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आंदोलन के प्रणेता बन गये भ्रष्टाचार के प्रतीक : हरिवंश

वरिष्ठ पत्रकार सह राज्यसभा सदस्य हरिवंश ने कहा कि भ्रष्टाचार से छुटकारा पाने के लिए देश में सिस्टम को बदलने की जरूरत है. देश में सिस्टम को बदलने के लिए समय-समय पर आंदोलन हुए हैं. इसमें एक आंदोलन वर्ष 1974 का भी था. इस आंदोलन में शामिल कुछ नेता जैसे नीतीश कुमार, सरयू राय को […]

वरिष्ठ पत्रकार सह राज्यसभा सदस्य हरिवंश ने कहा कि भ्रष्टाचार से छुटकारा पाने के लिए देश में सिस्टम को बदलने की जरूरत है. देश में सिस्टम को बदलने के लिए समय-समय पर आंदोलन हुए हैं.
इसमें एक आंदोलन वर्ष 1974 का भी था. इस आंदोलन में शामिल कुछ नेता जैसे नीतीश कुमार, सरयू राय को छोड़ दिया जाये, तो आंदोलन के अधिकतर नेता भ्रष्टाचार के प्रतीक बन गये. आंदोलन की सफलता से मिली सत्ता को इन्होंने निजी स्वार्थ के लिए उपयोग किया, जिसकी वजह से इसका उद्देश्य नहीं प्राप्त हो सका. उन्होंने कहा कि सरयू राय की पुस्तक से सीख लेकर ही हम बेहतर देश, राज्य व समाज की परिकल्पना कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि देश में लगातार घाटे का बजट पेश हो रहा है.
आम आदमी पर कर्ज का बोझ लगातार बढ़ता जा रहा है. उन्होंने तीन वर्ष पूर्व पेश किये गये बजट का उदाहरण देते हुए बताया कि उस वक्त देश में टैक्स से 14-15 लाख करोड़ की आमदनी थी, जबकि खर्च 17-18 लाख करोड़ था. इसके अलावा 10 लाख करोड़ रुपये का कर्ज पहले का था.
पिछले 30-40 वर्षों की फिजूलखर्ची के कारण ही तत्कालीन प्रधानमंत्री चंद्रशेखर को सोना गिरवी रखना पड़ा था. उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए हमें निजी और सार्वजनिक संपत्ति के फर्क को समझना होगा.

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