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पते पर नहीं मिला प्रज्ञान विवि, भेजा गया नोटिस वापस

रांची : राज्य सरकार द्वारा प्रज्ञान यूनिवर्सिटी को भेजा गया नोटिस लौट आया है. डाक विभाग ने सरकार को यह कहते हुए नोटिस लौटा दिया है कि संबंधित ठिकाने पर इस नाम की कोई संस्था या व्यक्ति नहीं है. कोलकाता सीआइडी द्वारा प्रज्ञान फाउंडेशन के खिलाफ की गयी कार्रवाई के दौरान इस यूनिवर्सिटी द्वारा की […]

रांची : राज्य सरकार द्वारा प्रज्ञान यूनिवर्सिटी को भेजा गया नोटिस लौट आया है. डाक विभाग ने सरकार को यह कहते हुए नोटिस लौटा दिया है कि संबंधित ठिकाने पर इस नाम की कोई संस्था या व्यक्ति नहीं है.

कोलकाता सीआइडी द्वारा प्रज्ञान फाउंडेशन के खिलाफ की गयी कार्रवाई के दौरान इस यूनिवर्सिटी द्वारा की गयी जालसाजी की खुलासा होने के बाद सरकार ने राज्य में उसकी मान्यता समाप्त करने के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया था. सरकार ने प्रज्ञान यूनिवर्सिटी स्थापित करने के लिए दी गयी अनुमति को रद्द करने के लिए तीन ठिकानों पर नोटिस भेजा था.

इसमें यह कहा गया था कि फाउंडेशन ने निजी विवि स्थापित करने के लिए निर्धारित मॉडल गाइड लाइन का उल्लंघन किया है. उल्लेखनीय है कि सरकार ने अगस्त 2016 में विश्वविद्यालय के लिए शिक्षकों और शिक्षकेतर कर्मचारियों की नियुक्त से संबंधित रिपोर्ट मांगी थी. लेकिन फाउंडेशन ने अब तक यह रिपोर्ट सरकार को नहीं दी है. कोर्स और फीस का ब्योरा भी सरकार को नहीं दिया है. लिहाजा सरकार ने कहा है कि क्यों नहीं उसे दी गयी मान्यता को रद्द कर दिया जाये.

सरकार ने जिन ठिकानों पर नोटिस भेजा था उसमें प्रज्ञान फाउंडेशन ट्रस्ट रूप चंद मुखर्जी लेन कोलकाता, महाबीर टाॅवर रांची और मिसिर गोंदा का पता शामिल था. डाक विभाग ने इन ठिकानों पर भेजे गये पत्र को लौटा दिया है. इसके कारणों का उल्लेख करते हुए कहा गया है कि रांची के दोनों ठिकानों पर प्रज्ञान यूनिवर्सिटी नाम की कोई संस्था नहीं है, ना ही इन ठिकानों पर संस्था का कोई पदाधिकारी है. कोलकाता स्थित फाउंडेशन के कार्यालय को कोलकाता सीआइडी की आर्थिक अपराध शाखा ने विधान नगर थाने में दर्ज प्राथमिकी के मद्देनजर सील कर दिया है.

क्या है मामला
राज्य सरकार ने प्रज्ञान फाउंडेशन ट्रस्ट को यूनिवर्सिटी खोलने की अनुमति दी थी. फाउंडेशन ने यहां अपना काम काज शुरू किया ही था कि कोलकाता सीआइडी ने फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ सुरेश अग्रवाल और उनके पुत्र चंदन अग्रवाल को एमबीबीएस की फर्जी डिग्री देने का मामले में दिल्ली से गिरफ्तार किया. इसके बाद कोलकाता सीआइडी ने फाउंडेशन से जुड़े मामलों के सिलसिले में राज्य सरकार से जानकारी मांगी. फाउंडेशन द्वारा की गयी जालसाजी की जानकारी मिलने के बाद सरकार ने उसे दी गयी अनुमति को रद्द करने के लिए नोटिस जारी किया था.

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