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कहां गये झालको के छह करोड़, खोज रही ट्रेजरी, कर्मियों के वेतन पर भी आफत, जानें कैसे हुआ खुलासा
मनोज सिंह बिल हो गया पास, पर खाते में नहीं गया पैसा रांची : झारखंड हिल एरिया लिफ्ट एरिगेशन कॉरपोरेशन (झालको) के करीब छह करोड़ रुपये का पता नहीं चल रहा है. पिछले वित्तीय वर्ष की यह राशि रांची ट्रेजरी से गायब है. झालको ने पैसे का पता करने का आग्रह रांची ट्रेजरी के अधिकारियों […]
मनोज सिंह
बिल हो गया पास, पर खाते में नहीं गया पैसा
रांची : झारखंड हिल एरिया लिफ्ट एरिगेशन कॉरपोरेशन (झालको) के करीब छह करोड़ रुपये का पता नहीं चल रहा है. पिछले वित्तीय वर्ष की यह राशि रांची ट्रेजरी से गायब है. झालको ने पैसे का पता करने का आग्रह रांची ट्रेजरी के अधिकारियों से भी किया है.
अब रांची ट्रेजरी पैसा खोज रही है. राशि का पता नहीं चल पाने की जानकारी झालको ने वित्त व जल संसाधन विभाग के अपर मुख्य सचिव और रांची के डीसी को भी दी है. झालको के इस पैसे का बिल पास हो गया था. बिल पास होने के बाद राशि झालको के पीएल एकाउंट में जानी चाहिए थी. लेकिन अब तक खाते में नहीं आयी है.
योजना मद की थी राशि : झालको को जल संसाधन विभाग से दो शीर्ष (हेड) में 5.10 करोड़ और छह करोड़ रुपये आवंटित किये गये थे. दोनों राशि योजना मद की थी. फरवरी में निकासी के लिए पैसे का बिल बना कर झालको ने रांची ट्रेजरी को दिया. नियमानुसार ट्रेजरी से आग्रह किया गया कि पैसा पीएल एकाउंट में डाल दें. 21 मार्च तक इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. 22 मार्च को इसका विपत्र पारित कर दिया गया.
28 मार्च को पारित विपत्र का बुक ट्रांसफर (बीटी) कर दिया गया. झालको ने ट्रेजरी में दो बिल जमे किये थे. रांची ट्रेजरी ने दोनों बिल का बुक ट्रांसफर कर दिया. बिल संख्या 79 से 5.10 करोड़ और बिल संख्या 80 से छह करोड़ रुपये बीटी किया गया. इसके बाद दोनों राशि झालको के पीएल एकाउंट में चली जानी चाहिए था. पर इसमें से 5.10 करोड़ रुपये ही खाते में गया. छह करोड़ का पता आज तक नहीं चल पाया.
कर्मियों के वेतन पर भी आफत
योजना मद में खर्च की गयी राशि का सात फीसदी वेतन मद में जाता है. विभाग को योजना मद में जो आवंटन मिलता है, उसी राशि से कर्मियों का वेतन व अन्य खर्च किया जाता है. राशि लैप्स हो जाने से कर्मियों का वेतन व अन्य मद का काम भी प्रभावित होगा.
कैसे हुआ खुलासा
झालको के कर्मियों को लगा कि दोनों राशि खाते में चली गयी है. झालको ने एक संवेदक को दो करोड़ रुपये के भुगतान का बिल ट्रेजरी में भेजा. संवेदक जब ट्रेजरी में गया, तो पता चला कि झालको के छह करोड़ रुपये एकाउंट में नहीं आये हैं. इसकी जानकारी मिली, तो झालको कर्मी ट्रेजरी गये. पता किया तो अधिकारियों ने मौखिक रूप से जानकारी दी कि पैसा लैप्स हो गया है. कर्मियों ने यह जानने की कोशिश की कि बुक ट्रांसफर के बाद पैसे कैसे लैप्स हो सकते हैं. अगर लैप्स हो भी गये, तो ट्रेजरी वालों ने इसकी कोई जानकारी क्यों नहीं दी.
क्या कहते हैं अधिकारी
क्या हुआ झालको के पैसे का?
डीडीओ स्तर पर गड़बड़ी के कारण ऐसा हुआ है. पैसा लैप्स हो गया है. 31 को बिल जमा करेंगे, तो परेशानी होगी़
बिल 28 मार्च को ही पास हुआ था ?
हो सकता है. यह कोई न्यूज नहीं है. न्यूज छपने से भी कुछ नहीं होगा.
दो बिल में एक पैसा गया, एक क्यों लैप्स हो गया?
यह हैदराबाद की एजेंसी के कारण हुआ है. वही ऑनलाइन ट्रांसफर का मामला देखती है. मेरा वेतन दो माह से नहीं मिल रहा है. इसके लिए हम कई बार लिख चुके हैं.
अब आगे क्या होगा ?
उनको अप्रैल में फॉलोअप करना चाहिए था. मई में आये हैं. अब कुछ नहीं हो सकता है. उनका पैसा लैप्स हो गया.
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