रांची : कृत्रिम पैर के सहारे माउंट एवरेस्ट फतह करने वाली पहली महिला बनी राष्ट्रीय स्तर की पूर्व वालीबाल खिलाड़ी अरुणिमा सिन्हा ने अपने प्रति भारतीय वालीबाल महासंघ की उदासीनता को नजरअंदाज करते हुए कहा कि वह सिर्फ ‘सम्मान’ चाहती हैं. अरुणिमा ने कहा, ‘‘महासंघ से पूछिए-पूर्व वालीबाल खिलाड़ी के रुप में मैं सिर्फ सम्मान चाहती हूं.’’ भारतीय वालीबाल महासंघ ने कथित तौर पर अरुणिमा को उस समय मुआवजा देने से इनकार कर दिया था जब दो साल पहले बरेली के समीप उन्हें चलती ट्रेन से फेंका गया था और उन्होंने अपना एक पैर गंवा दिया था.
यह पूछने पर कि क्या वह भारतीय वालीबाल टीम में वापसी पर विचार करेंगी, अरुणिमा ने कहा, ‘‘दुर्घटना (अप्रैल 2011 में) के बाद से मैं नहीं खेली हूं. इंतजार कीजिए और देखिए.’’इस युवा पर्वतारोही ने अपनी सफलता का श्रेय टाटा स्टील एडवेंचर फाउंडेशन की प्रमुख बछेंद्री पाल को दिया. अरुणिमा को दो साल पहले चेन झपटमारों के समूह ने रेलगाड़ी से बाहर फ्रेंक दिया था.
उन्होंने कहा, ‘‘उनके से एक ने अचानक मेरा गला पकड़ लिया जबकि अन्य ने मेरे हाथ पकडे और मुझे रेलगाड़ी से बाहर फेंक दिया. ट्रैक पर पड़े होने से लेकर पर्वत पर चढ़ना लंबा संघर्ष रहा. सभी को मेरा संदेश है कि एक लक्ष्य निर्धारित करो और जब तक इसे हासिल नही करो तब तक पीछे नहीं हटो.’’ अरुणिमा ने बताया कि संघर्ष के दिनों में उन्होंने कैसे युवराज सिंह ने प्रेरणा की जिन्होंने कैंसर से उबरकर क्रिकेट में वापसी की. उन्होंने कहा, ‘‘युवराज अगर कैंसर को हरा सकता है (और क्रिकेट के मैदान पर वापसी कर सकता है) तो मैं क्यों नही. मैंने सिर्फ एक पैर गंवाया है और मुझे कोई बीमारी नही है.’’