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रांची :टीबी की जानकारी नहीं दी, तो होगा एफआइआर

रांची : सरकार ने वर्ष 2025 तक टीबी के उन्मूलन का निर्णय लिया है. इस अालोक में सरकार हर टीबी मरीज को मुफ्त दवा के साथ-साथ उसे हर माह पौष्टिक खान-पान के लिए 500 रुपये भी देगी. डीबीटी के माध्यम से यह भुगतान होगा. रांची में 44 लोगों को इसका भुगतान कर दिया गया है. […]

रांची : सरकार ने वर्ष 2025 तक टीबी के उन्मूलन का निर्णय लिया है. इस अालोक में सरकार हर टीबी मरीज को मुफ्त दवा के साथ-साथ उसे हर माह पौष्टिक खान-पान के लिए 500 रुपये भी देगी. डीबीटी के माध्यम से यह भुगतान होगा. रांची में 44 लोगों को इसका भुगतान कर दिया गया है.
यह खर्च राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के फंड से पूरा किया जायेगा. एनएचएम के अभियान निदेशक कृपानंद झा ने संवाददाताअों को यह जानकारी दी. वह रविवार को आरसीएच सभागार में स्वच्छता पखवाड़े तथा टीबी के संबंध में आयोजित प्रेस वार्ता में बोल रहे थे.
हर टीबी मरीज की पूरी सूचना रखेगी सरकार : उन्होंने कहा कि संबंधित मरीज बीच में दवा न छोड़े, इसकी मॉनिटरिंग भी होगी. इधर, सरकार हर टीबी मरीज की पूरी सूचना रखेगी. सरकार ने टीबी मरीज के संबंध में अनिवार्य रूप से जानकारी देने का कानूनी प्रावधान पहले ही कर दिया है.
इसके तहत किसी टीबी मरीज की जांच कर रहे डॉक्टर तथा उसे दवा दे रहे दवा दुकानदार की यह जिम्मेवारी है कि वे संबंधित मरीज के बारे पूरी सूचना सरकार को दें. ऐसा नहीं करने पर उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर कार्रवाई भी होगी. एक अनुमान के अनुसार झारखंड में टीबी के करीब सवा लाख मरीज हैं. गौरतलब है कि नौ माह तक दवा के लगातार सेवन से टीबी की बीमारी ठीक हो जाती है.
केंद्र सरकार के निर्देशानुसार झारखंड में भी एक से 15 अप्रैल तक स्वच्छता पखवाड़ा का आयोजन हो रहा है. सभी एनएचएम पदाधिकारियों को स्वच्छता की शपथ दिला कर श्री झा ने बताया कि हमारे दैनिक जीवन का प्रमुख अंग तथा रोग मुक्त रखने में अहम भूमिका निभाने वाले साफ-सफाई के लिए दो तरह के कार्यक्रम चलेंगे. एक दल आधारित तथा दूसरा स्वास्थ्य संस्थानों व समुदाय आधारित.
दल आधारित कार्यक्रम के लिए सभी जिलों में चिकित्सक, नर्स, स्वास्थ्य कर्मी, रोगी कल्याण समिति के सदस्यों तथा गैर सरकारी संस्थाअों के प्रतिनिधि वाले दल गठित किये जायेंगे. प्रत्येक दल एक जिला अस्पताल, एक सीएचसी व एक पीएचसी सहित दो गांवों में स्वच्छता अभियान कार्यक्रम के लिए जिम्मेवार होगा. वहीं स्वास्थ्य संस्थानों व समुदाय में इस कार्यक्रम के क्रियान्वयन की जिम्मेवारी वहां के प्रभारी पदाधिकारी, ग्रामीण स्वास्थ्य-स्वच्छता व पोषण कमेटी के अध्यक्ष व सदस्यों तथा सहिया की होगी. पखवाड़े के बाद अभियान की रिपोर्ट तैयार कर इसकी अॉडिट होगी तथा यह रिपोर्ट केंद्र को भेजी जायेगी.

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