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रांची : बकोरिया कांड मामला, एडीजी एमवी राव को किया शो कॉज

II प्रणव II रांची : सीआइडी एडीजी के पद से एक माह में ही हटाये जाने पर सवाल खड़े करने और बकोरिया कांड में डीजीपी डीके पांडेय पर आरोप लगाते हुए एडीजी एमवी राव की ओर से पत्र लिखे जाने को राज्य सरकार ने गंभीरता से लिया है. इस मामले में गृह विभाग ने बुधवार […]

II प्रणव II
रांची : सीआइडी एडीजी के पद से एक माह में ही हटाये जाने पर सवाल खड़े करने और बकोरिया कांड में डीजीपी डीके पांडेय पर आरोप लगाते हुए एडीजी एमवी राव की ओर से पत्र लिखे जाने को राज्य सरकार ने गंभीरता से लिया है. इस मामले में गृह विभाग ने बुधवार की शाम एमवी राव को शो कॉज किया है.
कहा गया है कि सरकार के स्तर से किये गये तबादले पर सवाल खड़ा कर आपने सर्विस कंडक्ट रूल का उल्लंघन किया है. इससे सरकार की छवि पर असर पड़ा है. साथ ही पत्र में जो बातें आपने कही है, वह भी एक अधिकारी के आचरण के अनुकूल नहीं है. ऐसे में दो सप्ताह में अपनी स्थिति स्पष्ट करें. फिलवक्त एमवी राव संचार एवं तकनीकी सेवाएं, नई दिल्ली में बतौर एडीजी पदस्थापित हैं.
बता दें कि केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से लौटने के बाद 13 नवंबर 2017 को एमवी राव को एडीजी सीआइडी बनाया गया था. एक माह बाद 13 दिसंबर 2017 को सरकार ने उनका तबादला कर संचार एवं तकनीकी सेवाएं, नई दिल्ली का एडीजी बनाया था.
पत्र में एमवी राव ने लगाये थे गंभीर आरोप :
एडीजी एमवी राव ने गृह विभाग को दिसंबर 2017 में एक पत्र लिखा था.इसमें कहा था कि डीजीपी डीके पांडेय के आदेश पर बकोरिया कांड की जांच धीमी नहीं करने के कारण सीआइडी के एडीजी पद से उनका तबादला कर दिया गया था. राव ने यह भी लिखा था कि बकोरिया कांड में डीजीपी ने जांच धीमी करने का निर्देश भी दिया था. साथ ही कहा था कि न्यायालय के किसी आदेश से चिंतित होने की कोई जरूरत नहीं है.
डीजीपी के आदेश का विरोध करते हुए जांच की गति सुस्त करने, साक्ष्यों को मिटाने और फर्जी साक्ष्य बनाने से उन्होंने इनकार कर दिया था. इसके तुरंत बाद उनका तबादला सीआइडी से नयी दिल्ली स्थित ओएसडी कैंप में कर दिया गया था. जबकि यह पद स्वीकृत भी नहीं है.
अब तक किसी भी अफसर को बिना उसकी सहमति के इस पद पर पदस्थापित नहीं किया गया है. पत्र में यह भी कहा गया है कि बकोरिया कांड की जांच सही दिशा में ले जानेवाले और दर्ज एफआइआर से मतभेद रखने का साहस करनेवाले अफसरों का पहले भी तबादला किया गया है. यह एक बड़े अपराध को दबाने और अपराध में शामिल अफसरों को बचाने की साजिश है.

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