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झारखंड : सीएम ने कहा, गुण और दोष पर होगी कार्रवाई, तो विपक्ष ने कहा, कार्रवाई नहीं, तो सदन करेंगे ठप

मुख्य सचिव, डीजीपी और एडीजी को लेकर तीसरे दिन भी विधानसभा ठप रांची : बजट सत्र के तीसरे दिन शुक्रवार को भी झारखंड विधानसभा नहीं चली. मुख्य सचिव राजबाला वर्मा, डीजीपी डीके पांडेय और एडीजी अनुराग गुप्ता को हटाने की मांग पर विपक्ष अड़ा रहा. दोनों पालियों में विपक्ष के विधायक वेल में आ गये. […]

मुख्य सचिव, डीजीपी और एडीजी को लेकर तीसरे दिन भी विधानसभा ठप
रांची : बजट सत्र के तीसरे दिन शुक्रवार को भी झारखंड विधानसभा नहीं चली. मुख्य सचिव राजबाला वर्मा, डीजीपी डीके पांडेय और एडीजी अनुराग गुप्ता को हटाने की मांग पर विपक्ष अड़ा रहा. दोनों पालियों में विपक्ष के विधायक वेल में आ गये. हो-हंगामा होता रहा. सदन की कार्यवाही मात्र आधे घंटे ही चल सकी. पहली पाली में विपक्ष के हंगामे के कारण स्पीकर दिनेश उरांव नाराज हो गये. सदन की कार्यवाही 12़ 15 बजे तक के लिए स्थगित कर दी.
इसके बाद स्पीकर ने अपने कक्ष में विधायक दल के नेताओं की बैठक बुलायी. पर इस बैठक में भी कोई हल नहीं निकला. दूसरी पाली में मुख्यमंत्री रघुवर दास ने राज्यपाल के अभिभाषण पर सरकार का पक्ष रखा. कहा कि तीनों अधिकारियों पर कानून के तहत की कार्रवाई की जायेगी. सरकार मामले को देख रही है. सरकार गुण और दोष के आधार पर कार्रवाई करेगी. कानून से बड़ा कोई नहीं है. मुख्यमंत्री के जवाब से भी विपक्ष संतुष्ट नहीं हुआ. बाद में विपक्ष के नेता ने प्रेस कांफ्रेंस कर कहा कि जब तक आरोपी अधिकारियों को नहीं हटाया जायेगा, सदन की कार्यवाही नहीं चलने दी जायेगी. सदन में हो-हंगामा होता रहा. पहली पाली में मात्र 20 मिनट की सदन की कार्यवाही चली. वहीं, दूसरी पाली में भी मात्र 10 मिनट की सदन चल सका.
सदन में बोले सीएम
लोग जानते हैं राज्य को किसने बेचा झारखंड चल पड़ा, हाथी उड़ रहा है
राज्यपाल के अभिभाषण पर सरकार का पक्ष रखते हुए मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा : सदन में हो रही टीका-टिप्पणी से मर्यादा को धक्का लगा है. यह लोकतंत्र के लिए उचित नहीं है. झारखंड की सवा तीन करोड़ जनता सब देख रही है. वह जानती है कि झारखंड को किसने बेचा है. किसने बार-बार झारखंड को दागी मुख्य सचिव दिया है. उन्होंने कहा : राज्य के जिस अधिकारी पर कार्रवाई करने की मांग की जा रही है, उनसे सरकार ने जवाब देने को कहा था. उन्होंने कार्मिक विभाग को जवाब दे दिया है. उन पर ट्रेजरी का निरीक्षण नहीं करने का आरोप है.
उन पर सजल चक्रवर्ती जैसा भ्रष्टाचार में लिप्त होने का आरोप नहीं है. सरकार मामले को देख रही है. सरकार गुण और दोष के आधार पर कार्रवाई करेगी. कानून से बड़ा कोई नहीं है. बकोरिया कांड सब ज्यूडिस है. एडीजी की चिट्ठी पर गृह विभाग कार्रवाई कर रहा है. झारखंड को कोई रोकनेवाला नहीं है. झारखंड चल पड़ा है. हाथी उड़ रहा है.
विपक्ष ने की प्रेस कांफ्रेंस
मौका दिया, पर सीएम ने नहीं की मुद्दे की बात, गुरुजी पर लांछन लगाया
सदन की कार्यवाही समाप्त होने के बाद विपक्ष के आलमगीर आलम, स्टीफन मरांडी, अरूप चटर्जी, प्रदीप यादव और सुखदेव भगत ने संयुक्त रूप से प्रेस कांफ्रेंस की. कहा : सत्ता पक्ष नहीं चाहता है कि सदन चले. विपक्ष ने सरकार को मौका दिया था. लेकिन, मुख्यमंत्री ने मुद्दे पर बात नहीं की. पिछले दिनों अमर्यादित भाषा बोलनेवाले मुख्यमंत्री ने आज फिर गुरुजी जैसे सम्मानित व्यक्ति पर लांछन लगाया है. शिबू सोरेन और हेमंत सोरेन झारखंड के भूमि पुत्र हैं. उनके कारण ही अलग राज्य का निर्माण हुआ है. मुख्यमंत्री खुद बोरो प्लेयर हैं. जब तक आरोपी अधिकारियों को नहीं हटाया जायेगा, सदन की कार्यवाही नहीं चलने दी जायेगी. मुख्यमंत्री 22 बार जवाब नहीं देनेवाले अधिकारी को चूक बता रहे हैं. वह जान-बूझ कर मुख्य सचिव को बचाना चाहते हैं. पेज नौ भी देखें
… इधर, आइएएस अधिकारी वंदना डाडेल ने सोशल मीडिया पर किया पोस्ट
अब चलन में नहीं रहा नैतिक आधार पर इस्तीफा देना
रांची : आइएएस अधिकारी वंदना डाडेल का सोशल मीडिया पर डाला गया पोस्ट एक बार फिर चर्चा में है. शुक्रवार को उन्होंने अपने फेसबुक एकाउंट पर पोस्ट किया : नैतिक आधार पर इस्तीफा देना, अब चलन में नहीं रहा. हालांकि, उन्होंने यह साफ नहीं किया है कि यह पोस्ट किसके लिए है.
पर इसे राज्य के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक से जोड़ कर देखा जा रहा है. पोस्ट पर ज्यादा लाइक और कमेंट नहीं आ रहे हैं. लेकिन, प्रशासनिक गलियारों में पोस्ट की चर्चा खूब हो रही है. फिलहाल, वंदना डाडेल हजारीबाग प्रमंडल की आयुक्त हैं. वह सोशल मीडिया को अपनी भावनाएं व्यक्त करने का माध्यम पहले भी बनाती रही हैं. दो साल पूर्व उन्होंने अपने तबादले को लेकर फेसबुक पोस्ट कर नाराजगी जतायी थी. पिछले वर्ष छुट्टी न मिलने से परेशान होकर उन्होंने फेसबुक पर ही अपनी पीड़ा जाहिर करते हुए सुझाव आमंत्रित किये थे.
इस पर राज्य सरकार ने नोटिस जारी कर पक्ष रखने के लिए कहा गया था. उन्होंने अपने फेसबुक पोस्ट को निजी बताते हुए कहा था कि उन्होंने राज्य सरकार या किसी अन्य पर नाराजगी नहीं व्यक्त की थी.
सरकारी पदाधिकारियों के लिए निर्धारित हैं नियम
सोशल मीडिया पर विचार व्यक्त करने के मामले में सरकार ने नियम निर्धारित किये हैं. किसी भी प्रशासनिक अधिकारी या कर्मचारी को सरकार व उसकी नीतियों से संबंधित पोस्ट करने की इजाजत नहीं दी गयी है. ऐसे करने पर संबंधित अधिकारी या कर्मचारी पर कार्रवाई का प्रावधान है.

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