रांची: बरकट्ठा सीओ मनोज तिवारी को रिश्वत लेते गिरफ्तार किये जाने के विवाद के बाद भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने सरकार से आठ मजिस्ट्रेट की मांग की है. मजिस्ट्रेट मिलने के बाद उन्हें प्रमंडलवार पदस्थापित किया जायेगा, ताकि किसी ओरापी के रिश्वत लेने की सूचना मिलने पर एसीबी की टीम के साथ मजिस्ट्रेट को भेजा […]
रांची: बरकट्ठा सीओ मनोज तिवारी को रिश्वत लेते गिरफ्तार किये जाने के विवाद के बाद भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने सरकार से आठ मजिस्ट्रेट की मांग की है. मजिस्ट्रेट मिलने के बाद उन्हें प्रमंडलवार पदस्थापित किया जायेगा, ताकि किसी ओरापी के रिश्वत लेने की सूचना मिलने पर एसीबी की टीम के साथ मजिस्ट्रेट को भेजा जा सके. इससे एसीबी के कार्यों की गोपनीयता भी बरकार रहेगी और विवाद की स्थिति उत्पन्न नहीं होगी. एसीबी ने सरकार को यह भी बताया कि एसीबी में पहले से मजिस्ट्रेट के आठ पद हैं.
लेकिन वर्तमान में एक भी मजिस्ट्रेट की तैनाती नहीं है. एसीबी की ओर से सरकार को यह भी बताया गया है कि पूर्व में चान्हो बीडीओ प्रवीण कुमार की गिरफ्तारी के दौरान भी विवाद की स्थिति उत्पन्न हुई थी. तब एसीबी की टीम को स्थानीय लोगों ने घेर लिया था, जिस कारण तत्कालीन बीडीओ प्रवीण कुमार को एसीबी गिरफ्तार नहीं कर पायी थी. हालांकि बाद में अनुसंधान के दौरान बीडीओ पर रिश्वत लेने के आरोप काे आरोप सही पाया गया था.
उल्लेखनीय है कि वर्तमान में एसीबी मजिस्ट्रेट नहीं रहने के कारण संबंधित जिला के डीसी को पत्राचार कर मजिस्ट्रेट की मांग करती है. इसके बाद मजिस्ट्रेट को लेकर रिश्वत लेने के आरोपी को गिरफ्तार करने जाती है. इसका यह फायदा होता है कि एसीबी की कार्रवाई निष्पक्ष रहती है और एसीबी को स्वतंत्र गवाह के रूप में मजिस्ट्रेट मिल जाते हैं.
सरकार ने दिया एसीबीको मजिस्ट्रेट साथ लेकरजाने का निर्देश : झारखंड प्रशासनिक सेवा संघ की ओर से बरकट्ठा सीओ को गलत तरीके से गिरफ्तार किये जाने का आरोप लगाये जाने के बाद सरकार ने एसीबी को निर्देश दिया है कि वे रिश्वत लेने के आरोपी को ट्रैप करने के लिए मजिस्ट्रेट साथ लेकर जाये. इसके साथ ही कार्रवाई भी मजिस्ट्रेट की उपस्थिति में होगी. सरकार द्वारा जारी आदेश के अनुसार निगरानी मैनुअल में ट्रैपिंग संबंधित मामलों में स्वतंत्र राजपत्रित पदाधिकारी को आरोपी लोकसेवक के वार्तालाप को सुनने और मांगी गयी राशि के आदान-प्रदान के संबंध में गवाह के रूप में एसीबी के साथ उपस्थित रहने का प्रावधान है. इसलिए निगरानी मैनुअल में दिये गये निर्देश के अनुसार ही रिश्वत लेते आरोपी सरकारी पदाधिकारी या कर्मी को पकड़ने की कार्रवाई की जाये.