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सीएनटी-एसपीटी में संशोधन के विरोध में बंद हुआ था झारखंड, हाइकोर्ट ने पूछा, बंद के दौरान हुई क्षति की भरपाई कैसे होगी
रांची : हाइकोर्ट में गुरुवार को सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन के विरोध में झारखंड बंद को लेकर स्वत: संज्ञान से दर्ज जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. जस्टिस अपरेश कुमार सिंह व जस्टिस रत्नाकर भेंगरा की खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए सरकार से पूछा कि बंद के दाैरान निजी व सार्वजनिक संपत्ति का जो नुकसान हुआ […]
रांची : हाइकोर्ट में गुरुवार को सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन के विरोध में झारखंड बंद को लेकर स्वत: संज्ञान से दर्ज जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. जस्टिस अपरेश कुमार सिंह व जस्टिस रत्नाकर भेंगरा की खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए सरकार से पूछा कि बंद के दाैरान निजी व सार्वजनिक संपत्ति का जो नुकसान हुआ था, उसकी रिकवरी बंद बुलानेवाले राजनीतिक दलों से किस प्रकार की जायेगी.
राशि वसूली के लिए क्या प्रक्रिया अपनायी जायेगी. क्या इस संबंध में कोई कानून या नियमावली बनायी गयी है. खंडपीठ ने सरकार को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया. खंडपीठ ने यह भी कहा कि नुकसान की वसूली के लिए यदि नियमावली बनायी गयी है, तो उसे भी प्रस्तुत किया जाये.
खंडपीठ ने उक्त निर्देश देने के बाद मामले की सुनवाई दो सप्ताह के लिए स्थगित कर दी. इससे पूर्व राज्य सरकार की ओर से शपथ पत्र दाखिल कर बताया गया कि बंद के दौरान कई जिलों में बंद समर्थकों की गिरफ्तारियां हुई थी.
सार्वजनिक संपत्ति के साथ-साथ वाहनों को भी नुकसान पहुंचाया गया था. लाखों की क्षति हुई थी. इसमें क्षतिग्रस्त संपत्ति की विवरणी व उसका मूल्यांकन, बंद के दौरान गिरफ्तारी आदि की जानकारी दी गयी है. दुमका में 4.80 लाख व तीन वाहन को नुकसान हुआ था.
जमशेदपुर में 30.50 लाख रुपये की संपत्ति का नुकसान हुआ था. चाईबासा में दो ट्रकों का शीशा तोड़ा गया. बंद के दौरान हजारीबाग में 144, गिरिडीह में 381, चतरा में 63, गुमला में 250, सिमडेगा में 119, लोहरदगा में 22, दुमका में 30, पाकुड़ में 37, जामताड़ा में 678, साहेबगंज में 96, जमशेदपुर में सात, गोड्डा में 134, पलामू में 101, लातेहार में 235, गढ़वा में 133 बंद समर्थकों को गिरफ्तार किया गया था.
पिछली सुनवाई के दाैरान सरकार की अोर से बताया गया था कि नियम बना लिया गया है. बंद बुलानेवाले संगठनों से ही क्षति की वसूली करने का प्रावधान किया गया है. उल्लेखनीय है कि सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन के विरोध में विपक्षी दलों द्वारा 25 नवंबर 2016 को झारखंड बंद बुलाया गया था. प्रभात खबर में बंद से संबंधित प्रकाशित खबर को झारखंड हाइकोर्ट ने गंभीरता से लेते हुए उसे जनहित याचिका में तब्दील कर दिया था.
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