कक्षा आठ के लिए केवल एक प्रकाशक ने ही टेंडर जमा किया था. जबकि कक्षा छह व सात के लिए दो-दो प्रकाशकों ने टेंडर जमा किया था. किताब आपूर्ति के लिए प्रकाशकों द्वारा जमा टेंडर का रेट भी गत वर्ष की तुलना में काफी अधिक था. कक्षा आठ के लिए मात्र एक निविदा व कुछ कक्षाओं के लिए जमा निविदा का दर अधिक होने के कारण टेंडर रद्द करने का निर्णय लिया गया. झारखंड शिक्षा परियोजना द्वारा अब नये सिरे से टेंडर प्रक्रिया शुरू की जायेगी. री-टेंडर की प्रक्रिया दिसंबर के प्रथम सप्ताह में शुरू होने की संभावना है. उल्लेखनीय है कि शैक्षणिक सत्र 2018-19 के लिए अप्रैल से पहले बच्चों को किताब देना है.
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निदेशक की अध्यक्षता में परचेज कमेटी ने लिया निर्णय, 45 लाख बच्चों की किताबों के लिए फिर से होगा टेंडर
रांची : शैक्षणिक सत्र 2018-19 के किताब वितरण के लिए री-टेंडर होगा. कक्षा एक से आठ तक के लगभग 45 लाख बच्चों को नि:शुल्क किताब देने के लिए इस वर्ष अगस्त में टेंडर की प्रक्रिया शुरू की गयी थी. टेंडर प्रक्रिया शुरू करने के चार माह बाद अब फिर से टेंडर करने का निर्णय लिया […]
रांची : शैक्षणिक सत्र 2018-19 के किताब वितरण के लिए री-टेंडर होगा. कक्षा एक से आठ तक के लगभग 45 लाख बच्चों को नि:शुल्क किताब देने के लिए इस वर्ष अगस्त में टेंडर की प्रक्रिया शुरू की गयी थी. टेंडर प्रक्रिया शुरू करने के चार माह बाद अब फिर से टेंडर करने का निर्णय लिया गया है. री -टेंडर करने का निर्णय बुधवार को झारखंड शिक्षा परियोजना की परचेज कमेटी की बैठक में लिया गया. बैठक में किताब वितरण को लेकर प्रकाशकों द्वारा जमा निविदा पर विचार किया.
90 दिनों में करनी है आपूर्ति
वर्क ऑर्डर जारी होने के 90 दिनों के अंदर प्रकाशकों को किताब की आपू्र्ति करनी हाेती है. ऐसे में किताब वितरण के टेंडर प्रक्रिया के साथ-साथ वर्क अॉर्डर भी दिसंबर अंत तक जारी करना होगा. समय पर टेंडर प्रक्रिया पूरा नहीं होने पर सत्र शुरू होने के साथ बच्चों को किताब देने में परेशानी होगी. 90 दिनाें के अंदर किताब की आपूर्ति नहीं करनेवाले प्रकाशकों से निर्धारित मापदंड के अनुसार पेनल्टी वसूलने का प्रावधान है. प्रकाशकों द्वारा किताब प्रखंड मुख्यालय तक पहुंचायी जायेगी. प्रखंड मुख्यालय से स्कूल तक किताबें भेजी जायेंगी.
नि:शुल्क हैं किताब
सर्व शिक्षा अभियान के तहत सरकारी विद्यालयों में पढ़ने वाले कक्षा एक से आठ तक के बच्चों को नि:शुल्क किताबें दी जाती हैं. किताब वितरण झारखंड शिक्षा परियोजना द्वारा किया जाता है. किताब वितरण पर खर्च होने वाली राशि का 60 फीसदी केंद्र सरकार देती है. जबकि 40 फीसदी राशि राज्य सरकार द्वारा दी जाती है. वर्ष 2018-19 में सबसे अधिक किताब की मांग पलामू जिला से की गयी है.
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