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झारखंड में बाल सुधार गृह की स्थिति भयावह

रांचीः सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर ने कहा कि झारखंड में बाल सुधार गृह की स्थिति भयावह है. उन्होंने शनिवार को जमशेदपुर में बच्चों के लिए बनाये गये ऑब्जव्रेशन होम को देखा. यहां नौ साल से रंगाई नहीं हुई है. बच्चों को उचित भोजन नहीं दिया जाता. किसी भी शौचालय में दरवाजा […]

रांचीः सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर ने कहा कि झारखंड में बाल सुधार गृह की स्थिति भयावह है. उन्होंने शनिवार को जमशेदपुर में बच्चों के लिए बनाये गये ऑब्जव्रेशन होम को देखा. यहां नौ साल से रंगाई नहीं हुई है. बच्चों को उचित भोजन नहीं दिया जाता. किसी भी शौचालय में दरवाजा नहीं है. पानी की भी पर्याप्त व्यवस्था नहीं है. ऐसी परिस्थिति में बच्चों का सुधार नहीं हो सकता.

जमशेदपुर के ऑब्जव्रेशन होम का यह हाल है तो राज्य के अन्य रिमांड होम, ऑब्जव्रेशन होम, शेल्टर होम की स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है. अगर बाल सुधार गृह की आधारभूत संरचना पर अंक देना पड़े तो झारखंड फेल हो जायेगा. जस्टिस लोकुर रविवार को झारखंड विधिक सेवा प्राधिकार (झालसा) में जुवेनाइल जस्टिस एक्ट को प्रभावी तरीके से लागू करने संबंधी विषय पर बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे.

इस अवसर पर झारखंड हाइकोर्ट की चीफ जस्टिस आर भानुमति, जस्टिस डीएन पटेल, पटना हाइकोर्ट के जस्टिस नवीन सिन्हा, जस्टिस बीएन सिन्हा, कोलकाता हाइकोर्ट की जस्टिस नादिया पथेर, गृह सचिव एनएन पांडेय, सीआइडी एडीजी एसएन प्रधान, निदेशक समाज कल्याण पूजा सिंघल, आइपीएस संपत मीना समेत विभिन्न स्वयंसेवी संस्थाओं के प्रतिनिधि उपस्थित थे. कार्यक्रम में स्वागत भाषण जस्टिस आरआर प्रसाद और धन्यवाद ज्ञापन जस्टिस एनएन तिवारी ने किया. कार्यक्रम में झारखंड हाइकोर्ट के वर्तमान न्यायाधीश भी उपस्थित थे. कार्यक्रम में चाइल्ड वेलफेयर कमेटी, जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड के अलावा स्वयंसेवी संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने समस्याओं का जिक्र किया.

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