जीसस यूथ के चार राष्ट्रीय अधिवेशन में बोले कार्डिनल
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सचेत रहें, ताकि विद्वेष और क्रूरता का वातावरण नुकसान न पहुंचाये
जीसस यूथ के चार राष्ट्रीय अधिवेशन में बोले कार्डिनल रांची : जीसस यूथ टीन मिनिस्ट्री का चार दिवसीय वार्षिक राष्ट्रीय अधिवेशन संत अलबर्ट कॉलेज में संपन्न हुआ़ समापन दिवस पर कार्डिनल तेलेस्फोर पी टोप्पो किशोर व युवाओं से रूबरू हुए़ मिस्सा अनुष्ठान संपन्न कराया़ इस अवसर पर उन्होंने कहा कि यदि हम सचेत न रहें, […]
रांची : जीसस यूथ टीन मिनिस्ट्री का चार दिवसीय वार्षिक राष्ट्रीय अधिवेशन संत अलबर्ट कॉलेज में संपन्न हुआ़ समापन दिवस पर कार्डिनल तेलेस्फोर पी टोप्पो किशोर व युवाओं से रूबरू हुए़ मिस्सा अनुष्ठान संपन्न कराया़ इस अवसर पर उन्होंने कहा कि यदि हम सचेत न रहें, तो हमारे चारों ओर फैला विद्वेष व क्रूरता का वातावरण हमारा भी कुछ मानसिक और आत्मिक नुकसान कर सकता है़ धार्मिक कट्टरवाद अथवा धर्मांधता की घटनाएं हममें क्रोध व बदला लेने की भावना को उभार सकती हैं.
हम प्रेम, करुणा और क्षमा से संबंधित प्रभु यीशु की शिक्षा से भटक सकते हैं. यह समझना भी वास्तविकता से दूर होगा कि सिर्फ मसीही ही पड़ोसी के प्रति प्रेम की प्रभु यीशु की शिक्षा का आदर करते हैं. सदिच्छा के तमाम लोग प्रेम, करुणा और क्षमाशीलता की न केवल सराहना करते हैं, बल्कि ऐसे समाज की रचना में भी लगे हुए हैं. हमें ऐसे प्रयासों का समर्थन करते हुए उनका सहयोग करना जरूरी है़ तभी हम प्रभु यीशु मसीह की एकमात्र चिंता ईश्वर के राज्य की स्थापना में सहयोगी की भूमिका निभा सकेंगे़ इस चार दिवसीय अधिवेशन में देशभर से 350 से अधिक किशोर व युवा शामिल हुए़ फादर पी जॉर्ज, मारिया जोस, इमानुएल जोसफ, दिव्या इमानुएल व अन्य ने भी लोगों को संबोधित किया़
पहली आज्ञा का संकीर्ण अर्थ निकालना धर्मांधता
कार्डिनल नेे कहा कि मारकुस रचित सुसमाचार के अनुसार प्राचीन धर्मशास्त्रों के एक विद्वान के साथ हुई एक चर्चा के दौरान प्रभु यीशु ने दस आज्ञाओं का सारांश इस प्रकार दिया था. पहली आज्ञा यह है- हमारा प्रभु ईश्वर एकमात्र प्रभु है़ अपने प्रभु ईश्वर को अपने सारे हृदय, अपनी सारी आत्मा, अपनी सारी बुद्धि व सारी शक्ति से प्यार करो़ दूसरी आज्ञा है- अपने पड़ोसी को अपने समान प्यार करो़ पहली आज्ञा में उद्घोषणा का भाव अधिक है़ उसमें ईश्वर की प्रकृति का वर्णन है़
ईश्वर की संतान बनने के लिए हमें उनके स्वभाव को अपनाना जरूरी है़ पर, पड़ोसी प्रेम से संबंधित दूसरी आज्ञा के पालन के बिना अथवा उसे कम महत्व देते हुए पहली आज्ञा का संकीर्ण अर्थ निकालना धार्मिक कट्टरवाद अथवा धर्मांधता है़ ऐसी समझ के अनुसार नित नयी परिस्थितियों में पवित्र आत्मा के कार्य के लिए कोई स्थान नहीं है़ न तो पश्चाताप और मन फिराव का कोई महत्व है और न ही ईश करुणा के लिए कोई स्थान है़ अंतिम ब्यारी के समय प्रभु यीशु ने अपने चेलों से कहा था, मैं तुम लोगों को एक नयी आज्ञा देता हूं- तुम एक-दूसरे से प्यार करो, जिस प्रकार मैंने तुम लोगों को प्यार किया है़ इसी से सभी जान जायेंगे कि तुम मेरे शिष्य हो़ मिस्सा समारोह के दौरान फादर जेवियर कचापल्ली, फादर महेंद्र पीटर तिग्गा, फादर अनुरंजन, फादर रौशन व फादर काजितन ने मुख्य अनुष्ठाता को सहयोग दिया़
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