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झारखंड : छठ पूजा के पहले करायें राज्य की नदियों जलाशयों और तालाबों की साफ-सफाई
गंभीर मुद्दा. जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान झारखंड हाइकोर्ट ने राज्य सरकार को दिया निर्देश झारखंड हाइकोर्ट में शुक्रवार को जलस्रोतों के रखरखाव, अतिक्रमण व साफ-सफाई काे लेकर स्वत: संज्ञान से दर्ज जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. इस दौरान जस्टिस एचसी मिश्रा व जस्टिस आनंद सेन की खंडपीठ ने राज्य सरकार को छठ पूजा […]
गंभीर मुद्दा. जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान झारखंड हाइकोर्ट ने राज्य सरकार को दिया निर्देश
झारखंड हाइकोर्ट में शुक्रवार को जलस्रोतों के रखरखाव, अतिक्रमण व साफ-सफाई काे लेकर स्वत: संज्ञान से दर्ज जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. इस दौरान जस्टिस एचसी मिश्रा व जस्टिस आनंद सेन की खंडपीठ ने राज्य सरकार को छठ पूजा से पहले हर हाल में राज्य की सभी नदियों, जलाशयों और तालाबों की साफ-सफाई कराने का निर्देश दिया है.
‘प्रभात खबर’ ने राज्य के जलस्रोतों की दुर्दशा को लेकर खबर प्रकाशित की थी. झारखंड हाइकोर्ट ने उसे गंभीरता से लेते हुए जनहित याचिका में तब्दील कर दिया था.
रांची : जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस एचसी मिश्रा व जस्टिस आनंद सेन की खंडपीठ ने माैखिक रूप से कहा कि दुर्गापूजा के बाद तालाबों, जलाशयों और नदियों में प्रतिमाअों व पूजन सामग्रियों का विसर्जन किया गया है. विसर्जन से तालाब गंदे हो गये हैं तथा इनका पानी भी प्रदूषित हो गयी है. छठ महापर्व आनेवाला है. ऐसी स्थिति में जलस्रोतों की साफ-सफाई कार्य युद्ध स्तर पर करना जरूरी है. सरकार इस कार्य छठ पूजा के पहले करना सुनिश्चित करे.
खंडपीठ ने सरकार को सभी जिलों में पेयजल की उपलब्ध से संबंधित रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया. जल संसाधन आैर पेयजल व स्वच्छता विभाग के सचिवों को निर्देश दिया कि वे सभी जिलों के उपायुक्तों से रिपोर्ट मंगायें.
यह देखें कि राष्ट्रीय मानक के अनुरूप जिलों में पेयजल उपलब्ध है या नहीं. जलस्रोतों में अतिक्रमण है या नहीं, यदि अतिक्रमण है, तो उसे हटाने के लिए क्या कार्रवाई की गयी है. जिलों से प्राप्त रिपोर्ट के आधार पर कोर्ट में विस्तृत शपथ पत्र दायर करने का निर्देश दिया गया. खंडपीठ ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 17 जनवरी 2018 की तिथि निर्धारित की.
शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल संकट पर सरकार से मांगी गयी थी रिपोर्ट : इससे पूर्व एमिकस क्यूरी अधिवक्ता इंद्रजीत सिंह ने खंडपीठ को बताया कि शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल संकट पर सरकार से रिपोर्ट मांगी गयी थी. सरकार की अोर से दायर शपथ पत्र पेयजल की उपलब्धता का दावा किया गया था. कोर्ट ने सत्यता की जांच के लिए अधिवक्ताअों को प्लीडर कमिश्नर नियुक्त कर स्थलीय जांच करायी थी.
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