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रांची : 56 साल पहले एचइसी के विस्थापितों को मिली थी 20-20 डिसमिल जमीन, अब तक नहीं मिल पाया मालिकाना हक

II संजीव सिंह II वर्ष 1962-63 में विस्थापित हुए थे 15 गांव के लोग 32 गांवों की ली गयी थी जमीन रांची : एचइसी से विस्थापित हुए 15 गांवों के लोगों को लगभग 56 साल से जमीन का मालिकाना हक नहीं मिला है. इन्हें विस्थापित होने के बाद नया भुसुर, नया धुर्वा, सतरंजी, लटमा, सीठियो, […]

II संजीव सिंह II
वर्ष 1962-63 में विस्थापित हुए थे 15 गांव के लोग
32 गांवों की ली गयी थी जमीन
रांची : एचइसी से विस्थापित हुए 15 गांवों के लोगों को लगभग 56 साल से जमीन का मालिकाना हक नहीं मिला है. इन्हें विस्थापित होने के बाद नया भुसुर, नया धुर्वा, सतरंजी, लटमा, सीठियो, जगन्नाथपुर लाह बगीचा, आनि, कुटे, लावेद, नकियातु, हरसेर, तिरिल, मुड़मा, भंडराटोली आदि गांवों में 20-20 डिसमिल जमीन दी गयी थी. पर जमीन का मालिकाना हक और उससे संबंधित कोई कागजात नहीं मिलने के कारण रसीद नहीं कट रही.
इन लोगों का आवासीय और जाति प्रमाण पत्र भी नहीं बन पा रहा है. इससे इन 15 गांवों के लोगों को कई सरकारी योजनाअों का लाभ नहीं मिल रहा है. ये लोग मालिकाना हक प्राप्त करने के लिए नामकुम, नगड़ी, बुंड़ू अंचल कार्यालय, तो कभी रांची उपायुक्त व राजस्व-निबंधन व भूमि सुधार विभाग का पिछले 25-30 साल से चक्कर लगा रहे हैं.
32 गांवों की ली गयी थी जमीन : वर्ष 1962-63 में एचइसी में फैक्ट्री, टाउनशिप व डैम के लिए 32 गांव के लोगों की जमीन ली गयी थी. 17 गांव के लोगों से पाइप लाइन, बिजली आदि के लिए थोड़ी-थोड़ी जमीन ली गयी थी, इसके लिए उन्हें उस समय ही मुआवजा दे दिया गया था.
अन्य 15 गांवों के लोगों को पूरी तरह से दूसरी जगह शिफ्ट कर दिया गया था. ग्रामीणों की मांग पर उपायुक्त ने इन 15 गांवों के लोगों को जमीन का मालिकाना हक दिलाने के लिए जनवरी 2017 में कमेटी का भी गठन किया था. इस कमेटी के अध्यक्ष अपर समाहर्ता को बनाया गया. इसके अलावा सदस्य के रूप में उप समाहर्ता भूमि सुधार रांची/बुंडू तथा अंचल अधिकारी नगड़ी, नामकुम अौर अनगड़ा को शामिल किया गया. लेकिन कमेटी ने इस दिशा में अब तक कोई कार्रवाई नहीं की.
नहीं कट रही जमीन की रसीद, आवासीय-जाति प्रमाण पत्र भी नहीं बन पा रहे
नहीं मिल रहा सरकारी योजनाअों का
लाभ, छात्रवृत्ति से भी वंचित हैं विद्यार्थी
ग्रामीण कई बार उपायुक्त और राजस्व निबंधन विभाग से लगा चुके हैं गुहार
तीन गांव संतरंजी, लटमा व जगन्नाथपुर नगर निगम क्षेत्र में आते हैं
इन गांवों में किया था शिफ्ट
नया भुसुर, नया धुर्वा, सतरंजी, लटमा, सीठियो, जगन्नाथपुर लाह बगीचा, आनि, कुटे, लावेद, नकियातु, हरसेर, तिरिल, मुड़मा, भंडराटोली आदि गांव शामिल हैं. ग्रामीणों के पास विस्थापित सर्टिफिकेट हैं. हालांकि कई ग्रामीण के सर्टिफिकेट कहीं खो गये हैं.
संज्ञान में है मामला
एचइसी से विस्थापित हुए 15 गांव के लोगों को अब तक जमीन का पट्टा नहीं मिला है. यह बात मेरे संज्ञान में आया है. इसकी जांच करायेंगे. आखिर किन परिस्थितियों में उन्हें अब तक जमीन का मालिकाना हक नहीं मिल पाया. प्रशासन नियमानुसार कार्रवाई करेगा.
राय महिपत रे, डीसी, रांची
पट्टा मिलना चाहिए
विस्थापितों के साथ अन्याय हुआ है. उनकी पहचान के लिए उन्हें जमीन का पट्टा अब तक मिल जाना चाहिए था. इतने साल बाद भी उन्हें मालिकाना हक नहीं मिलना दुखद है. जिला प्रशासन को सकारात्मक कार्रवाई करनी चाहिए.
राम कुमार पाहन, विधायक, खिजरी

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