हम अपने पाठकाें काे दवाआें, कार्डियक स्टेंट आैर अॉर्थाे इंप्लांट के खेल (डॉक्टराें-अस्पतालाें) के बारे में समय-समय पर बताते रहते हैं. हाेलसेल आैर रिटेल कीमताें का खेल कैसे हाेता है? कैसे एमआरपी के नाम पर मुनाफे का खेल हाेता है? प्रभात खबर अब बता रहा है सर्जरी के दाैरान लगनेवाली मामूली सामग्री के खेल के बारे में. इस खेल में रिटेलर आैर अस्पताल मालामाल हाे रहे हैं. भुगत रही है जनता. सर्जिकल आइटम्स एनपीपीए के दायरे में नहीं आते. कंपनियां इसी का लाभ उठा रही हैं. पढ़िये इस शृंखला की पहली कड़ी…
रांची: जब भी कोई मरीज अस्पताल में सर्जरी के लिए भरती हाेता है, ताे उससे बेड चार्ज, सर्जरी चार्ज, ओटी चार्ज, आेटी असिस्टेंट चार्ज, नर्सिंग चार्ज, एनेस्थिसिया चार्ज आदि का खर्च लिया जाता है. इलाज में दवाइयां लगती हैं. सर्जिकल आइटम्स लगते हैं. सर्जिकल आइटम्स का खर्च देखने में ताे बहुत कम होता है. पर इसकी कीमताें का प्रभात खबर ने जब अध्ययन किया, ताे आंकड़े चाैंकानेवाले मिले. राज्य में सर्जिकल आइटम का खुदरा कारोबार एक माह में 600 करोड़ का होता है. सालाना करीब 7,200 करोड़ का. सर्जिकल आइटम्स पर थोक विक्रेता 10 प्रतिशत तक की मार्जिन पर कारोबार करते हैं. वहीं, खुदरा में 300 से 1000 प्रतिशत अधिक कीमत मरीजों से वसूली जाती है. इसका बड़ा हिस्सा अस्पतालाें काे मिलता है. प्रभात खबर ने अपने अध्ययन के क्रम में न सिर्फ अस्पतालाें, हाेलसेलरों आैर रिटेलरों से बात की, बल्कि दवाइयां खरीदी भी. हाेलसेल में भी आैर अस्पतालाें-दुकानाें से रिटेल में भी.
थोक और खुदरा में कीमतें (रुपये में)
सर्जिकल आइटम्स थोक खुदरा रिम्स को मिलता है
आइवी-सेट 9.25 106 6.00
बीटी सेट 13.50 126 8.30
यूरीन बैग 18.00 105 11.00
एफ कैथेटेर-16 25.00 118 20.00
आइवी कैनुला 09.00 105 06.00
ग्लब्स 12.50 49 9.70
नेपोर प्लस(पेपर टेप) 20.00 50.84 12.00
सिरींज-2एमएल 1.22 6.50-10 1.22
सिरींज-3एमएल 1.25 7.50-11 1.25
सिरींज-5एमएल 1.51 10.50-14 1.56
सिरींज-10एमएल 3.25 15-22 2.65
कॉटन (300 ग्राम) 80.00 182 88
इटी ट्यूट चाइल्ड-3 34.00 163 32.00
रिम्स में छह रुपये में आता है आइवी सेट : सर्जिकल आइटम्स में आइवी सेट, ब्लड ट्रांसमिशन सेट (बीटी सेट), यूरीन बैग, सीरिंज, ग्लब्स, पेशाब के रास्ते में लगनेवाला कैथेटर (फॉली ट्रेस), पेपर टेप, कॉटन, गॉज का ज्यादा कारोबार किया जाता है. ये मरीजों को एमआरपी पर बेचे जाते हैं. एमआरपी व वास्तविक मूल्य में 1000 प्रतिशत तक का अंतर होता है. आइवी सेट (प्रतिष्ठित कंपनी रॉमसंस) की कीमत हाेलसेल में 9.25 रुपये है, उसके लिए अस्पताल 106 रुपये वसूलते हैं. यही आइवी सेट रिम्स में मात्र छह रुपये में आता है. आइवी सेट बहुत ही कॉमन है आैर स्लाइन चढ़ाने के काम में आता है.
कॉटन पर भी भारी मुनाफा : अगर कॉटन यानी रूई की बात करें, तो 300 ग्राम के कॉटन के बंडल की हाेलसेल कीमत 80 रुपये है, लेकिन एमआरपी पर 182 रुपये लिखा होने के कारण मरीज को उतना ही पैसा देना पड़ता है. रिम्स में 400 ग्राम कॉटन की सप्लाई 88 रुपये में होती है. आइवी कैनुला हमलाेगाें ने हाेलसेल में नाै रुपये में खरीदी, जबकि उसका एमआरपी 105 रुपये है. ऑपरेशन में इस्तेमाल किये जानेवाले ग्लब्स अस्पताल 11 से 12 रुपये में खरीदते हैं. पर मरीजों से इसके लिए 47 से 49 रुपये तक लिये जाते हैं. मरीज को अस्पताल से छुट्टी मिलने तक डॉक्टर और ड्रेसिंग करनेवाले दर्जनों ग्लब्स का प्रयोग कर देते हैं.
25 का कैथेटर 118 में : ब्लड एडमिनिस्ट्रेशन सेट यानी बीटी सेट (प्रतिष्ठित कंपनी रॉमसंस) थोक में खरीदने पर एक पीस 13.50 रुपये में आता है. पर दवा दुकानों से खरीदने पर इसके लिए 126 रुपये देने पड़ते हैं. वहीं, रिम्स में इसी ब्लड एडिमिनिस्ट्रेशन सेट (डीलक्स सर्जिकल) की सप्लाई 8.30 रुपये में होती है. एक पीस कैथेटर (फॉली ट्रेस-16एफ) की कीमत थोक में 25 रुपये है, जो खुदरा दवा दुकानों में 118 रुपये में मिलता है. रिम्स में इसी की सप्लाई 20 रुपये में होती है.
जानिए, कैसे चलता है कारोबार
दवा कंपनियों से सर्जिकल आइटम्स पहले सीएनएफ, फिर थोक विक्रेताआें के पास पहुंचता है. इस दाैरान इसकी कीमत बहुत कम होती है. थोक विक्रेता सात से 10 प्रतिशत तक के मुनाफे पर खुदरा व्यापारी को दे देते हैं. इसके बाद खुदरा दुकानदार उसे एमआरपी पर मरीजों को देते हैं. एमआरपी वास्तविक मूल्य से काफी अधिक होता है. आम ताैर पर इसका उपयाेग करनेवाले अधिकतर अस्पताल ही हाेते हैं.
एनपीपीए में नहीं होने से उठाते हैं लाभ
सर्जिकल आइटम्स नेशनल फार्मास्यूटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी (एनपीपीए) के दायरे में नहीं आता है. इस कारण कंपनियां अपने हिसाब से कीमतें तय करती हैं. एमआरपी व वास्तविक मूल्य में काफी अंतर होने के कारण मरीजों को अधिक पैसे देने पड़ते हैं. जानकार बताते हैं िक अगर सर्जिकल आइटम्स को एनपीपीए में शामिल कर लिया जाये, तो मरीजों के ऑपरेशन के खर्च काफी कम हाे जायेंगे.
सर्जिकल आइटम्स पर मनमाना पैसे तो लिये जाते हैं. दुकानदार यह गलत करते हैं. राज्य में करीब 80 दुकानें है, जहां खुदरा आइटम्स का करीब 600 कराेड़ से ज्यादा का कारोबार है. एसोसिएशन इस मनमाने कीमत पर लगाम लगाने के लिए सरकार से लगातार बातचीत करता है, पर कोई ठोस कदम नहीं निकल पाया है. सरकार को एमआरपी पर नियंत्रण करना चाहिए.
– अमर वर्मा, महासचिव केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन