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झारखंड : जून के प्रथम सप्ताह में रिजल्ट निकालने की है तैयारीए संताली की 8251 कॉपियां जांचने के लिए एक शिक्षक
द्वितीय राजभाषा का दर्जा प्राप्त जनजातीय भाषा को पढ़ाने के लिए राज्य में शिक्षकों की कमी विश्वविद्यालय के चार शिक्षकों को लगाया गया, एक ने ही अब तक दिया योगदान संताली, पंचपरगनिया, मुंडारी, हो व कुड़ुख भाषा की कॉपी जांचने के लिए हाइस्कूल में शिक्षकों की कमी रांची : राज्य सरकार ने हाल में मैथिली, […]
द्वितीय राजभाषा का दर्जा प्राप्त जनजातीय भाषा को पढ़ाने के लिए राज्य में शिक्षकों की कमी
विश्वविद्यालय के चार शिक्षकों को लगाया गया, एक ने ही अब तक दिया योगदान
संताली, पंचपरगनिया, मुंडारी, हो व कुड़ुख भाषा की कॉपी जांचने के लिए हाइस्कूल में शिक्षकों की कमी
रांची : राज्य सरकार ने हाल में मैथिली, मगही व भोजपुरी को राज्य में द्वितीय राजभाषा का दर्जा दिया है. पर पहले से द्वितीय राजभाषा का दर्जा प्राप्त भाषा दम तोड़ रही है. इन विषयों को पढ़ाने के लिए सरकार के हाइस्कूलों में शिक्षकों की कमी है. राज्य में मैट्रिक परीक्षा 2018 की उत्तरपुस्तिका का मूल्यांकन कार्य चल रहा है. राजधानी के जिला स्कूल में मूल्यांकन के लिए जनजातीय भाषा की उत्तरपुस्तिका भेजी गयी है.
हाइस्कूल में इन विषयों के शिक्षक नहीं है, इस कारण विश्वविद्यालय व कॉलेज के शिक्षकों को कॉपी जांचने के काम में लगाया गया है.
मैट्रिक में संताली भाषा की 8251 उत्तरपुस्तिका जांच के लिए विश्वविद्यालय के चार शिक्षकों को नियुक्त किया गया है. इनमें से अब तक एक शिक्षक ने ही योगदान दिया है.
झारखंड एकेडमिक काउंसिल के निर्देश के अनुरूप एक दिन में कम से कम 30 व अधिक से अधिक 40 उत्तरपुस्तिका की जांच करनी है.
ऐसे में अगर एक शिक्षक प्रतिदिन 40 उत्तरपुस्तिका का मूल्यांकन करेंगे, तो 206 दिन में पूरी कॉपी की जांच हो सकेगी, जबकि जून के प्रथम सप्ताह में रिजल्ट निकलना है. ऐसा नहीं है कि केवल संताली भाषा की कॉपी की जांच के लिए हाइस्कूल में शिक्षक नहीं है, कमोबेश सभी जनजातीय भाषा की यही स्थिति है.
विवि शिक्षकों को प्रशिक्षण नहीं : विश्वविद्यालय व हाइस्कूल शिक्षकों की योग्यता अलग-अलग है. विवि के शिक्षक भले ही हाइस्कूल के शिक्षक से अधिक योग्य हों, पर उन्हें न तो हाइस्कूल में पढ़ाने का अनुभव है और न ही उत्तरपुस्तिका मूल्यांकन का प्रशिक्षण. मैट्रिक में उत्तरपुस्तिका मूल्यांकन का पैटर्न विवि की उत्तरपुस्तिका मूल्यांकन से अलग होता है. विवि के शिक्षकों को इसका प्रशिक्षण भी नहीं दिया जाता है.
प्लस टू स्कूलों में पद ही नहीं : राज्य के प्लस-टू उच्च विद्यालयों में जनजातीय व क्षेत्रीय भाषा के शिक्षक नहीं हैं, जबकि इंटरमीडिएट स्तर पर जनजातीय व क्षेत्रीय भाषा की पढ़ाई होती है. राज्य में 230 प्लस-टू उच्च विद्यालय हैं.
विद्यालयों में जनजातीय भाषा के शिक्षकों के पद तक सृजित नहीं किये गये हैं. राज्य में 59 प्लस-टू उच्च विद्यालय एकीकृत बिहार के समय के हैं, जबकि 171 विद्यालय राज्य गठन के बाद प्लस-टू में अपग्रेड किये गये हैं. स्कूलों में हो, मुंडारी, संताली, उरांव, पंचपरगनिया, नागपुरी, कुरमाली व खोरठा की पढ़ाई होती है.
…ऐसे में 206 दिन में पूरा होगा मूल्यांकन
दूसरे भाषाओं का भी है खस्ता हाल
मैट्रिक में पंचपरगिनया भाषा के 707 कॉपी जांचने के लिए तीन शिक्षक नियुक्त किये गये हैं, जिनमें से अब तक एक ने योगदान दिया है. मुंडारी के 1981 कॉपी के लिए तीन में से दो, हो भाषा के 4061 कॉपी के लिए छह में से दो व कुरमाली के 1931 कॉपी के लिए चार में से दो शिक्षकों ने योगदान दिया है. इन भाषाओं की उत्तरपुस्तिका जांच के लिए कुल 20 शिक्षकों को नियुक्ति किया गया है, जिनमें से आठ शिक्षकों ने अब तक योगदान दिया है. मूल्यांकन के लिए नियुक्त किये गये 20 में से मात्र दो शिक्षक हाइस्कूल के हैं.
राज्य में इन भाषाओं को बोलने वालों की संख्या
भाषा संख्या प्रतिशत में
संताली 10.70
उरांव 3.20
मुंडारी 3.19
हो 2.90
खड़िया 0.45
खोरठा 16.91
कुरमाली 1.36
नागपुरी 4.59
पंचपरगनिया 0.71
संताली व कुछ अन्य जनजातीय भाषा के शिक्षक रांची के हाइस्कूल में नहीं हैं. इस कारण उत्तरपुस्तिका मूल्यांकन के लिए विश्वविद्यालय व कॉलेज के जनजातीय भाषा के शिक्षकों का सहयोग लिया गया है. संताली भाषा की कॉपी सबसे अधिक है, आवश्यकता के अनुरूप शिक्षक नहीं हैं. इस कारण परेशानी हो रही है. इसकी जानकारी झारखंड एकेडमिक काउंसिल को दी जायेगी.
रतन कुमार महावर, डीइओ रांची
अतिरिक्त शिक्षकों की सूची मांगी, आज होगी मूल्यांकन कार्य की समीक्षा
रांची : मैट्रिक और इंटरमीडिएट के विज्ञान व गणित विषय की कॉपियों की जांच के लिए जिला शिक्षा पदाधिकारी रतन कुमार महावर ने सभी स्कूलों से अतिरिक्त शिक्षकों की सूची मांगी है. इस सूची के आधार पर मूल्यांकन कार्य में हो रही देरी को दूर किया जायेगा.
जानकारी के अनुसार विज्ञान व गणित विषयों की उतर पुस्तिकाओं की जांच में काफी परेशानी हो रही है. शनिवार को जिला शिक्षा अधिकारी की तरफ से अब तक के मूल्यांकन कार्य की समीक्षा की जायेगी. यह भी पता किया जायेगा कि प्रतिनियुक्ति वाले कितने शिक्षकों ने परीक्षक के तौर पर मूल्यांकन कार्य के लिए अपना योगदान दिया.
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