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नक्सली संगठन व बाहर की राजनीति में कोई अंतर नहीं

रांची : रांची रेंज के डीआइजी एवी होमकर के सामने सरेंडर करने के बाद जोनल कमांडर दीपक उरांव से पत्रकारों ने कई सवाल किये. जेल से निकलने के बाद राजनीति में आने के सवाल पर दीपक उरांव ने कहा : नक्सली संगठन की राजनीति और बाहर की राजनीति में कोई अंतर नहीं है. इसलिए मैं […]

रांची : रांची रेंज के डीआइजी एवी होमकर के सामने सरेंडर करने के बाद जोनल कमांडर दीपक उरांव से पत्रकारों ने कई सवाल किये. जेल से निकलने के बाद राजनीति में आने के सवाल पर दीपक उरांव ने कहा : नक्सली संगठन की राजनीति और बाहर की राजनीति में कोई अंतर नहीं है. इसलिए मैं राजनीति में नहीं आना चाहता़ मैं जेल से निकलने के बाद अपने परिवार के साथ रहना चाहता हूं.

मैं एक आम आदमी की तरह जीवन जीना चाहता हूं. मुख्यधारा में लौटने के सवाल पर दीपक ने कहा कि वह संगठन में अपनी इच्छा से शामिल हुआ था. लेकिन संगठन में बड़े नक्सलियों द्वारा शोषण किये जाने और उनके अत्याचार से तंग आकर खुद ही आत्मसमर्पण करने का निर्णय लिया. दीपक ने बताया कि उसके दो बच्चे हैं. एक बेटा और बेटी. दोनों बच्चे अपनी मां के साथ पहले से ही रांची में रहकर पढ़ाई कर रहे हैं. मैं सरेंडर करने के बाद मिले रुपये को अपने बच्चों की पढ़ाई में खर्च कर उन्हें अच्छा आदमी बनाना चाहता हूं.

नक्सली संगठन के बारे में पूछने पर दीपक ने बताया कि संगठन अब पहले की तरह मजबूत नहीं रह गया है. गढ़वा, लातेहार, पलामू, लोहरदगा, गुमला, खूंटी और सिमडेगा में संगठन कमजोर हो चुका है. ऐसा इसलिए हुआ है, क्योंकि अब संगठन में शामिल करने के लिए लोग नहीं मिल रहे हैं. गढ़वा, लातेहार, पलामू, गुमला और लोहरदगा इलाके में अब 60 से 70 ही सक्रिय नक्सली बचे होंगे.
अब झारखंड में संगठन इतना कमजोर हो गया कि बाहर के नक्सली जैसे सुधाकरण, सुधाकरण की पत्नी और पूनम जैसी महिला नक्सली कमान संभाल रहे हैं. लोहरदगा और गुमला से जिन नाबालिग को संगठन में शामिल करने के लिए पूर्व में ले जाया गया था, उनमें से कई बच्चे अपने घर लौट चुके हैं. मैं पांच व छह फरवरी 2018 को अंतिम बार सुधाकरण से बूढ़ा पहाड़ पर मिला था. इसके बाद किसी नक्सली से कोई मुलाकात नहीं की. मुझे अरविंद की मौत की खबर के बारे में अखबारों के जरिये ही पता चला. मैं उनके काफी करीब रहा था. इसके बाद ही मैंने सरेंडर करने का निर्णय लिया.
और क्या-क्या कहा
मैं राजनीति में नहीं आना चाहता, साधारण जीवन जीना चाहता हूं
मैं अपने बच्चों को पढ़ा-लिखा कर अच्छा आदमी बनाना चाहता हूं

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