रांची: हरमू रोड में हम किसी भी हाल में फ्लाइओवर नहीं बनने देंगे. अगर सरकार जबरन जमीन अधिग्रहण करने पर अड़ी रही, तो इसके लिए हमें जान भी देना पड़े, तो हम पीछे नहीं हटेंगे. जिस दिन सरकार जबरन जमीन अधिग्रहण करेगी, उसी दिन हम सारे रैयत सामूहिक आत्मदाह करेंगे. उक्त बातें मंगलवार को प्रभात खबर कार्यालय में हरमू रोड बचाओ संघर्ष समिति के सदस्यों ने कही.
सदस्यों ने अपनी पीड़ा बतायी कि कैसे बार-बार उन्हें ही जमीन देनी पड़ती है. सदस्यों ने कहा कि दो बार हरमू रोड के चौड़ीकरण में हमने अपनी जमीन दी है. अब किसी के पास 10 फीट तो किसी के पास 15 फीट जमीन बची हुई है. अब सरकार फ्लाइओवर के नाम पर बची जमीन पर भी कब्जा करना चाह रही है, जो हमारे जीते जी कभी संभव नहीं होगा. सरकार को जो तिकड़म करना है, कर ले. लेकिन जमीन हमारी है. हम उसे किसी भी हाल में फ्लाइओवर बनने के लिए नहीं देंगे. इस मुद्दे पर यहीं के रहनेवाले विनोद शर्मा ने कहा कि सड़क जाम से किसी को दिक्कत नहीं है. केवल नेताओं को यहां के जाम से परेशानी है. क्यों नहीं सारे नेता धुर्वा में बन रहे स्मार्ट सिटी में शिफ्ट हो जाते हैं. शहर को सारे झंझट से मुक्ति मिल जायेगी.
लंबे-चौड़े काफिलों से लगता है जाम : मेहुल मृगेंद्र
हरमू रोड में जाम के नाम पर फ्लाइओवर बनाने का हवाला दिया जा रहा है. मुख्यमंत्री हमें यह बताएं कि रांची में कहां जाम नहीं लगता है. जाम का मुख्य कारण, तो खुद मुख्यमंत्री व उनके मंत्री हैं. लंबा-चौड़ा काफिला लेकर ये इस सड़क से गुजरते हैं. जिसके कारण सभी चौक-चौराहों को बैरिकेडिंग कर बंद कर दिया जाता है. काफिला गुजरने के बाद ट्रैफिक पुलिस किनारे हट जाती है. फिर जाम का सिलसिला शुरू होता है. हरमू रोड से ज्यादा जाम तो कचहरी चौक, मेन रोड में लगती है. फिर सरकार ने वहां से क्यों फ्लाईओवर का प्रस्ताव वापस ले लिया. जब नयी राजधानी बन रही है, तो बेहतर होगा सरकार वहां शिफ्ट हो जाये तब फ्लाईओवर की जरूरत भी नहीं होगी.
अधिकारी सिटी बसों में करें सफर : राजेश दास
दुनिया के किसी भी देश को फ्लाइओवर बनाकर जाम मुक्त नहीं किया जा सका है. ट्रैफिक की समस्या को हम सॉल्व नहीं कर सकते हैं. इसे मैनेज किये जाने की जरूरत है. इसके लिए शहर के कुछ प्रमुख सड़कों पर बीआरटीएस सिस्टम से बसें चलायी जा सकती हैं. टाटा हमारे इस राज्य के लिए गौरव है. उनसे संपर्क कर हम राजधानी रांची सहित, जमशेदपुर व धनबाद की ट्रैफिक उनके हवाले कर सकते हैं. इसके अलावा जितने भी अधिकारी हैं वे लंबे-लंबे वाहन लेकर कार्यालय क्यों जाते हैं. ट्रैफिक की इतनी ही फिक्र है तो उन्हें सिटी बस में सफर करनी चाहिए. मंत्रियों को भी वाहनों का लंबा-चौड़ा काफिला लेकर चलने की जहग सादगी का परिचय देना चािहए.
हरमू से ज्यादा जाम तो रातू रोड रहता है : संतोष गुप्ता
हरमू रोड से अधिक जाम तो रातू रोड में लगता है. वहां फ्लाइओवर बनाने का ख्याल सरकार को क्यों नहीं आ रहा है. सरकार को फ्लाइओवर के लिए केवल हरमू रोड इसलिए दिख रहा है कि यहां से मंत्री व नेताओं को आने-जाने में दिक्कत होती है. अगर इसके लिए हमारी जमीन अधिग्रहित की गयी, तो फिर हमारे पास सामूहिक आत्मदाह के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं बचेगा. जान दे देंगे पर एक इंच जमीन नहीं देंगे.
कहां रहेंगे हम, कैसे करेंगे रोजगार : निशांत विश्वकर्मा
वर्ष 1992 में हमारे पास सड़क से लगती हुई 50 फीट जमीन थी. उस समय चौड़ीकरण के नाम पर 30 फीट जमीन ली गयी. अब फ्लाइओवर के नाम पर फिर से 15 फीट जमीन लेने की तैयारी चल रही है. अब हमें कोई बताये कि पांच फीट की बची जमीन पर हम क्या करेंगे. कैसे पांच फीट जमीन पर हम रोजगार करेंगे. ओर कहां पर हमारा परिवार रहेगा. कुछ लोगों की सुविधा के लिए हमारे परिवार को सड़क पर लाने की तैयारी है.
1992 में ही अधिग्रहण कर ले ली जमीन : राजकुमार गुप्ता
जमीन तो जो कुछ था, 1992 के अधिग्रहण के दौरान खत्म हो गया. केवल रहने के लिए घर बचा है. अब फ्लाइओवर के लिए इस घर को भी कुर्बान करना पड़ेगा. कोई हमें बताये की इसके बाद हम कहां जायेंगे. इतने लोगों का घर उजाड़कर सरकार क्यों फ्लाइओवर बनाने पर अड़ी हुई है. क्यों नहीं सरकार राजभवन व मुख्यमंत्री आवास को धुर्वा में ही बसा लेती है. सरकारी कार्यालय भी शहर से बाहर ले जाना चाहिए.
32 फीट में घर है, 22 फीट ले लेगी सरकार : गोपाल
सरकारी नौकरी से सेवानिवृत्त होकर हरमू रोड में एक छोटा सा मकान बनाया. अभी जिस भूखंड पर घर बना है. वह 32 फीट में है. अब सरकार 22 फीट जमीन अधिग्रहण करने वाली है. अब बताइए 10 फीट के भूखंड पर पूरा परिवार कैसे रहेगा. रोजी रोजगार का तो कोई दूसरा साधन अब हमारे पास कुछ बचा नहीं. अपनी जिंदगी भर की कमाई यहां लगा दिया है. अब इसे सरकार ले लेगी, तो हम जैसे क्या करेंगे.
पहले मेन रोड व सर्कुलर रोड में ब्रिज बने : रमण
मेन रोड व सर्कुलर रोड में भी बहुत जाम लगता है. सरकार सबसे पहले यहां फ्लाइओवर का निर्माण कराये. लेकिन इस जगहों पर बड़े और पैसेवाले लोग रहते हैं इसलिए सरकार यहां हाथ नहीं डाल सकती है. सरकार एक ओर शहर के फुटपाथ दुकानदारों को बसाने की पहल कर रही है. वहीं दूसरी ओर जो खुद से दुकान खाेल कर बैठे हैं. उन्हें उजाड़ने पर लगी हुई है. आखिर यह दोहरी नीति सरकार क्याें चला रही है.
सोशल इंपैक्ट सर्वे ही गलत हुआ : शंभु
फ्लाइओवर के लिए सोशल इंपैक्ट सर्वे ही गलत हुआ है. इस सर्वे में न तो विधायक, मेयर, डिप्टी मेयर हैं ओर न ही हरमू रोड के रैयत हैं. बिना हमारी मर्जी के हमारी जमीन पर फ्लाइओवर बनाने का सपना देख लिया गया है. इसे हम जीते जी कभी पूरा नहीं होने देंगे.
वीआइपी के लिए बनेगा फ्लाइओवर : मनोज शर्मा
केवल वीआइपी के लिए फ्लाइओवर का निर्माण किया जा रहा है. सरकार यह कदम क्यों नहीं उठा रही है कि सारे मंत्रियों व अधिकारियों के आवास को शहर के बाहर धुर्वा में ले जाकर बनाया जाये. इन वीवीआइपी लोगों के लिए हजारों गरीब परिवारों के वर्तमान और भविष्य से खिलवाड़ किया जा रहा है. यह बंद होना चािहए. कम से कम हरमू रोड के इतने परिवार के लोग दो वक्त की रोटी तो सुख चैन से खा सकेंगे. कुछ लोगों की सुविधा के लिए सबके साथ अन्याय न हो.