से किया था आग्रह : फरवरी 2017 में आयोजित मोमेंटम झारखंड के दौरान रतन टाटा से मुख्यमंत्री रघुवर दास ने टीएमएच मुंबई की तरह रांची में भी एक कैंसर अस्पताल खोलने का आग्रह किया था. रतन टाटा ने उसी समय प्रस्ताव पर मंजूरी दे थी. इसके बाद अगस्त में विधिवत सरकार को प्रस्ताव दिया गया. स्वास्थ्य विभाग के तत्कालीन अपर मुख्य सचिव सुधीर त्रिपाठी ने अविलंब कार्रवाई करते हुए टाटा के अधिकारियों को इटकी और रिनपास में जमीन दिखाया.
टाटा के कैंसर अस्पताल…
जिसमें टाटा द्वारा रिनपास में अस्पताल खोलने पर सहमति दी गयी. बताया गया कि टाटा द्वारा स्टेट अॉफ आर्ट कैंसर अस्पताल खोलने की बात कही गयी है. टीएमएच मुंबई की तर्ज पर वहां तमाम सुविधाएं होंगी. ताकि पूर्वी भारत के मरीज यहीं अपना इलाज करा सके.
वित्त विभाग ने जमीन को लेकर जताया था एतराज
विभागीय सूत्रों ने बताया कि टाटा को जमीन दिये जाने के मामले में जब वित्त विभाग को प्रस्ताव भेजा गया था. तब 23.5 एकड़ जमीन को लेकर एतराज जताया गया था. कहा गया था कि टाटा का मुंबई स्थित अस्पताल 4.5 एकड़ में है तब यहां इतनी जमीन की जरूरत क्यों है. इसके बाद टाटा के अन्य राज्यों में बननेवाले कैंसर अस्पताल के जमीनों की जानकारी भी मांगी गयी. गौरतलब है कि टाटा द्वारा रांची समेत असम व तिरूपति में एक-एक कैंसर अस्पताल खोला जाना है. इस बाबत टाटा ट्रस्ट प्रबंधन से जवाब भी मांगा गया. टाटा ट्रस्ट प्रबंधन पूरी जमीन का क्या और कैसे इस्तेमाल होगा इसकी जानकारी दी. टाटा द्वारा सरकार को बताया गया कि वहां ग्रीन एरिया भी होगा, जहां पार्क बनेगा. इससे मरीज तेजी से स्वस्थ होंगे. डॉक्टरों, नर्सों और पारा मेडिकल स्टाफ के रहने के लिए क्वार्टर होंगे. साथ ही मरीजों के अटेंडेंट के लिए भी एक धर्मशाला बनवाया जायेगा, ताकि अटेंडेंट भी मरीज के साथ ही रह सकेंगे और उनकी देखरेख भी कर सकेंगे. हालांकि एतराज के बाद टाटा की परियोजना में करीब छह माह का विलंब हो गया है.
टाटा द्वारा असम और आंध्र प्रदेश में किये गये एमओयू का प्रारूप भी झारखंड सरकार को सौंप दिया गया. इसके बाद सरकार ने एसपीवी बनाने का प्रस्ताव दिया. जिसमें कहा गया है कि यदि सरकार जमीन दे रही है तो प्रबंधन में केवल टाटा के ही लोग नहीं रहेंगे बल्कि सरकार के लोग भी रहेंगे. इसे लेकर काफी जिच चलता रहा. सूत्रों ने बताया कि टाटा अब राजी हो गया है कि सरकार के लोग भी रहेंगे. इसके बाद अब प्रक्रिया आगे बढ़ाने की बात की जा रही है.
जमीन मिल जाये तो 18 माह में पूरा हो जायेगा अस्पताल
विभागीय सूत्रों ने बताया कि टाटा ट्रस्ट द्वारा कहा गया है कि सरकार जैसे ही जमीन हस्तांतरित कर देगी इसके ठीक 18 माह बाद राज्य में अस्पताल चालू हो जायेगा.
15 दिनों में टाटा के साथ एमओयू : मुख्य सचिव
मुख्य सचिव सुधीर त्रिपाठी ने कहा कि वित्त विभाग द्वारा अधिक जमीन दिये जाने को लेकर कुछ आपत्ति की गयी थी. जिसे सुलझा लिया गया है. टाटा द्वारा जवाब भी दे दिया गया है. यह सही है कि कुछ विलंब हुआ है. वजह है कि एमओयू का प्रारूप क्या और कैसे हो इस पर डिस्कशन चल रहा था. पर अब सबकुछ सुलझ गया है.
टाटा ट्रस्ट द्वारा न केवल अस्पताल खोला जायेगा. बल्कि पूरे राज्य में कैंसर नियंत्रण का काम किया जायेगा. झारखंड के कैंसर रोगियों की देखरेख की पूरी जिम्मेवारी टाटा को सौंपी जा रही है. सरकार का इच्छा भी है कि टाटा द्वारा यहां एक बेहतरीन अस्पताल खुले और इस दिशा में तेजी से काम हो रहा है. एमओयू होते ही काम आरंभ हो जायेगा.

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