रांची : न्यूक्लियस मॉल के सीएमडी विष्णु कुमार अग्रवाल ने रांची नगर निगम पर 350 करोड़ रुपये का मानहानि का दावा किया है. इस संबंध में कोलकाता हाइकोर्ट के वकील निलय सेन गुप्ता ने रांची नगर निगम, नगर आयुक्त व निगम के नोडल ऑफिसर फरहत अनिसी को नोटिस भी भेजा है. नोटिस के माध्यम से […]
रांची : न्यूक्लियस मॉल के सीएमडी विष्णु कुमार अग्रवाल ने रांची नगर निगम पर 350 करोड़ रुपये का मानहानि का दावा किया है. इस संबंध में कोलकाता हाइकोर्ट के वकील निलय सेन गुप्ता ने रांची नगर निगम, नगर आयुक्त व निगम के नोडल ऑफिसर फरहत अनिसी को नोटिस भी भेजा है. नोटिस के माध्यम से कहा गया है कि रांची नगर निगम और उनके अधिकारियों के गैर कानूनी व गैर जिम्मेदार हरकतों से न्यूक्लियस मॉल व विष्णु कुमार अग्रवाल दोनों की छवि धूमिल हुई है.
वकील श्री गुप्ता ने निगम से सात दिनों के भीतर सभी अखबारों में एक शुद्धि पत्र प्रकाशित करने का आग्रह किया है. ऐसा नहीं करने पर निगम के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की बात कही है.
यह है मामला : 22 दिसंबर को अखबारों में यह खबर प्रकाशित हुई थी कि निगम को होल्डिंग टैक्स के बारे में गलत जानकारी दी गयी है. इस मामले में विष्णु कुमार अग्रवाल भी शामिल थे. वकील ने नोटिस में कहा है कि विष्णु अग्रवाल ने नगर निगम को सारी जानकारी सही दी थी. इसके बावजूद नगरपालिका की ओर से उन्हें जानबूझ कर बदनाम करने की नीयत से ऐसा किया गया.
वकील ने नोटिस में यह कहा
नोटिस के माध्यम से यह भी कहा गया कि विष्णु कुमार अग्रवाल के नाम से लालपुर, रांची में किसी प्रकार की कोई निजी संपत्ति नहीं है. इसके बावजूद इस मामले में उनकी छवि को बदनाम करने की नीयत से उनका नाम घसीटा गया. निगम को सभी सही जानकारी दी गयी. निगम की ओर से नोटिस भेजा जाना चाहिए था. यह आज तक नहीं मिला है. झारखंड नगरपालिका अधिनियम 2011 की धारा 33-3-ख का भी उल्लंघन किया गया है. नियमावली के मुताबिक इस मामले में नगरपालिका के किसी अधिकारी को नियुक्त किया जाना आवश्यक है. जबकि उल्लंघन करते हुए मेसर्स च्वाइस कंसल्टेंसी को नियुक्त किया है. यही नहीं जुर्माना भी न्यूनतम 50 और अधिकतम 100 प्रतिशत हो सकता है. जबकि निगम की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक नियमों की अनदेखी करके 200 प्रतिशत जुर्माना लगाया गया है. निगम की ओर से पास किये गये नक्शे के अनुसार मॉल का निर्माण किया गया है. निगम की ओर से दिसंबर, 2016 में जांच करके जनवरी, 2017 में ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट भी निगम ने दिया है.