रांचीः झारखंड में विज्ञान, प्रावैधिकी विभाग के निदेशक का पद फिलहाल खाली है. तत्कालीन निदेशक अरुण कुमार को बरखास्त किये जाने के बाद से यह पद दस महीने से खाली पड़ा है. निदेशक का पद खाली रहने की वजह से राज्य के तकनीकी कालेजों के संबंध में नीतिगत फैसला लिये जाने से लेकर राज्य विज्ञान एवं प्रावैधिकी परिषद के कार्यकलाप भी ठप हैं.
निदेशक की प्रतिनियुक्ति से संबंधित संचिका दिसंबर 2013 से मुख्यमंत्री सचिवालय में लंबित पड़ी है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन विभागीय मंत्री भी हैं. विभाग की ओर से बीआइटी सिंदरी के निदेशक एसके सिंह की प्रतिनियुक्ति की संचिका बढ़ायी गयी थी. लेकिन इनके नाम पर अब तक सहमति नहीं मिली है.
जानकारी के अनुसार निदेशक के नहीं रहने से राज्य में तकनीकी कॉलेजों के शैक्षणिक सत्र, कालेजों में नये पाठय़क्रम की शुरुआत करने, केंद्र सरकार से अनुदान प्राप्त करने में कठिनाई हो रही है. विज्ञान, प्रावैधिकी मंत्रलय की बैठकों में झारखंड का प्रतिनिधित्व नहीं हो पा रहा है. सरकार की ओर से अस्थायी व्यवस्था के तहत विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ एके पांडेय को निकासी एवं व्ययन पदाधिकारी (डीडीओ) बनाया है.