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रांची : CIP में बोले रामचंद्र गुहा – देश में कट्टरता का माहौल, हालत के लिए कांग्रेस और लेफ्ट भी जिम्मेवार

रांची : केंद्रीय मनोचिकित्सकों के सेमिनार में देश के जाने – माने इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने मंगलवार को संबोधित किया. उन्होंने इस मौके पर कहा भारत में राष्ट्रवाद की परिभाषा बदल गयी है. अब राष्ट्रवाद का मतलब विशेष धर्म को प्राथमिकता देना और पाकिस्तान को गाली देना शामिल है, जो लोग इस तरह के काम […]

रांची : केंद्रीय मनोचिकित्सकों के सेमिनार में देश के जाने – माने इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने मंगलवार को संबोधित किया. उन्होंने इस मौके पर कहा भारत में राष्ट्रवाद की परिभाषा बदल गयी है. अब राष्ट्रवाद का मतलब विशेष धर्म को प्राथमिकता देना और पाकिस्तान को गाली देना शामिल है, जो लोग इस तरह के काम कर रहे हैं, उनको राष्ट्रवादी कहा जा रहा है. आज के दौर में जिंगोइज्म ( कट्टर राष्ट्रवाद) को राष्ट्रवाद कहा जा रहा है.

देश की आजादी के बाद पाकिस्तान में इस्लामिक राष्ट्रवाद की बात हुई. वहां उर्दू बोलने तथा भारत से नफरत करनेवाले को ही राष्ट्रवादी कहा जाता था. 1948 में पाकिस्तान के राष्ट्रपति जिन्ना जब पूर्वी बंगाल (अब बांग्लादेश) गये, तो वहां के लोगों पर उर्दू बोलने का दबाव डाला, जिसका विरोध हुआ. उसी समय से वहां अलग देश की मांग बढ़ने लगी.

गौरतलब है कि रांची के कांके स्थित केंद्रीय मनोचिकित्सा संस्थान (सीपीआई ) में इंडियन साइकेट्रिक सोसाइटी (आइपीएस) का 70वां सम्मेलन आयोजित था. इस मौके पर करीब 2000 मनोचिकित्सक मौजूद थे.

यूरोप से आया है देश में राष्ट्रवाद
कई किताबों के लेखक रामचंद्र गुहा ने सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि असल में राष्ट्रवाद शब्द का अपना इतिहास है. यह 1900 के दशक में यूरोप से आया है. यूरोप का राष्ट्रवाद का अपना मॉडल था. वहां अंग्रेजी बोलने वाले, चर्च जाने वाले और फ्रांस से नफरत करने वाले राष्ट्रवादी कहे जाते थे. फ्रांस वालों का अपना राष्ट्रवाद था. वहां अंग्रेजों से नफरत करने वालों को राष्ट्रवादी कहा जाता था.
गांधीजी ने भाषा में बंटी कांग्रेस को किया एकजुट
रामचंद्र गुहा ने कहा कि भारत में भी आजादी से पहले कांग्रेस भी राष्ट्रवाद को भाषा के आधार पर मानती थी. इस कारण भाषा के आधार पर कांग्रेस के कई हिस्से थे. गांधी जी ने कांग्रेस में भाषा के आधार पर बंटी पार्टी को एकजुट कर दिया. आजादी के बाद अलग-अलग भाषा के आधार पर कई अलग-अलग राज्य बने. आजादी के बाद महात्मा गांधी ने कहा था कि धर्म और भाषा के आधार किसी के साथ भेदभाव नहीं हो सकता है.
कांग्रेस में चमचागिरी की संस्कृति, वामदल भी जिम्मेवार
डॉ गुहा ने कहा कि इस तरह की स्थिति पैदा करने में वामदल और कांग्रेस वाले भी जिम्मेदार हैं. वामदलों को अपने देश में कोई आदर्श नहीं मिला. विदेशी आदर्शों के भरोसे वह देश में बदलाव की बात करते रहे. कभी उन्होंने रूस के नेताओं को माना, तो कभी चीन के नेताओं को. उनको यहां भगत सिंह जैसे वामपंथी नजर नहीं आये. वहीं कांग्रेस भ्रष्टाचार से मुक्त ही नहीं हो पायी. वहां चमचागिरी की संस्कृति है. कांग्रेस की पूरी राजनीति गांधी परिवार के आस-पास घूमती है. कांग्रेस शासन वाले राज्य अपने यहां के एयरपोर्ट का नाम भी गांधी परिवार वालों के नाम पर रखते हैं. यही कारण है कि यहां जिंगोइज्म को बढ़ावा मिल रहा है. एक भारतीय के रूप में यह स्वीकार नहीं किया जा सकता है. चाहे हम कांग्रेस या भाजपा को स्वीकार नहीं करें, भारतीय होने पर शक नहीं होना चाहिए.

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