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आज राजधानी रांची में होगी राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति की 61वीं बैठक, झारखंड में कर्ज देने में सुस्ती बरत रहे हैं बैंक

रांची: झारखंड के तीन हजार बैंकों की शाखाओं से कर्ज देने में सुस्ती बरती जा रही है. बैंकों ने अपने वार्षिक ऋण योजना के तहत अपना लक्ष्य प्राप्त करने में अब तक कोई सराहनीय कदम नहीं उठाये हैं. राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति की 61वीं बैठक शुक्रवार को रांची में होगी. बैठक में प्रधानमंत्री मुद्रा योजना, […]

रांची: झारखंड के तीन हजार बैंकों की शाखाओं से कर्ज देने में सुस्ती बरती जा रही है. बैंकों ने अपने वार्षिक ऋण योजना के तहत अपना लक्ष्य प्राप्त करने में अब तक कोई सराहनीय कदम नहीं उठाये हैं. राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति की 61वीं बैठक शुक्रवार को रांची में होगी. बैठक में प्रधानमंत्री मुद्रा योजना, प्रधानमंत्री आवास योजना, शिक्षा ऋण, केंद्र प्रायोजित अन्य योजनाओं में बैंकों की भागीदारी सुनिश्चित करने पर चर्चा होगी.

गौरतलब है कि समिति की 60वीं बैठक में यह तय किया गया था कि वार्षिक ऋण योजना के अंतर्गत जिन बैंकों का प्रदर्शन कर्ज देने में 30 से 40 फीसदी है, वे अपनी गति और तेज करें. बैंकों की तरफ से वार्षिक ऋण योजना की पहली तिमाही में कर्ज देने में एक प्रतिशत की कमी आयी है. यहां यह बताते चलें कि राज्य के बैंकों की दूसरी तिमाही में ऋण जमा अनुपात (सीडी रेशियो) में 0.53 प्रतिशत तक की गिरावट दर्ज की गयी थी. तीसरी तिमाही में इसमें बढ़ोतरी का दावा किया जा रहा है. सभी बैंकों ने 30 जून तक 187372.77 करोड़ की जमा राशि के विरुद्ध सिर्फ 79655.38 करोड़ रुपये का ही कर्ज दिया था. इसमें से 22 हजार करोड़ रुपये और बैंकों का डिपाजिट 30 सितंबर तक बढ़ा है. औसत बेंचमार्क 60 फीसदी झारखंड के लिए तय किया गया है. केसीसी के 15 लाख मामले लंबित बैंकों की तरफ से 1584405 किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) के तहत कर्ज नहीं दिये गये हैं. यह मामला अब भी लंबित है. बैंकों ने सिर्फ 90366 किसानों को ही केसीसी के तहत कर्ज दिया है. बैंकों की तरफ से कृषि के क्षेत्र में मात्र 26.64 फीसदी ही कर्ज दिया गया.

मुद्रा योजना में प्रत्येक क्वार्टर का लक्ष्य 836 करोड़ से अधिक
प्रधानमंत्री मुद्रा योजना में सिर्फ जून तक 7173 आवेदनों को स्वीकृत किया गया. बैंकों के लिए एक तिमाही का लक्ष्य इस योजना में 836 करोड़ रुपये तय किया गया है. हालांकि, समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि एक लाख से अधिक आवेदन मुद्रा योजना के बैंकों में आये हैं.
आवास योजना के 1412 आवेदनों में 12 सौ लंबित
प्रधानमंत्री आवास योजना का हाल राज्य में बुरा है. नगर विकास विभाग का कहना है कि बैंक राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन से योजना को कनर्वट नहीं कर रहे हैं. इससे अधिकांश लोगों के आवेदन बैंकों में लंबित हो गये हैं. प्रधानमंत्री आवास योजना और आजीविका मिशन का एक भी आवेदन प्रोसेस नहीं हो रहा है. बैंकों के पास 25 अक्तूबर तक प्रधानमंत्री आवास योजना के 1412 आवेदन आये. इनमें से 12 सौ आवेदन छह महीने से बैंकों में ही लंबित हैं. बैंकों ने सिर्फ 14 आवेदन ही आवास योजना में स्वीकृत किये और 30 लाख का कर्ज दिया. पीएमइजीपी की स्थिति ठीक नहींकमोबेश यही स्थिति लघु और सुक्ष्म ऋण की है.

पीएमइजीपी पर नहीं हो रहा है विचार
बैंक की तरफ से प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमइजीपी) के तहत भी आवेदनों पर विचार नहीं किया जा रहा है. सिर्फ राजधानी में ही बैंकों को भेजे गये 157 आवेदनों में से एक भी कर्ज नहीं दिया गया. लघु और सूक्ष्म तथा मझोले उद्योगों को कर्ज देने का प्रतिशत भी बैंकों का 22.38 ही है.

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