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रांची : टेंडर निष्पादन में गड़बड़ी, जांच में पुष्टि के बाद भी कार्रवाई नहीं
रांची : बोकारो स्थित चास मंडल कारा में पहुंच पथ सहित अन्य काम के टेंडर में गड़बड़ी का मामला सामने आया है. इस काम में चास की एजेंसी मेसर्स एआर इंटरप्राइजेज के टेंडर को अमान्य करके मेसर्स पीआर मेहता के पक्ष में निविदा निस्तार किया गया है. एआर इंटरप्राइजेज ने इसकी शिकायत मुख्यमंत्री, उपायुक्त, उप […]
रांची : बोकारो स्थित चास मंडल कारा में पहुंच पथ सहित अन्य काम के टेंडर में गड़बड़ी का मामला सामने आया है. इस काम में चास की एजेंसी मेसर्स एआर इंटरप्राइजेज के टेंडर को अमान्य करके मेसर्स पीआर मेहता के पक्ष में निविदा निस्तार किया गया है.
एआर इंटरप्राइजेज ने इसकी शिकायत मुख्यमंत्री, उपायुक्त, उप विकास आयुक्त सहित अन्य अफसरों से की थी. इसके बाद मामले की जांच उप विकास आयुक्त व जिला ग्रामीण विकास अभिकरण के निदेशक ने संयुक्त रूप से की. उन्होंने अपनी जांच रिपोर्ट में टेंडर में अनियमितता पायी. साथ ही बोकारो भवन प्रमंडल के कार्यपालक अभियंता बबन प्रसाद को इसके लिए दोषी पाया है.
उन्होंने अपनी जांच रिपोर्ट उपायुक्त को सौंपी. उपायुक्त ने आवश्यक कार्रवाई के लिए जांच रिपोर्ट भवन सचिव को भेजी है, लेकिन हैरत यह है कि मामला लटका रहा और इसमें अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई और इधर 31 जनवरी को कार्यपालक अभियंता बबन प्रसाद रिटायर भी हो गये.
क्या है जांच रिपोर्ट में : डीडीसी व निदेशक ने जांच रिपोर्ट में लिखा है कि 19 दिसंबर 2016 को निविदा की तुलनात्मक विवरण तैयार करने के दौरान एआर इंटरप्राइजेज की निविदा पैन नंबर व आइटी रिटर्न व्यक्तिगत अमित राय के नाम से न होने के कारण अमान्य कर दी गयी. इतना ही नहीं पूर्व का काम बाधित रहने का पत्र भी एजेंसी को दिया गया, जिसकी जरूरत नहीं थी.
जिस संवेदक को कार्य दिया, उसका टीन नंबर प्रोपराइटर के नाम से है, जबकि यह पता चला कि उसकी मौत पहले ही हो चुकी है, लेकिन उसके मरने के बाद श्याम लाल महतो को पार्टनर बनाया गया है, जबकि प्रोपराइटर के फर्म में पार्टनर नहीं होता है. पीआर महतो के द्वारा समर्पित यूकैन नंबर चास नगर निगम का है, जबकि भवन निर्माण विभाग का होना चाहिए . पीआर महतो के टीन नंबर में दर्शाया गया पैन नंबर व पैन नंबर की छाया प्रति दोनों अलग-अलग है. ऐसा प्रतीत होता है कि कार्यपालक अभियंता भवन बबन प्रसाद ने मामले में अनियमितता बरती है. मात्र संवेदक द्वारा पूर्व में आवंटित कार्य के अपूर्ण रहने के कारण नये कार्य आवंटित न करना, तर्क संगत नहीं है.
इइ ने अपने जवाब में खुद को निर्दोष बताया
इधर, कार्यपालक अभियंता बबन प्रसाद ने उपायुक्त के शोकॉज का जवाब दिया है. इसमें कहा है कि एआर इंटरप्राइजेज के निविदा को अमान्य करने का निर्णय अंचल स्तरीय निविदा मूल्यांकन समिति ने लिया था. तुलनात्मक विवरणी पर निर्णय प्रावधान के तहत लिया गया है.
मेसर्स पीआर महतो का पैन नंबर फर्म का है. समिति ने एनआइटी के आलोक में तथा एजेंसी द्वारा समर्पित वाणिज्य कर विभाग के सफाया पत्र के बाद ही निर्णय लिया है. इइ ने लिखा है कि मेसर्स पीआर महतो एक फर्म है. इसके पार्टनर श्याम लाल महतो व सुनीता देवी बराबर के हिस्सेदार हैं और वे जीवित हैं. इनका पैन कार्ड भी स्पष्ट है. निविदा 50 लाख से कम की है, इसलिए यूकैन की जरूरत नहीं है. उन पर लगा आरोप बेबुनियाद है.
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