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मोरहाबादी में महारैली के दौरान कुरमी जाति ने दी चेतावनी, कहा, एक माह में नहीं भेजा प्रस्ताव, तो गांव में मंत्रियों की नो इंट्री
टोटेमिक कुरमी/कुड़मी (महतो) जाति को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने की मांग उठायी, दी चेतावनी रांची : कुरमी विकास मोर्चा के बैनर तले राजधानी रांची के मोरहाबादी मैदान में आयोजित इस महारैली में पूरे राज्य से बड़ी संख्या में समाज के लोगों ने हिस्सा लिया. राजनीतिक बाध्यता तोड़ कई दलों के विधायक इसमें शामिल हुए. […]
टोटेमिक कुरमी/कुड़मी (महतो) जाति को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने की मांग उठायी, दी चेतावनी
रांची : कुरमी विकास मोर्चा के बैनर तले राजधानी रांची के मोरहाबादी मैदान में आयोजित इस महारैली में पूरे राज्य से बड़ी संख्या में समाज के लोगों ने हिस्सा लिया. राजनीतिक बाध्यता तोड़ कई दलों के विधायक इसमें शामिल हुए. एक-दूसरे पर सभ्य तरीके से राजनीतिक प्रहार भी किया.
वहीं, समाज के नेताओं ने संकल्प लिया कि झारखंड, ओड़िशा और पश्चिम बंगाल को मिलाकर इस लड़ाई को व्यापक रूप दिया जायेगा. नेताओं ने कहा कि यह मंच राजनीतिक दलों का नहीं, समाज का है.
इस लड़ाई में कोई बड़ा या छोटा नहीं है. सबको मिलकर दिल्ली के रामलीला मैदान में लीला करनी है. सभा को झामुमो के विधायक अमित महतो, भाजपा विधायक नागेंद्र महतो, आजसू सुप्रीमो पूर्व विधायक सह उप मुख्यमंत्री सुदेश महतो, कांग्रेस नेता सह पूर्व मंत्री केशव महतो कमलेश, पूर्व विधायक खीरू महतो ने भी संबोधित किया.
… सिल्क की साड़ी में कुरमी महिला दिखी, तो नौकरी छोड़ दूंगा : रांची विश्वविद्यालय के कुलसचिव अमर कुमार चौधरी ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि हमारा समाज आज भी पिछड़ा हुआ है.
हमारी रहन-सहन परंपरा जनजातियों की तरह है. आज की रैली में अगर कोई सिल्क की साड़ी पहनकर आयी होगी, तो मैं नौकरी छोड़ दूंगा. कुरमियों को लंबी लड़ाई की तैयारी करनी होगी. इसके लिए समाज के एक-एक लोगों आगे आना होगा.
1931 तक कुरमी अनुसूचित जनजाति में सूचीबद्ध था : केंद्रीय सचिव रामपोदो महतो ने कहा कि 1931 तक कुरमी अनुसूचित जनजाति में सूचीबद्ध था. लेकिन 1950 की सूची में कुरमी को एसटी सूची से बाहर कर दिया गया. यह रहस्य है कि आखिर कुरमी बाहर कैसे हुए.
केंद्रीय मीडिया प्रभारी ओमप्रकाश महतो ने कहा कि समाज में ही कुछ गद्दार लोग बैठे हुए हैं, जिन्होंने हमारे इस रैली को विफल करने के लिए सारी शक्तियां लगा दीं. लेकिन आज के रैली के इस लाखों की भीड़ ने उन्हें आइना दिखा दिया है. केंद्रीय उपाध्यक्ष राजेश महतो ने कहा कि अब समाज के लोगों को बरगलाया नहीं जा सकता है. आनेवाले दिनाें में यह आंदोलन ओर तेज होगा.
पांचवीं अनुसूची के लिए चाहिए आरक्षण : पूर्व आंदोलनकारी ललित महतो ने कहा कि कुरमियों को जनजाति में शामिल करने की मांग आरक्षण के लिए नहीं है. आरक्षण तो पहले भी मिल रहा था, आज भी मिल रहा है. असल में कुरमियों को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने से आधी आबादी जनजातियों की हो जायेगी. इससे झारखंड पांचवीं अनुसूची वाला राज्य हो जायेगा. इससे पूरी व्यवस्था ग्रामसभा के पास चली जायेगी. सभी खनन और विकास का निर्णय ग्रामसभा के माध्यम से होगा.
इतिहास जाने बगैर नहीं बन सकता बेहतर भविष्य
पूर्व उप मुख्यमंत्री सुदेश महतो ने कहा कि जो लोग कुरमी को जनजाति की सूची से बाहर किये जाने को लेकर राजनीति करते हैं, वे कुरमी को जनजाति से बाहर होने का इतिहास नहीं जानते हैं. अंग्रेजों के शासन में कुरमी को अलग किया गया था. उसके बाद से कुरमी को फिर से जनजाति की सूची शामिल करने में कोई बड़ा आंदोलन नहीं हुआ है. कुरमी को जनजाति में शामिल करना अस्मिता और अस्तित्व की लड़ाई है. इसके लिए जो गलतियां हुई है, उन्हें सुधारना होगा. इसके लिए बड़ी लड़ाई लड़नी होगी. झारखंड, बंगाल और ओडिशा को इसमें शामिल करना होगा.
झारखंड कुरमियों के बलिदान का परिणाम
झामुमो के विधायक अमित महतो ने कहा कि झारखंड कुरमियों के बलिदान का परिणाम है. इस समाज के एक-एक क्रांतिकारी साथियों आगे आकर बलिदान दिया है. हमारा समाज जनजाति था. आगे भी रहेगा. वर्तमान सरकार आदिवासियों की हितैशी नहीं है. लोगों के बीच भ्रम फैलाती है. हमें आरक्षण नहीं अपना अस्तित्व चाहिए. हमारे इतिहास को जो मिटाने की कोशिश करेगा, उसका अस्तित्व समाज मिटा देगा. सरकार हमारी जमीन लूटने का काम कर रही है. गलत तरीके से भूमि अधिग्रहण का प्रयास कर रही है. इसके लिए हमें सड़क पर उतरना होगा.
एक माह में केंद्र सरकार को अनुशंसा भेजे सरकार
पूर्व विधायक खीरू महतो ने कहा कि राज्य सरकार को कुरमी को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने की अनुशंसा एक माह में भेजनी चाहिए. केंद्र सरकार इसे दो माह में लागू करें. ऐसा नहीं होने पर हम आर्थिक नाकेबंदी करेंगे. यह हमारे लिए डू एंड डाइ की स्थिति है.
हमारी जमीन नहीं ले सकेगी सरकार
विधायक नागेंद्र महतो ने कहा है कि महिलाएं जागृत हो चुकी हैं. अब समाज जागेगा. सरकार जमीन के लिए हम लोगों को एसटी में शामिल नहीं कर रही है. हम एसटी में शामिल हो जायेंगे, तो हमारी जमीन सरकार नहीं ले सकेगी. पूर्व विधायक केशव महतो कमलेश ने कहा कि अब कुरमी समाज जाग गया है. यह राजनीतिक रैली नहीं है. कुरमियों को साजिश के तहत अनुसूचित जनजाति से अलग किया गया था.
राज्य की दशा और दिशा तय करेगी यह रैली
कुरमी विकास मोर्चा के केंद्रीय अध्यक्ष शीतल ओहदार ने कहा कि राजनेता यह गलतफहमी नहीं पालें कि वे जीवन भर सांसद-विधायक बनकर ही रहेंगे. अगर अब भी नहीं चेते, तो राज्य के ऐसे कुरमी/कुड़मी नेता आनेवाले चुनाव में विधानसभा व संसद भवन का दर्शन भी नहीं कर सकेेंगे.
इन्होंने भी रखे विचार
रैली को मोर्चा के रचिया महतो, राजेंद्र महतो, गौरीशंकर महतो, सखीचंद महतो, मोहन महतो, राजेश महतो, राकेश महतो, संजय कृष्ण महतो, ललित महतो, खुशीराम महतो, ब्रह्मदेव महतो आदि ने संबोधित किया. कार्यक्रम का संचालन कुरमी विकास मोर्चा के अध्यक्ष शीतल ओहदार ने किया.
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