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जंगल बचाओ आंदोलन का सम्मेलन, जेवियर कुजूर ने कहा जंगलों का संरक्षण और प्रबंधन अब ग्रामीण करेंगे

रांची: झारखंड जंगल बचाओ आंदोलन का दो दिवसीय 14वां वार्षिक सम्मेलन गोस्सनर थियोलॉजिकल कॉलेज सभागार में संपन्न हुआ. सम्मेलन के संयोजक जेवियर कुजूर ने कहा कि विनाशकारी विकास नीति के कारण जंगल और जैव विविधता नष्ट हो रहे हैं. झारखंड जंगल बचाओ आंदोलन सामुदायिक वन पालन समितियों के माध्यम से जैविक संरक्षण का मॉडल तैयार […]

रांची: झारखंड जंगल बचाओ आंदोलन का दो दिवसीय 14वां वार्षिक सम्मेलन गोस्सनर थियोलॉजिकल कॉलेज सभागार में संपन्न हुआ. सम्मेलन के संयोजक जेवियर कुजूर ने कहा कि विनाशकारी विकास नीति के कारण जंगल और जैव विविधता नष्ट हो रहे हैं. झारखंड जंगल बचाओ आंदोलन सामुदायिक वन पालन समितियों के माध्यम से जैविक संरक्षण का मॉडल तैयार करेगा़ इनके द्वारा जंगलों व जैव विविधता का संरक्षण और प्रबंधन किया जायेगा़.

इन समितियों का गठन वनाधिकार कानून के तहत ग्राम सभा द्वारा होगा और सिर्फ ग्राम सभा के लोग ही इसके सदस्य होंगे़ मानवाधिकार कार्यकर्ता ग्लैडसन डुंगडुंग ने कहा कि झारखंड में जैव विविधता, जंगल और आदिवासी के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है़ इसका मूल कारण है कि सत्ताधीश इनके सह-अस्तित्व को नकारते हैं, जबकि सह-अस्तित्व ही प्रकृति का सिद्धांत है़ कार्यक्रम में सूर्यमनी भगत, सोहन लाल, शिशिर टुडू, प्रो संजय बसु मल्लिक व राज्य के विभिन्न हिस्सों से आये सामाजिक कार्यकर्ता व ग्रामीण मौजूद थे़.

आय वृद्धि व आजीविका संवर्द्धन के लिए करेंगे काम : समिति वन संसाधनों के सीमांकन, वन पालन, नक्शा तैयार करने, प्रबंधन की नियमावली बनाने, पशु-पक्षियों व पेड़-पौधों की जैव विविधता सूची तैयार करेगी. जो पशु-पक्षी लुप्त हो गये हैं, उनकी पुनर्वापसी का प्रयास किया जायेगा़ आयवृद्धि व आजीविका संवर्द्धन के लिए वनपालन समितियां वनोपज के व्यवसाय, मछली पालन आदि लघु योजनाएं तैयार करेंगी, जिसे ग्रामसभा के माध्यम से संबंधित विभागों को सौंपा जायेगा़ झारखंड वनाश्रित महिला समिति को अचार, टॉनिक, जैम, जेली आदि के उत्पादन से जोड़ा जायेगा़ इस साल वृक्षारोपण का कार्य शुरू कर दिया गया है, जिसमें गांव की भौगोलिक स्थिति और गांव की जरूरतों का ध्यान रखा जा रहा है़
जंगल के प्रवेश मार्ग पर चेतावनी बोर्ड लगेगा
जेवियर कुजूर ने बताया कि ग्राम सभा द्वारा जंगल के प्रवेश मार्ग पर वन पालन समिति का साइनबोर्ड लगाया जायेगा. जिसमें जंगल के विवरण के साथ यह चेतावनी भी होगी कि कोई भी ग्रामसभा की अनुमति के बिना पेड़, शिकार व जैव विविधता को क्षति न पहुंचाये, अन्यथा ग्रामसभा कानूनी कार्रवाई करेगी़ 500 गांवों में समितियां बनायी जायेंगी़

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