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रांची नगर निगम चुनाव :निगम के अधिकारियों में आपसी तालमेल की कमी
रांची : यह सच है कि अन्य राज्यों की राजधानी की अपेक्षा रांची सही मायने में अपना आकार नहीं ले पायी है. तीन-चार वर्षों में राजधानी का स्वरूप कुछ बदला जरूर है, लेकिन यह बदलाव कम है. पिछले निकाय चुनाव में भी हमारे जनप्रतिनिधियों से कई अपेक्षाएं थीं, लेकिन मौजूदा स्थिति को ठीक नहीं कहा […]
रांची : यह सच है कि अन्य राज्यों की राजधानी की अपेक्षा रांची सही मायने में अपना आकार नहीं ले पायी है. तीन-चार वर्षों में राजधानी का स्वरूप कुछ बदला जरूर है, लेकिन यह बदलाव कम है. पिछले निकाय चुनाव में भी हमारे जनप्रतिनिधियों से कई अपेक्षाएं थीं, लेकिन मौजूदा स्थिति को ठीक नहीं कहा जा सकता है.
राजधानी होने के बावजूद वाया मेन रोड व वाया बाइपास में हमेशा जाम की स्थिति बनी रहती है. फ्लाइओवर के नाम पर सिर्फ कागजी योजनाएं बनाने के अलावा कुछ नहीं हुआ.
निगम के अधिकारियों के बीच आपसी तालमेल नहीं होने के कारण सड़कों की सफाई और पेयजल आपूर्ति की समस्या राजधानी में हमेशा बनी होती है. अभी गर्मी शुरू हुई है और कई इलाकों में पेयजल की समस्या शुरू हो गयी है. सीवरेज-ड्रेनेज सिस्टम ठीक नहीं होने के कारण बरसात के समय नालियों का पानी सड़कों पर बहता है. पार्किंग स्थल की भारी कमी है.
केवल जटिल कानून बना देने से शहर का विकास नहीं हो सकता. कानून ऐसा हो, जिसका सभी समर्थन करें. इस निकाय चुनाव में शामिल प्रत्याशियों को निगम की इस व्यवस्था में सुधार के उपाय करने होंगे. उम्मीद है कि नगर निगम के इस चुनाव में भाग ले रहे जन प्रतिनिधि राजधानी की व्यवस्था को सुधारने में अपना अपेक्षित योगदान देंगे.
संजय अखौरी, चेयरमैन, एफएमसीजी ट्रेड उप समिति, झारखंड चेंबर
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