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झारखंड : ठंड ने बढ़ायी मुश्किल, हर दूसरा घर मौसमी बीमारी की चपेट में
बढ़ती ठंड के साथ चल रहीं तेज हवाएं, गर्म कपड़े हुए बेअसर रांची : बढ़ती ठंड के साथ चल रही तेज हवाओं ने राजधानीवासियों के सामने मुश्किल खड़ी कर दी है. एहतियात के बावजूद लोग मौसमी बीमारी का शिकार हो जा रहे हैं. आलम यह है कि हर दूसरे घर में बुखार, सर्दी-खांसी, उल्टी-दस्त के […]
बढ़ती ठंड के साथ चल रहीं तेज हवाएं, गर्म कपड़े हुए बेअसर
रांची : बढ़ती ठंड के साथ चल रही तेज हवाओं ने राजधानीवासियों के सामने मुश्किल खड़ी कर दी है. एहतियात के बावजूद लोग मौसमी बीमारी का शिकार हो जा रहे हैं. आलम यह है कि हर दूसरे घर में बुखार, सर्दी-खांसी, उल्टी-दस्त के मरीज सामने आ रहे हैं. नतीजन, शहर के सरकारी और निजी अस्पतालों में मौसमी बीमारी से पीड़ित मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है.
रिम्स और सदर अस्पताल के मेडिसिन ओपीडी में मौसमी बीमारी के मरीजोंकी संख्या बढ़ गयी है. जिन मरीजों की स्थिति गंभीर मिल रही है, उन्हें वार्ड में भरती कर इलाज करना पड़ रहा है.
बुधवार को रिम्स के मेडिसिन ओपीडी में करीब 40 से ज्यादा मौसमी बीमारी से पीड़ित मरीज परामर्श के लिए अाये. ओपीडी में इलाज कर रहे डॉ उमेश प्रसाद ने बताया कि बुखार व खांसी के मरीजों की संख्या बढ़ी है. सबसे ज्यादा मरीज ब्लड प्रेशर के आ रहे हैं. ब्लड प्रेशर बढ़ने से बेचैनी, सिर में दर्द की समस्या हो रही है. वहीं, सदर अस्पताल में फिजिशियन डॉ विजय कुमार सिंह ने बताया कि ठंड बढ़ने से मरीजों की संख्या अधिक हुई है. 50 फीसदी तो बुखार, उल्टी, सर्दी-खांसी के मरीज मिल रहे हैं.
बच्चों और बुजुर्गों की संख्या सबसे ज्यादा : मौसमी बीमारी की चपेट में सबसे ज्यादा बच्चे व बुजुर्ग आ रहे हैं. कई बच्चे व बुजुर्ग निमोनिया से पीड़ित हैं. शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ अनिताभ कुमार ने बताया कि बच्चों को इस मौसम में विशेष ध्यान देना चाहिए, क्योंकि वह जल्द बीमार पड़ जाते हैं.
प्री-मैच्योर बच्चे व कम वजन वाले बच्चों को बदलते मौसम में ज्यादा परेशानी बढ़ जाती है. ऐसे में बच्चों को सुबह व शाम को पूरे वदन को कपड़ा पहनाकर रखना चाहिए. गर्म व ताजा ही खिलाना चाहिए. अगर बच्चे का पसली तेज चलने लगे तो तुरंत चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए.
दवा का भी नहीं हो रहा असर, परेशान हैं मरीज
सदर अस्पताल के फिजिशियन डॉ विजय सिंह ने बताया कि मौसमी बीमारी को वायरल इंफेक्शन कहा जाता है. इसमें एंटीबायोटिक का कोई रोल नहीं होता है. यह अपने आप धीरे-धीरे समाप्त हो जाता है. हम लक्षण के हिसाब से मरीज का इलाज करते हैं. वायरल इंफेक्शन के बाद दूसरे स्टेज में बैक्टिरियल इंफेक्शन हो जाता है. इसमें एंटीबायोटिक काम करता है. यही कारण है कि मौसमी बीमारी को ठीक होने में एक सप्ताह से 10 दिन तक लग जा रहा है.
इन बातों का रखें ख्याल
– पूरे बदन का कपड़ा पहनें
– नाक, कान व मुंह ठंड हवाओं से बचायें – ठंड में तड़के घर से बाहर नहीं निकलें – घर के तापमान को गर्म रखें – गर्म खाना व गुनगुना पानी का इस्तेमाल करें
– ब्लड प्रेशर के मरीज नियमित बीपी जांच करायें – हार्ट व दमा के मरीज ठंड हवाओं से बचे, क्योंकि सांस की समस्या हो सकती है.
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